जुहू चौपाटी : सहज, शांत और सुंदर लेखन

जुहू चौपाटी : सहज, शांत और सुंदर लेखन

कुछ किताबें एकदम शांत होती हैं। बहुत सहजता के साथ उन्हें रचा जाता है। उतना ही सहज पढ़ते हुए लगता है। लेकिन ऐसी किताबें ढ़ेरों सवाल छोड़ जाती हैं। फिर मन के कोनों में हलचल का तूफान आता है। गहराई तक उतर जाती हैं ऐसी किताबें। साधना जैन का उपन्यास 'जुहू चौपाटी' भी ऐसी ही किताब है जिसमें अनगिनत रंग हैं, लेकिन उनका प्रयोग कर जिस तरह कूची चलाई गई है, वह बहुत बेहतरीन है। एक तस्वीर जो उभकर सामने आई है उसे देखना, समझना और उस हलचल को महसूस करना अलग ही है। किताब का प्रकाशन हिन्द युग्म ने किया है।

यह उपन्यास मीरा नाम की एक मशहूर अभिनेत्री की मौत से शुरू हुई कहानी है। वह अपनी मौत के रहस्य को सुलझाने में उलझी है। उसके करीब रहने वाले पहले कैसे थे, अब कैसे हो गए। ज़िन्दगी जो दिखती है, वो होती नहीं। अनगिनत राज छिपे हैं। किसी पर भरोसा नहीं किया जा सकता। कई बार अपने भी परायों से पराये बन कर हमें डस लेते हैं। ज़िन्दगी के किस्से जब टूटती कश्ती पर सवार होकर दरिया को पार करते हैं तो बहुत कुछ बदल जाता है। मीरा ने अपने अतीत को याद किया है। उसकी ज़िन्दगी में उतार-चढ़ाव आए, वह उन थपेड़ों को सह न सकी और पति-बेटा दूर चले गए। एक वक़्त ऐसा भी आया जब उसने एक्टिंग को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया। एक रात वह सोयी फिर कभी न उठी। उसने खुद को मरे हुए देखा। उसने उन लोगों को भी देखा जो उसके करीबी थे। उसने वह सब देखा जो उसके जीवन-मरण से जुड़ा था।

साधना जैन के इस उपन्यास को जिस तरह लिखा गया वह दिल में उतर जाने वाले ढंग से बना है। यह तरीका इतना कारगर है कि पाठक बहुत शांत होकर पढ़ता है, जैसे दुनिया से कट गया हो। यह एक खूबी है जिसे हर उपन्यास में तो आजमाया नहीं जा सकता। लेकिन इसे पढ़कर यही लगता है कि साधना जैन कुदरती तौर पर ऐसा लिखती है जिसमें बहाव है, शांति है, सहजता है और यही उनके लेखन की सुंदरता है।

जुहू चौपाटी 
लेखक : साधना जैन
प्रकाशक : हिन्द युग्म
पृष्ठ : 172
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