असायलम : सस्पेंस और थ्रिल से भरा उपन्यास

असायलम : सस्पेंस और थ्रिल से भरा उपन्यास

1990 में घटित यह कहानी दो दशक पीछे के कुछ रहस्यों से जुड़ी है। हॉलैंड, रोमानिया और भारत के असायलम के मरीज़ों की एक ही तरह से हत्या होना काफ़ी आश्चर्यजनक हैं। 

1970 में भारत में हुए प्रोफ़ेसर भास्कर और निर्मल बनर्जी के ख़ुफ़िया एक्सपेरिमेंट और असायलम में हो रहीं रहस्यमयी हत्याओं का आपस में क्या मेल था तथा यह रहस्यमयी हत्याएँ हॉलैंड और रोमानिया के असायलम से किस तरह से जुड़ी थीं?

इस पुस्तक के लेखक हैं मिथिलेश गुप्ता और अफज़ल अहमद तथा इसका प्रकाशन फ्लाईड्रीम्स पब्लिकेशन ने किया है।

अफ़ज़ल अहमद ने यह थ्रिलर कहानी काफ़ी ट्विस्ट के साथ लिखी है। यह कहानी इन डॉक्टर्स के उस रोमांचक सफर को बताती है जो उन्होंने असायलम में हुई मौतों के रहस्य की गुत्थी सुलझाने के लिए तय किया था।

डॉ. सत्यजीत बनर्जी, डॉ. मैक कपूर तथा डिटेक्टिव स्वामीनाथन असायलम में नियुक्त किए गए थे। तीनो देशों के असायलम में एक के बाद एक, एक ही तरीक़े से हो रही मौतें जिनमें हर मरीज़ का सिर उसके धड़ से अलग पाया गया था यह मन को काफ़ी उलझा देने वाला दृश्य था। यह देखना किसी भी व्यक्ति के लिए ख़ौफ़नाक है।

असायलम : सस्पेंस और थ्रिल से भरा उपन्यास

जिन मरीज़ों ने कुछ डॉक्टर्स पर हमला किया था उनकी भी उसी तरीक़े से मौत हो गयी थी। आश्चर्य की बात यह कि डॉ. सत्यजीत पर मरीज़ विजय के हमला करने के बाद भी वह कैसे बिल्कुल ठीक थे? 

आख़िर उस पत्र में क्या लिखा था जो असलम नामक मरीज़ ने अपनी मृत्यु से पहले सत्यजीत बनर्जी के नाम लिखा था?

ऐसा क्या राज़ था जो यूएनओ हेडक्वार्टर के दस्तावेज़ों में छिपा हुआ था? तीनों असायलम का निर्माण किन परिस्थितियों में तथा किस लक्ष्य से किया गया था? यह सवाल काफ़ी उलझा देने वाले थे।

तीनो डॉक्टरों ने मिलकर किस नाकामयाब एक्सपेरिमेंट का पता लगाया था इससे डॉ. सत्यजीत के पिता किस तरह से जुड़े थे? तथा वह कौन था जो असायलम के अंदर से उस कातिल की सहायता कर रहा था?

यह सभी सवाल इस सस्पेंस थ्रिलर को पढ़कर ही पता चल सकते हैं।

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असायलम : सब मरेंगे
लेखक : मिथिलेश गुप्ता, अफ़ज़ल अहमद 
पृष्ठ : 164   
प्रकाशक : फ्लाईड्रीम्स पब्लिकेशन
पुस्तक लिंक : https://amzn.to/3P55xWb
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