प्रभात प्रकाशन ने इन दिनों कुछ बहुत खास किताबें प्रकाशित की हैं जिनमें वंदना सिंह की पुस्तक 'खुशियों का नेटवर्क', डॉ. संजय बियानी की पुस्तक 'स्वयं की खोज' आदि शामिल हैं। संताली के साहित्यकार बाबूलाल मुर्मू 'आदिवासी' पर डॉ. आर. के. नीरद ने एक पुस्तक लिखी है। इस पुस्तक में उनके साहित्यिक जीवन, गद्य-पद्य साहित्य के विविध आयामों, उनके साहित्य को विशेषता, उन्हें मिले सम्मान एवं पुरस्कार तथा उनको प्रकाशित-अप्रकाशित पुस्तकों की गहन जानकारी समायोजित है।
खुशियों का नेटवर्क / वंदना सिंह
यह व्यक्तिगत विकास से संबंधित एक ऐसी पुस्तक है, जो सिद्धांतों पर ज्यादा जोर न देते हुए व्यावहारिक प्रयोग पर बल देती है। यह पुस्तक पाठकों को खुशी के मंत्र प्रदान करती है, जिससे वह अपनी भाग-दौड़ भरी जिंदगी में 'खुश कैसे रहा जाए! बहुत आसानी से जान जाएँगे।
इस पुस्तक को पढ़ने के उपरांत आप अपनी सोच को नियंत्रित कर पाएंगे। हर पल आपको खुशी का एहसास होगा। आपको अपने चारों ओर सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह महसूस होगा। भावनात्मक रूप से आप आत्मनिर्भर होंगे। हर परिस्थिति में उत्साहित करनेवाले सकारात्मक तथ्यों को ढूँढ़ पाएंगे। जीवन के प्रति नजरिए में परिवर्तन होगा। आप अपनी सकारात्मकता को दूसरों में भी स्वतः ही प्रवाहित करने लगेंगे, जिससे आपके आसपास का वातावरण उल्लासपूर्ण हो जाएगा।
साथ ही अपनी जिन आदतों को आप परिवर्तित करना चाहते हैं, उसकी प्रक्रिया स्वयं प्रारंभ कर सकेंगे। आप अपने शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य को आकर्षित कर पाएँगे। अन्य लोगों के साथ आपके संबंध एवं व्यवहार में सुधार आएगा।
यह जीवन के आनंद, उल्लास और सार्थकता का बोध करानेवाली एक व्यावहारिक व पठनीय पुस्तक है।
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स्वयं की खोज / डॉ. संजय बियानी
अक्सर हम यही समझते हैं कि हमारी जिंदगी में परेशानियों का कारण बाहर है। वास्तव में जिंदगी आशा और निराशा दोनों से मिलकर बनती है। जिंदगी खुशी और गम दोनों से मिलकर बनती है। निराशा व हताशा के समय हम लोग बहुत घबरा जाते हैं और कुछ लोग तो जिंदगी से रुखसत होने की भी सोचने लगते हैं; लेकिन वास्तव में हमारा सही मायने में विकास तो इसी कारण से आरंभ होता है।
यह पुस्तक आपके जीवन में निराशा को खत्म कर देगी, आपके जीवन में आशा लेकर आएगी। आपको अधिक ऊर्जा के साथ काम करना सिखाएगी। आपमें प्रेम और त्याग को लाएगी। आपके जीवन में सहजता और सरलता लाएगी। आपके कार्य करने की क्षमता और अधिक बढ़ जाएगी।
जिंदगी बहुत खूबसूरत है। जीवन में निराशा, हताशा, कुंठा भले ही रहे, परंतु उनसे सामना करने का आपका तरीका काफी हद तक बदल जाएगा। ऐसी परिस्थितियों से मुकाबला हँसी-खुशी से करने लगेंगे। अपने जीवन में झाँककर परिस्थितियों से जूझकर, सफलता की राह दिखाती है यह पुस्तक।
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संताली के अप्रतिम साहित्यकार बाबूलाल मुर्मू 'आदिवासी' / डॉ. आर. के. नीरद
यह पुस्तक संताली के प्रख्यात लेखक, कवि, समालोचक और भाषाविद् बाबूलाल मुर्मू 'आदिवासी' के जीवन, व्यक्तित्व और कृतित्व को समग्रता से प्रस्तुत करती है। 15 अध्यायों में विभाजित इस पुस्तक में उनके साहित्यिक जीवन, गद्य-पद्य साहित्य के विविध आयामों, उनके साहित्य को विशेषता, उन्हें मिले सम्मान एवं पुरस्कार तथा उनको प्रकाशित-अप्रकाशित पुस्तकों की गहन जानकारी समायोजित है।
बाबूलाल मुर्मू का संताली भाषा-साहित्य को समृद्ध करने में महत्त्वपूर्ण योगदान है। उन्होंने संताली लोकगीतों का संग्रह, संताल में साहित्य सृजन तथा भाषा एवं संस्कृति आदि विषयों पर भरपूर लेखन किया। वे संताली पत्रिका 'होड़ सोम्बाद' के संपादक रहे। 1966 से 2004 तक उनकी 23 पुस्तकें प्रकाशित हुई, जबकि 13 पुस्तकें अप्रकाशित हैं।
विश्वभारती, शांति निकेतन सहित झारखंड और पश्चिम बंगाल के कई विश्वविद्यालयों के स्नातक एवं स्नातकोत्तर के पाठ्यक्रमों में उनकी रचनाएँ सम्मिलित हैं, किंतु उनके जीवन, व्यक्तित्व और कृतित्व पर समग्रता से जानकारी देनेवाली पुस्तक का अभाव था।
डॉ. आर. के. नीरद की यह पुस्तक इस अभाव को दूर करती है। बाबूलाल मुर्मू 'आदिवासी' पर अब तक जितने कार्य हुए हैं, उन सभी को इस पुस्तक में समायोजित करने का प्रयत्न किया गया है। यह पुस्तक इस दृष्टि से भी महत्त्वपूर्ण है कि इसमें संताली संस्कृति, कला, मिथकों और परंपराओं का दिद्वत्तापूर्ण विश्लेषण-विवेचन किया गया है।
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इंद्रधनुष के कितने रंग / डॉ. पीयूष रंजन
यह पुस्तक इंसान के इंद्रधनुषी भावनाओं के उन रंगों को सहेजने का एक प्रयास है, जिसका अनुभव जिंदगी के किसी-न-किसी मोड़ पर होता है। ‘इंद्रधनुष के कितने रंग’ जिंदगी के विविध रंगों को पन्नों पर उतरने की एक कोशिश है। इसमें जिंदगी के मूल्य को समझते हुए, अपने कृत्य के द्वारा जिंदगी को और भी ज्यादा मूल्यवान बनाने का संदेश दिया गया है।
जिंदगी दो पल की होती है। अफसोस, ज्यादातर लोग इस बात को जब तक समझ पाते हैं, तब तक ये पल बीत गए होते हैं।
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पेड़ों की छांव में / दयाकिशन शर्मा 'निशीथ'
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