अंतर्मन की ओर : सांसारिक जीवन में ध्यान की आवश्यकता

अंतर्मन की ओर

हम सभी जानते हैं कि दुनिया तेजी से बदल रही है। ग्लोबल वार्मिंग, महामारी, सारी सूचनाएँ जंगल की आग की तरह, झूठे समाचारों व दंगों की तरह फैलती जाती हैं, जिसके फलस्वरूप हमारे सामाजिक ढाँचे और जीवन-शैली में परिवर्तन आ रहा है। इन सभी के प्रभाव और परिणाम के साथ-साथ हमें अन्य अनेक चुनौतियों का भी सामना करना पड़ता है, जिन सब का बुरा प्रभाव हमारे स्वास्थ्य व उत्पादकता पर पड़ता है और अंतत: उसका असर हमारी खुशी एवं आंतरिक शांति पर पड़ता है। ऐसे समय में अधिकांश लोग तनाव महसूस करते तथा अत्यधिक चिंतित हो जाते हैं और कुछ मामलों में, यहाँ तक कि, उदासी व अवसाद से घिर जाते हैं। ऐसी स्थिति पहले से अधिक बढ़ रही है, जिसके लिए हमें शक्ति, ध्यान और मन की शांति के लिए आंतरिक दृष्टि की आवश्यकता है।

इस व्यावहारिक मार्गदर्शिका में मैं आपकी चिंता, तनाव और बेचैनी के स्रोत खोजने की इस व्यक्तिगत यात्रा में सहायता करूँगा; उसके साथ-साथ आपको ध्यान का उपयोग करके उनसे सीधा संबंध कायम कर उन्हें दूर किए जाने में आपका मार्गदर्शन करूँगा, ताकि ध्यान द्वारा उन विचलित विचारों को शांत कर आप इस वर्तमान पल में अपनी ऊर्जा को पुनः केंद्रित करने के लिए इसका निर्माण कर पाएँ।

अंतर्मन की ओर : सांसारिक जीवन में ध्यान की आवश्यकता

लगातार बदलती बाहरी दुनिया के विचार को स्वीकार करते हुए आप अपने आंतरिक ऊर्जा भंडार को मजबूत करते हुए ही दुनिया से बेहतर तरीके से निपट सकते हैं। ये नहीं है दूर भागना या सोचना कि बुरी चीज कभी हुई ही नहीं थी, न ही कल्पना रूप से सोच करके सब ठीक है, बेहतर महसूस करने की कोशिश करना। यह सब तभी जाना जा सकता है, जब हम इस बात का अध्ययन करें कि हमारा मन कैसे काम करता है और उसे कैसे सँभाला जा सकता है! तभी आप इससे पार जा सकते हैं और शांति व खुशी के एक स्रोत तक पहुँच सकते हैं। यही स्रोत आपको अप्रभावित और अपरिवर्तित रहने में सहयोग देगा।

कई वर्षों से मैं आर्ट ऑफ लिविंग के कार्यक्रमों में लोगों को ध्यान करना सिखा रहा हूँ, जिसमें सभी पृष्ठभूमि के लोग, जिनमें भारत के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के आंतरिक भागों के स्वदेशी लोगों से लेकर प्रमुख कॉरपोरेट्स के सी.ई.ओ. एवं शीर्ष अधिकारी, कॉलेज के छात्रों और गृहस्थ लोगों से लेकर सफल कलाकार व राजनीतिज्ञ इत्यादि शामिल होते हैं। इन सभी को इस अभ्यास से जीवन के विभिन्न पहलुओं में अत्यंत लाभ प्राप्त हुआ। इस बहुमूल्य ज्ञान को बहुत सारे लोगों तक पहुँचाने के लिए एक प्रभावी तरीके की आवश्यकता है, ताकि वह अपने जीवन से निपटने के लिए एक प्रभावी तरीका ढूँढ़ सके और शीर्ष पर आ सके। इसलिए मैंने यह पुस्तक लिखने का निर्णय किया।

अंतर्मन की ओर : सांसारिक जीवन में ध्यान की आवश्यकता
आपके हाथ में स्थित यह पुस्तक अति उपयोगी है, जिसमें अत्यधिक मूल्यवान् अंतर्दृष्टियाँ और तकनीकें शामिल हैं, जिन्हें मैंने पिछले 20 वर्षों में अपने गुरुदेव श्री श्री रविशंकरजी के मार्गदर्शन में ध्यान-अभ्यास द्वारा सीखा और महसूस किया कि वह हमारे समय के एक सच्चे और सिद्ध ध्यान गुरु हैं। मैं अपना अध्ययन और अनुभव किसी ऐसे व्यक्ति के साथ बाँटने की पेशकश कर सकता हूँ, जो गंभीरता से इसे सीखने में दिलचस्पी रखता हो और जो जीवन को थोड़ा करीब एवं ईमानदारी से एक नए दृष्टिकोण से देखने की कोशिश कर रहा हो, या ऐसा कहें कि जो एक अत्यंत प्राचीन ज्ञान के द्वारा जीवन की अनेक चुनौतियों से निपट सकता है और इसका प्रभाव हमारे स्वास्थ्य, प्रसन्नता एवं मन की शांति पर पड़ेगा। इस ज्ञान को मैं आपके साथ आसान भाषा और सरल कार्य-प्रणाली द्वारा बाँटना चाहता हूँ। मैं आपके मस्तिष्क या मन को प्रबंधित करने के लिए एक ऐसा व्यावहारिक दृष्टिकोण प्रदान करूँगा और अंत में, उसमें महारत हासिल हो जाएगी।

आजकल ध्यान की बात करने पर इस संबंधी कई भ्रांतियाँ और गलत धारणाएँ सामने आती हैं। जैसा कि पिछले कुछ दशकों में हमने देखा, यह अपने पुरातन स्वरूप से काफी बदल गया है।

इसके कई प्रकार रहे, आश्चर्यजनक अजीब मनोगत अभ्यास, जो हिमालय में रहनेवाले दुर्लभ योगियों से जुड़े रहे, जिनमें नवीनतम प्रवृत्ति मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी है, जिन्हें सफलतापूर्वक मोबाइल ऐप्स की लगातार बढ़ती संख्या के साथ देखा जा सकता है, जो आपसे कम-से-कम तीन मिनट में ‘तत्काल’ ध्यान द्वारा मन की शांति का वायदा करते हैं। सबसे बड़ी बात कि अधिकतर लोगों ने इसे ‘माइंडफुलनेस’ या ‘सचेतनता’ के रूप में अपना लिया, जिसे ध्यान का नया और अधिक धर्मनिरपेक्ष शब्द माना गया। इसे बाजारवाद के द्वारा जनता और प्रमुख कॉरपोरेट्स दोनों के लिए अधिक सरल बनाया गया, बिना यह जाने कि ध्यान व स्मरण वास्तव में एक समान नहीं हैं और कुछ अर्थों में एक-दूसरे के एकदम विपरीत भी हैं।

अंतर्मन की ओर
मुझे लगता है कि यही वह उचित समय है, जब इस पुस्तक को लिखा जाना चाहिए, ताकि इस संबंधी फैली भ्रांतियों और गलतफहमियों को दूर किया जा सके। कोई भी, जो रुचि के साथ, एक उचित तरीके से ध्यान सीखना चाहता है, वह बिना किसी अन्य सामग्री के या किसी छोटी सी चीज के इसमें आगे बढ़ सकता है।

ध्यान एक प्राचीन, समय पर खरा उतरा और हमारे दिमाग को प्रबंधित करने तथा इससे पार जाने की एक प्रभावकारी कला है। इसके अनगिनत लाभ हैं, जो आपके सामाजिक व व्यावसायिक जीवन को प्रभावित करते हुए आपको व्यक्तिगत स्वास्थ्य, प्रसन्नता, मुक्त होने और पूर्णता का एहसास देता है। इसे इसके संदर्भ और परंपरा से अलग करने की कोशिश करना न केवल इसके उन स्वामियों के साथ अन्याय करना होगा, जिन्होंने आज तक इस ज्ञान को संरक्षित करके रखा, बल्कि इसके कुछ सबसे प्रभावी और आवश्यक पहलुओं के अभ्यास को इसमें से निकाल दिया गया।

वास्तव में, इस समय हमारी आधुनिक दुनिया और जीवन-शैली में इस प्राचीन ज्ञान को अधिक अपनाए जाने की आवश्यकता है। इसमें ऐसी तकनीकें मौजूद हैं, जिनके द्वारा इसे आसानी से समझा जा सकता है, किसी के द्वारा भी समझा जा सकता है और हर कोई इसका अभ्यास कर सकता है, जो इससे प्राप्त होनेवाले अनेक लाभों को पाना चाहता है। इस सबको समझने के लिए यह पुस्तक आपकी व्यक्तिगत मार्गदर्शक सिद्ध होगी, जिसके गहन अभ्यास से स्वस्थ, प्रसन्न और समायोजित जीवन पाया जा सकता है।

इस पुस्तक की संरचना इस प्रकार से की गई है कि प्रत्येक अध्याय आपको कुछ सबसे महत्त्वपूर्ण सिद्धांत सिखाएगा, ताकि आप अपनी यात्रा में आगे बढ़ सकें और आप उस ज्ञान का हिस्सा बनकर जानें कि इसे कैसे जाना जा सकता है, और अंततः आप इसे व्यक्तिगत ध्यान अभ्यास द्वारा पा सकते हैं। आप इन पृष्ठों में अनेक सिद्धांतों का अध्ययन करेंगे, जिससे आप अपने दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों को अधिक प्रभावी, संतोषजनक और सहानुभूतिपूर्ण बना पाएँगे। यह आपको इस अमूर्त वस्तु, जिसे ‘मन’ कहा जाता है और इसकी सारी झुँझलाहट या चिड़चिड़ेपन से अधिक कुशलता से निपटने में मदद करेगा। यह अध्ययन आपके जीवन को आसान, अधिक सुखद और अधिक भरा-पूरा बना देगा; परंतु इसके लिए आवश्यक है कि आप इस पुस्तक को पढ़ें, इसे समझें और इसके अभ्यास को दूसरों के साथ बाँटें।

आप देखेंगे कि ध्यान के लिए बहुत अधिक एकाग्रता या केंद्र-बिंदु की आवश्यकता नहीं, बल्कि इसके विपरीत, वास्तव में यह आँखें खोलनेवालों के लिए एक आनंदमय यात्रा हो सकती है। यह प्रयास से सहजता की यात्रा है, गतिविधि से स्थिरता की ओर, फिर तनाव, चिंता व निराशा से शांति और तसल्ली की स्थिति की ओर बढ़ने की यात्रा है। एक बात और, जिस पर मैं जोर देना चाहूँगा, वह है कि ध्यान सिर्फ एक समाधान है-कुछ ऐसी समस्याओं का, जिनका हमें सामना करना पड़ता है। इन समस्याओं से बाहर निकलने के लिए आपको बस, इसका अभ्यास करना होगा। यदि आप इस अभ्यास को छोड़ देंगे तो आपका मन या जीवन फिर से नीचे की ओर जाने लगेगा। मैं आपको प्रोत्साहित करूँगा कि आप कोई उच्च लक्ष्य रखें और बड़ा सोचते रहें। ध्यान से आप को अत्यधिक लाभ प्राप्त होंगे, लेकिन इसके कुछ दुष्प्रभाव भी होंगे। इसका असली खजाना आपको अपने भीतर ही मिलेगा और ऐसा केवल उन लोगों के लिए प्रकट होता है, जो वास्तव में भीतर देखने के लिए तैयार होते हैं।

तो आइए, भले ही आप ध्यान के लिए बिल्कुल नए हों या नियमित अभ्यास करते रहे हों अथवा कई वर्षों से अनियमित अभ्यास करते रहे हों। मैं आपको खुले मन से इसकी आकर्षक यात्रा शुरू करने के लिए आमंत्रित करता हूँ। जब आप ऐसा करने में सक्षम हैं तो मैं गारंटी देता हूँ कि आप ध्यान द्वारा ऐसा बहुत कुछ सीखेंगे और महसूस करेंगे, जिससे आप गहराई से कुछ बातों को जान पाएँगे, जिससे आपका जीवन समृद्ध होगा। आखिरकार, आधुनिक दुनिया में ध्यान कोई विलासिता नहीं, एक आवश्यकता है और जल्दी ही हम इसे और भी बेहतर ढंग से जानने लगेंगे।

बिना व्याकुलता के मन...यही ध्यान है
वर्तमान क्षण में मौजूद मन...यही ध्यान है
मन का ‘नो माइंड’ (बिना मन के) बन जाना...यही ध्यान है
ऐसा मन, जिसमें कोई झिझक, कोई प्रत्याशा न हो...यही ध्यान है
ऐसा मन, जो अपने मुख्य केंद्र, स्रोत की ओर लौट आए...यही ध्यान है।

-गुरुदेव श्री श्री रविशंकर.

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अंतर्मन की ओर : सांसारिक जीवन में ध्यान की आवश्यकता
लेखक : स्वामी पूर्णचैतन्य
पृष्ठ : 176
प्रकाशक : प्रभात प्रकाशन
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