'संघर्ष नर्मदा का' एक किताब है जो नर्मदा बचाओ आन्दोलन के बारे में है। यह किताब नर्मदा घाटी के लोगों और खासकर आदिवासी समुदाय के योगदान, संघर्ष और बलिदान की कहानी को उनके ही नज़रिये से सामने लाती है। इसमें सरदार सरोवर बाँध के प्रभावित आदिवासियों के जीवन, विस्थापन और पुनर्स्थापन की पीड़ाजनक प्रक्रिया के ब्योरे दर्ज हैं। यह किताब विकास-प्रक्रिया और प्राकृतिक अनुकूल जीवनशैली के बीच के द्वन्द्व के संबंध में मानव समाज की भावी चुनौतियों और समाधान की ओर संकेत करती है।
इस किताब में विस्थापित होने वाले आदिवासी समुदायों के जीवन के अनुभव, संघर्ष और परिवर्तन की गहराई का विस्तार से वर्णन किया गया है। उनका दर्दनाक अनुभव बताता है कि वे कैसे अपने धरोहर के खोने के खतरे से चरमराई स्वतंत्रता और अधिकारों के लिए लड़ने को तैयार हो गए। इस किताब के माध्यम से, उनकी प्रतिबद्धता, साहस, और निर्धारित इच्छा को उजागर किया गया है, जिससे हम उनके संघर्षों और समर्पण को समझ सकते हैं।
यह किताब इतिहास की अहमियत को रेखांकित करती है, जिससे आने वाली पीढ़ियों को उनके इतिहास और विरासत के प्रति संवेदनशील बनाया जा सकता है। यह अधिकार, न्याय, और पर्यावरण संरक्षण की लड़ाई में सक्रिय होने वाले लोगों के लिए एक मार्गदर्शन प्रदान करती है।
इस किताब को वाचकों, पर्यावरण अध्येताओं और मानवाधिकारों के पक्षधरों के लिए एक महत्वपूर्ण पाठ माना जा सकता है। इससे हम संघर्षों की गहराई, नागरिकों के भावनात्मक अनुभवों को समझने में सक्षम होते हैं, जो एक बेहतर और न्यायसंगत समाज की दिशा में हमें प्रेरित करते हैं।
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संघर्ष नर्मदा का
लेखक : नन्दिनी ओझा
पृष्ठ : 272
प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन
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