किताबों के अलग-अलग रंग : द हार्टफुलनेस वे, जंगल की सैर, नौ-रस

किताबों के अलग-अलग रंग : द हार्टफुलनेस वे, जंगल की सैर, नौ-रस

मंजुल पब्लिशिंग हाउस से आईं हैं कुछ बेहद खास किताबें। कमलेश डी. पटेल यानी दाजी की पुस्तक 'द हार्टफुलनेस वे' का हिंदी अनुवाद प्रकाशित हुआ है। वहीं स्टीफ़न आर. कवी और ए. रोजर मेरिल की सेल्फ हेल्प किताब 'ज़रुरी काम सबसे पहले', सुरेश पटवा की 'जंगल की सैर' और डॉ. ओम प्रकाश शुक्ल की कविताओं का संग्रह 'नौ-रस' छपा है। 


द हार्टफुलनेस वे / दाजी

द हार्टफुलनेस वे / दाजी

भारत की अनन्तकालीन मौखिक परम्परा को कायम रखते हुए कमलेश डी. पटेल - जिन्हें दाजी के नाम से जाना जाता है, और जो हार्टफुलनेस वंशावली के चौथे गुरु हैं -वे आध्यात्मिक खोज की प्रकृति का अध्ययन करते हुए एक जिज्ञासु की यात्रा का वर्णन करते हैं। एक शिक्षक और शिष्य के बीच हुए ज्ञानवर्धक वार्तालाप की श्रंखला द्वारा दाजी, हार्टफुलनेस अभ्यास के सिद्धान्तों एवं दर्शन का खुलासा जोशुआ पोलॉक के समक्ष करते हैं, जो एक हार्टफुलनेस अभ्यासी व प्रशिक्षक हैं।

प्रार्थना व यौगिक प्राणाहुति के सार पर चिन्तन करने से लेकर व्यावहारिक सुझावों द्वारा ध्यान की प्रक्रिया का रहस्योद्घाटन करने तक, यह पुस्तक हमें अपनी संवेदी सीमितताओं के परे जाने में और अपने अन्दर एकात्मकता पाने में सक्षम बनाएगी।

हार्टफुलनेस का अभ्यास करना, रूप के परे सारतत्व को खोजना है और रीति-रिवाजों के पीछे छुपी वास्तविकता को जानना है। यह अपने हृदय के मूल में स्वयं को केन्द्रित कर वहाँ सत्य और सन्तोष को प्राप्त करना है।

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ज़रुरी काम सबसे पहले / स्टीफ़न आर. कवी और ए. रोजर मेरिल

ज़रुरी काम सबसे पहले / स्टीफ़न आर. कवी और ए. रोजर मेरिल

समय प्रबंधन के क्षेत्र में हाल के वर्षों में की गई महत्त्वपूर्ण खोज में लेखक स्टीफ़न आर. कवी और ए. रोजर मेरिल, अति प्रभावकारी लोगों की 7 आदतें पुस्तक के संपूर्ण ज्ञान का उपयोग उन लोगों की रोज़मर्रा की समस्याओं के समाधान में करते हैं, जो कार्य स्थल पर और पारिवारिक ज़िंदगी में लगातार बढ़ती चुनौतियों से जूझ रहे हैं।

यह पुस्तक आपको सिखाती है : 
• समय प्रबंधन के आपके पिछले प्रयास असफल क्यों रहे 
• समय प्रबंधन और वित्तीय प्रबंधन के बीच क्या संबंध है 
• नियंत्रण गँवाए बिना दूसरों को काम कैसे सौंपे 
• अपनी ताकत और अपने जुनून को दोबारा कैसे अर्जित करें 
• सिर्फ़ समय प्रबंधन तक सीमित नहीं रहें, बल्कि ज़िंदगी कैसे जिएँ

आप इसे परिभाषित कर सकें कि वास्तव में महत्त्वपूर्ण क्या है, ताकि आप उचित लक्ष्यों को हासिल कर सकें और समृद्ध, लाभप्रद और संतुलित जीवन जी सकें।

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जंगल की सैर / सुरेश पटवा

जंगल की सैर / सुरेश पटवा

सुरेश पटवा एक जाने-माने रचनाकर्मी हैं। एक लंबे समय से गंभीर विषयों पर उनका लेखन सतत चलता रहा है। मैंने उन्हें जब-जब पढ़ा है और सुना है उनकी विद्वत्ता शब्द-शब्द में अनुभव करता रहा। वह अच्छे लेखक होने के साथ श्रेष्ठ चिंतक, विचारक और वक्ता भी हैं। मनुष्य के यह सब गुण यदि लेखक के व्यक्तित्व में उतर आए तो स्वाभाविक रूप से लेखन उच्चकोटि का होता चला जाता है।

पटवा जी ने अब तक जो कुछ लिखा वह अत्यंत गंभीर प्रकार का लेखन रहा। वे राष्ट्रीय चेतना से ओतप्रोत और संस्कृति निष्ठ लेखक हैं। भारत की मिट्टी की गंध उनकी धमनियों में लहू बनकर दौड़ती है। यह सांस्कृतिक निष्ठा समय-समय पर अनेक ग्रंथों के प्रणयन का कारण बनी। इस बार उन्होंने बाल-साहित्य जगत को अपनी लेखनी का प्रसाद दिया है।

'जंगल की सैर' जैसे बाल उपन्यास बच्चों को जल, जंगल, जमीन और जानवर से जोड़ने का काम करेंगे। इनके बगैर पर्यावरण की कल्पना करना भी दूभर होगा। इस तरह के उपन्यास निश्चित तौर पर नई पौध को प्रकृति के निकट लाने का काम करेंगे। 

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नौ-रस / डॉ. ओम प्रकाश शुक्ल

नौ-रस / डॉ. ओम प्रकाश शुक्ल

नौ-रस कवि की भावाभिव्यक्ति है। जीवन में जो घटित हुआ, अनुभव किया एवं प्रभावित हुआ, यही डॉ. ओम प्रकाश शुक्ल की रचनाओं का मूल विषय है। 

हर एक कविता कुछ कहती है, सुनाती है, कभी साथ चले होंगे -ऐसा अहसास दिलाती है, जोड़ती है, प्रेरणा देती है -कर्त्तव्य पथ पर निडर चलने की, बचपन की यादों को ताजा करती है, चलते चलो-रूको नहीं का पाठ पढ़ाती है, स्त्री के सौन्दर्य एवं प्रेम को सजीव करती है। 

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