भारत-2047 : भारतीय समाज का सामूहिक सपना

भारत-2047 : भारतीय समाज का सामूहिक सपना

हम सब अपनी मातृभूमि भारत से बेहद प्रेम करते हैं। हममें से प्रत्येक राष्ट्र के विकास एवं उत्थान के लिए अपना-अपना योगदान देते हैं। हमें मातृभूमि के भविष्य की चिंता भी रहती है। हम सबके मन में कल के भारत की कुछ छवियाँ भी बनी हैं। राष्ट्र के लिए हमारे सपने व्यापक हैं। यह सपने वह नहीं हैं, जो नींद में आते हैं, इन्हें हम पूर्ण जागृत अवस्था में बुनते और गढ़ते हैं। मातृभूमि के भविष्य के लिए योजनाएँ बनाते हुए हम सीमाओं में बँधे हो सकते हैं, परंतु जागृत अवस्था में हमारी कल्पनाएँ सीमाओं में नहीं बँधतीं। मुख्यतः हम अपने बच्चों और नाती-पोतों को कैसा भारत देना चाहते हैं, यही हमारे भारत के लिए सपनों का विषय होता है। हमारे सपने संभावनाओं से बहुत बड़े होते हैं। राष्ट्र, जो भविष्य के लिए योजनाएँ बनाता है, हमारे सपने उससे कहीं विस्तृत होते हैं। हमें यह भी मालूम है कि ऐतिहासिक अनुभव बताता है कि जागृत अवस्था में लिये हुए सपने वास्तविकता में भी बदल जाते हैं।

जैसे सामूहिक सोच राष्ट्र के विचारों का निर्माण करती है, उसी तरह हमारी सामूहिक संकल्पनाएँ भविष्य के भारत की रूपरेखा बनाती हैं। पंचनद शोध संस्थान में राष्ट्रजीवन के विभिन्न महापुरुषों के राष्ट्र के लिए सपनों की निरंतर जिज्ञासा रहती है। वर्ष 2021 के गणतंत्र दिवस पर पंचनद ने एक विमर्श का आयोजन किया, जिसमें ऐसे विद्वान् शामिल हुए, जो मीडिया और संवाद के माध्यम से राष्ट्रीय संवाद को प्रभावित कर रहे हैं।

भारत-2047 : भारतीय समाज का सामूहिक सपना

हमने अपनी-अपनी उन कल्पनाओं की सहभागिता की, जो हम उस समय के भारत के बारे में करते हैं, जब भारत को स्वाधीन हुए 100 वर्ष हो जाएँगे। एक और विमर्श का आयोजन हुआ, जिसमें सामूहिक निर्णय हुआ कि हम सब भारत 2047 के अपने सपनो को लिपिबद्ध करें। उत्साह इतना था कि विभिन्न विषयों पर निबंध आने प्रारंभ हो गए। व्हाट्सएप समूह में हमने एक-दूसरे के निबंधों का पढ़ा और प्रतिक्रियाएँ व्यक्त कीं। इस परियोजना की बात अन्य विद्वानों और शोधार्थियों तक पहुँची और अनेक विषयों पर अनेक विद्वानों ने निबंध भेजने प्रारंभ किए। पहले योजना थी कि हिंदी और अंग्रेजी भाषा के निबंधों की एक पुस्तक प्रकाशित की जाएगी, परंतु विद्वानों का उत्साह इतना हुआ कि निबंधों की संख्या बढ़ी और तय हुआ कि हिंदी और अंग्रेजी के लिए अलग-अलग ग्रंथ प्रकाशित किए जाएँ। दोनों पुस्तकों को एक साथ पढ़ने से भारत के भविष्य का एक दृश्य बनता है। ऐसा तो नहीं कहा जा सकता कि राष्ट्रजीवन के हर पहलू को प्रस्तुत किया गया हो और न ही पंचनद का यह दावा है कि यह कार्ययोजना है। यह उन नागरिकों के सपनों की दुनिया है जिनके लिए मातृभूमि, भारत के प्रति समर्पण सर्वोपरि है। हम भारत 2047 के अपने सपनों को आपके सम्मुख प्रस्तुत कर रहे हैं। डॉ. कृष्ण सिंह आर्य ऐसे भारत की संकल्पना कर रहे हैं, जिसमें न तो गरीबी है और न ही अशिक्षा। उनकी ऐसे भारत की कल्पना है, जिसमें वेदों के उस सूत्र को साकार करने की भारत में क्षमता है, जिसमें सबको सुखी, स्वस्थ और कष्टरहित बनाने की क्षमता है।

वायुसेना के वरिष्ठ अधिकारी सेवानिवृत्त श्री प्रकाश कुमार श्रीवास्तव चीन के संदर्भ में भारत की सुरक्षा का विश्लेषण करते हुए कल्पना करते हैं कि हमारी सुरक्षा एवं आक्रमण की व्यवस्थाएँ प्रौद्योगिकी आधारित बनेंगी। प्रो. पी. शशिकला, जो कि कंप्यूटर आधारित संवाद की विशेषज्ञ हैं, ऐसे भारत की कल्पना करती हैं, जो कि राष्ट्र की सभी व्यवस्थाओं में डाटा का उपयोग करता है। उन्होंने ऐसे भारत की भी कल्पना की है, जिसमें मूल्य आधारित प्रौद्योगिकी समाज में नैतिक जीवन की स्थापना हो। इस्लाम के सुप्रसिद्ध विद्वान् रामिश सिद्दीकी भारत को ऐसे आध्यात्मिक राष्ट्र के रूप में देखते हैं, जो पूरे विश्व को अध्यात्म की ओर अग्रसर करता है। ख्याति प्राप्त शोधार्थी डॉ. जयंती दत्ता नए भारत में ऐसे प्राध्यापकों की कल्पना करती हैं, जो शोध के माध्यम से राष्ट्र के पुनरुत्थान का मार्ग प्रशस्त करे।
भारत-2047 : भारतीय समाज का सामूहिक सपना
ग्रामीण जीवन ले लेकर वैश्विक भारत, धर्म-संस्कृति के साथ-साथ टेक्नोलॉजी, वित्तीय व्यवस्थाओं व राष्ट्रीय सुरक्षा आदि से संबंधित 100 वर्ष की आयु के भारत के स्वरुप की कल्पना शब्दों के माध्यम से प्रस्तुत की गई है.

अधिवक्ता रविंद्र कुमार रायजादा ने पूजा पद्धतियों एवं सांप्रदायिक विश्वासों की सामाजिक रचना का विश्लेषण करते हुए अल्पसंख्यकों की समस्याहीन सामाजिक व्यवस्था की कल्पना प्रस्तुत की है। भारतीय सेना के अनुभवी सेनानायक मेजर जनरल राजन कोचर ने ऐसा दृश्य प्रस्तुत किया है, जिसमें भारत की सेनाओं के युद्ध के अनुभवों के आधार पर देश की सार्वभौमिकता की सुरक्षा की रणनीति बने। उन्होंने संसाधनों के सदुपयोग की भी कल्पना की है। भविष्य के भारत की विदेश नीति और अंतरराष्ट्रीय संबंधों को प्रो. सतीश कुमार ने हरित वैश्विक व्यवस्था को स्थापित करने के नेतृत्व के रूप में देखा है। उन्होंने भारत 2047 में विदेश नीति को भारतीय ज्ञान परंपरा में नीहित सिद्धांतों के आधार पर संचालित होते हुए देखा है।

अर्थशास्त्र के अध्येता एवं प्राध्यापक प्रो. नरेंद्र कुमार बिश्नोई भारत को विश्व की आर्थिक व्यवस्था के ‘पावर हाउस’ के रूप में संकल्पना करते हैं। उनके अनुसार वर्ष 2047 तक भारतीय समाज में अर्थ एवं संपत्ति का संग्रहण भी भारतीय जीवन मूल्यों के अनुसार प्रचलित होगा और यह भ्रम टूट जाएगा कि भारत की जीवन-दृष्टि में धन-संग्रह को मान्यता नहीं है। वित्तीय दृष्टि से आनेवाला भारत अवसरों और चुनौतियों से भरपूर होनेवाला है। ऐसी कल्पना प्रबंधन के प्राध्यापक प्रो. करमपाल नारवाल ने प्रस्तुत की है। उनकी भविष्य की कल्पना है कि पूरे विश्व से भारत में बहुत अधिक मात्रा में पूँजी निवेश होनेवाला है। कृषि विषयों के विशेषज्ञ प्रो. अशोक कुमार सरैल ने कृषि उत्पादों के निर्यात में अति तीव्र गति से बढ़ोतरी की प्रस्तुति की है। उनके अनुसार भारत को विश्व की पहली या दूसरी अर्थव्यवस्था बनने का आधार कृषि उत्पादों का निर्यात ही होगा। अंग्रेज और पश्चिम के प्रभाव से मुक्त भारत की कल्पना मीडियाकर्मी एवं अध्येता सिद्धेश्वर शुक्ला ने की है। उन्होंने ऐसे भारत की कल्पना की है, जो प्राचीन और अर्वाचीन का उचित एवं विवेकपूर्ण सम्मिश्रण है। स्वतंत्रता प्राप्ति के 100 वर्ष पूर्ण होने पर भारत में मीडिया व्यवस्था की कल्पना प्रो. देवव्रत सिंह ने की है। उनके अनुसार भारतीय मीडिया की पहुँच और प्रभाव वैश्विक होगा। प्रो. देवव्रत के अनुसार भारत का जनमानस मीडिया उपयोग के मामले में बुद्धिशील और चतुर बनकर सामने आएगा। साईं वैद्यनाथन, जो कि पत्रकार एवं लेखक हैं, ऐसे भारत का दृश्य देख रहे हैं, जो आध्यात्मिक दृष्टि से विश्वगुरु है। उनके अनुसार पूरा विश्व सुख और शांति के लिए भारत के अध्यात्म में शरण लेगा। शिक्षा के माध्यम से हर वर्ग इतना सक्षम बने कि हर नागरिक सामाजिक योगदान करने की स्थिति में हो। ऐसी परिकल्पना शिक्षाविद् सविता भगतजी ने की है। उन्होंने ऐसे नागरिकों की कल्पना की है, जिनके मन में एकात्मकता का भाव सबल है। प्रशासन से संबंधित सुमंतो घोष चार आश्रमों और चार पुरुषार्थों पर आधारित समाज रचना 2047 तक निर्मित हुई देखते हैं। 

भारत-2047
पंचनद शोध संस्थान द्वारा आयोजित इस संवाद में राष्ट्र के बौद्धिक योद्धाओं ने मन की बात की है. संस्थान मानता है कि आलेखों में केवल सपना या कल्पना नहीं है, इसे कार्ययोजना भी माना जा सकता है.

प्राध्यापक डॉ. भरत अगले वर्षों में भारत में मशीन आधारित कृषि एवं बागवानी की कल्पना करते हैं। प्रो. करमपाल नारवाल ने एक अन्य निबंध में भारतीय कर व्यवस्था की ऐसी कल्पना की है, जिसमें शासन की व्यवस्थाएँ तो कम हों, परंतु नागरिकों के लिए प्रशासन अधिक हो। भारत 2047 की कल्पना न्याय व्यवस्था के सपने के बिना अधूरी है। अधिवक्ता राजेश श्योराण ऐसी व्यवस्था का सपना प्रस्तुत कर रहे हैं, जिसमें निर्णयों के स्थान पर न्याय हो और न्याय का आधार निष्पक्ष जाँच और वस्तुनिष्ठ विश्लेषण एवं समयबद्ध व्यवस्था हो। अंतिम निबंध में प्रो. बृज किशोर कुठियाला ने ऐसा सपना देखा है, जिसमें भारत राष्ट्र में आर्थिक समानता, सामाजिक समरसता, जीवनयापन संबंधित शिक्षा, धर्म आधारित समाज व्यवस्था, यम एवं नियमों का पालन एवं मानव के नियंत्रण में मशीनें एवं प्रौद्योगिकी राष्ट्र जीवन के आधार बिंदु हैं।

सपनों और परिकल्पनाओं की सीमा नहीं होती और निबंधों के रूप में उनकी प्रस्तुति कभी भी संपूर्ण नहीं होती। फिर भी कुछ नहीं से कुछ तो वांछित है। इस ग्रंथ में सम्मिलित निबंधों ने व्यापक रूप से विषयों को लिया है, परंतु यह भी मानना होगा कि और अधिक विषयों को लिया जा सकता था और लिया जाना चाहिए। सभी पाठकों के सुझाव हमें इस विषय को और परिष्कृत करने में सहायक होंगे। पंचनद शोध संस्थान सभी माननीय निबंध लेखकों को विद्ववत्तापूर्ण लेखों के लिए आभार प्रकट करता है और धन्यवाद देता है।

-प्रो. बृज किशोर कुठियाला.

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भारत-2047
लेखक : प्रो. बृज किशोर कुठियाला
पृष्ठ : 232
प्रकाशक : प्रभात प्रकाशन
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