सन्मति पब्लिशर्स ने तीन ख़ास किताबों को प्रकाशित किया जिन्हें पाठक खूब पसंद कर रहे हैं। आभा श्रीवास्तव और मनीष भार्गव के कहानी-संग्रह 'दिसम्बर संजोग' और 'कचहरीनामा' में हमारे आसपास घटने वाले जीवन की रोचक कहानियां शामिल हैं। अभिलेख द्विवेदी के उपन्यास 'बेस्टसेलर' को पढ़ने का अपना ही अलंग आनंद है। उनकी बसाई दुनिया किसी फिल्मी कहानी की तरह होती है, जिसे पढ़कर पाठक खुद को भूल जाता है।

आभा श्रीवास्तव का कहानी-संग्रह स्त्रियों की उन कहानियों को कहता है जिनकी कहानी उतार-चढ़ाव से भरी है, जिनकी ज़िन्दगी के सागर अनगिनत रंगों से सराबोर होते हुए भी कई बार रंगहीन से लगते हैं। 'आखर ढाई', 'अलविदा अम्मा', 'दिसम्बर संजोग' आदि सभी कहानियाँ रोचक और बेहद सरल शैली में रची गयी हैं। आभा जी अपने दृश्यों को लेकर स्पष्ट हैं। उनके साथ पाठक का जुड़ाव उसी समय होने लगता है, जब कहानी शुरु होती है। इनमें यथार्थ और अनुशासित तरीके का मिश्रण है। वे खुद कहती हैं,'इस संग्रह में प्यार के ताने-बानों के साथ जीवन की कड़वी-मीठी सच्चाइयाँ भी, अनायास ही बुनी गई हैं। जीवन के मिले-जुले अनुभवों को, शब्दों के जाल में समेट लेना, संजो लेना, मन को कहीं न कहीं तसल्ली देता है।' 'दिसम्बर संजोग' संग्रह की एक खास बात यह भी है कि यहां प्रेम और जीवन का दिलचस्प मेल वास्तविकता के साथ मिलकर अलग लय हासिल करता है।
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मनीष भार्गव का कहानी संग्रह 'कचहरीनामा' सरकारी कार्यालय तथा आम आदमी के जीवन में होने वाले अनुभवों को समेटे है। इसकी कहानियाँ आम आदमी की कहानियाँ हैं, उनसे जुड़ी बातें हैं, दफ्तरों के चक्कर हैं, हताशा-निराशा के बादलों से घिरी ज़िन्दगियाँ हैं और जीते-मरते लोग हैं। मनीष जी ने घटनाओं को रोचक बनाकर प्रस्तुत किया है। उन्होंने वास्तविकता को दिखाया है क्योंकि उनकी कहानियों में जैसा हो रहा है, वैसा आम आदमी की ज़िन्दगी में अक्सर होता है। यही वजह है कि ये कहानियाँ हमारे आसपास घटी हुईं हैं। 'जन सुनवाई', 'सीमांकन', 'डिग्री या ज्ञान', 'तहसीलदार डायरी', आदि सभी कहानियाँ बेहद पठनीय हैं।
'बेस्टसेलर' ऐसा उपन्यास है जिसे एक सिटिंग में पढ़ा जा सकता है। इसमें कोई हैरानी नहीं कि अभिलेख द्विवेदी की किताब किसी फिल्मी कहानी की तरह रची होती है। उनके नए उपन्यास में भी पात्र और घटनाओं का इस तरह का प्रस्तुतीकरण कि पढ़ना मजेदार बन जाता है। सादिक और आईना को जानना-समझना और उनके साथ चलना किसी रोचक यात्रा से कम नहीं कहा जा सकता।
उपन्यास के आखिरी पन्नों में कई मजेदार ट्विस्ट देखने को मिलते हैं, जब सादिक अपने फायदे के लिए किसी की ज़िन्दगी को चुराकर अपनी कहानी में समेटता है, मगर हैरानी तब होती है जब उसकी कहानी नए अंत के साथ बाज़ार में बेस्टसेलर बन जाती है। उस किताब का लेखक कोई और नहीं, बल्कि वही आफरीन होती है जिसकी ज़िन्दगी उतारकर वह अपना उपन्यास लिख रहा था।
इन दिनों यदि आप कुछ रोचक, अलग किस्म की किताबें पढ़ने की इच्छा रखते हैं, तो ये तीन किताबें आप पढ़ सकते हैं।