चाँद पे चाय : रूमानी चाँदनी बातें

चाँद पे चाय

राजेश तैलंग मूल रूप से अभिनेता हैं मगर अपने पहले कविता संग्रह में ही वो चौंकाते हैं। वाणी प्रकाशन से निकला उनका पहला संग्रह 'चाँद पे चाय' रूमानी कविताओं से सजा है मगर ये कविताएँ भी ऐसी जिनकी भाषा सरल और भाव बेहद गहरे हैं। संग्रह के शुरूआती पन्ने पर ही लिखी उनकी कविता इतिहास की ये लाइनें देखिये,,

मेरी कविताएँ मत फाड़ना
ये दस्तावेज हैं इतिहास का
इन्हीं से तो जानेंगे
आने वाले लोग
तेरी सुंदरता और मेरा पागलपन

कितनी गहरी बात है ये किसी नये कवि की जिसमें कविता की महत्ता, प्रेयसी की सुंदरता और कवि के पागलपन की सारी बातें कुछ लाइनों में ही कह दीं। राजेश ने एनएसडी से अभिनय के पाठ पढ़े हैं। कविता के पाठ जाने कहाँ पढ़े हैं जो इतनी आसान और रोमांस में भीगी कविताएँ लिख दी हैं।

'बिन्दिया' कविता में लिखते हैं :
देखता हूँ जब कभी मैं आइना
अक्स तेरा ही दिखायी देता है
और दिखती है
ऊपर आईने के कोने में
चिपकी हुई तेरी बिन्दिया
टाँगे रहती है तेरे चेहरे को
आइने के साथ।

चाँद पे चाय : रूमानी चाँदनी बातें

रोमांस के अलावा उनकी कविताओं में महानगरों में जीने की बेकरारी, एक्टर का संघर्ष और रोजमर्रा की तकलीफों का भी जिक्र बेहद साफ सरल और आसान भाषा में नये नये प्रतीकों के साथ हुआ है। जैसे-
कल मिले थे वो डाकबाबू
जो तुम्हारा जवाब लाते थे
पूछते थे-
''कहाँ गये वो गुलाबी लिफ़ाफ़े
जिन पर बने होते थे दिल
आजकल सिर्फ आते हैं
बिजली पानी के बिल!''

इस संग्रह में राजेश ने कुछ छोटी मंझोली और कुछ लंबी कविताएँ भी लिखी हैं मगर वो इन कविताओं से ज्यादा हैरान करते हैं अपनी चार या दो लाइनों के मुक्तक में। इसमें कम शब्दों में गहरी बात कही गयी है।
मैं मेरा ख्याल
काश कि तेरा होता
मेरी आस किसान
तेरा प्यार मानसून बेईमान
अच्छे थे कड़की के दिन
खिड़की के दिन
उस लड़की के दिन

राजेश एनएसडी के प्रशिक्षित अभिनेता हैं तो घटनाओं को देखने का और भावनाओं का व्यक्त करने का उनका अलग तरीका है जो उन्होंने संभव है सीखा होगा। अभिनेता का ऑब्जर्वेशन उनकी कविताओं में हर वक्त छाया रहता है। मगर उनके अंदर अभिनेता की कलम से होने वाली अभिव्यक्ति की बार-बार दाद देने का मन करता है। अपने पहले कविता संग्रह में ही राजेश बड़ी उम्मीद जगाते हैं कि अभिनय के साथ-साथ वो अपनी कलम के लिए भी वक्त निकालें उनकी अभिव्यक्ति की सरलता और भावों की गहराई साहित्य को समृद्व ही करेगी। तभी तो गुलजार ने उन पर लिखा है कि राजेश तैलंग शोहरत के हाईवे के राहगीर हैं। खूबसूरत कविताएँ लुटाते आगे बढ़ रहे हैं। ये हाईवे शायद चाँद पर जाकर रूके।

-ब्रजेश राजपूत.
(लेखक ABP न्यूज़ से जुड़े हैं. उन्होंने कई बेस्टसेलर पुस्तकें लिखी हैं)

चाँद पे चाय
राजेश तैलंग 
वाणी प्रकाशन
124 पृष्ठ
किताब लिंक : https://amzn.to/3tOWLPS