पिशाच यानी परत-दर-परत गहराता रहस्य

पिशाच यानी परत-दर-परत गहराता रहस्य

सोशल मीडिया पर टेलीविजन पत्रकार संजीव पालीवाल के उपन्यास पिशाच के खूब चर्चे हैं। सच ये भी है कि उपन्यास पढ़ने के बाद आप भी मानेंगे कि ये चर्चे बेवजह तो नहीं हैं। कुछ बात तो है ही पिशाच में। जो इसे साल का चर्चित उपन्यास बनाता है।

सबसे पहले उस प्लॉट की चर्चा जिस पर ये उपन्यास रचा गया है। ये मर्डर मिस्टी पर बुना गया है और मर्डर भी ऐसा कि किताब के पांचवे पन्ने पर ही हो जाता है। और उसके बाद उपन्यास इस तेजी से बढ़ता हैं कि पाठक उपन्यास की गति से कदमताल करते रह जाते हैं। पहले गजानन स्वामी की हत्या फिर उसकी तफ्तीश आगे बढ़ती ही है कि अचानक गजानन से जुड़े पब्लिशर की हत्या फिर एक नेता की हत्या और इन सारी हत्याओं में समानता दीवार पर लिखे पिशाच की। ये पिशाच कौन था। या मारे जाने वाले लोग पिशाच थे तो उन पिशाचों की हत्या एक से अंदाज में बहुत ही वीभत्स तरीके से क्यों हो रही है। हत्या करने वाला या करने वाली शख्स क्यों टेलीविजन चैनल पर आकर अपनी कहानी कह रही है। हत्यारी टीवी पर आ भी रही है और पुलिस की गिरफ्त से वो क्यों बाहर है। हत्या किसने की इसका शक भी लगातार एक से दूसरे और तीसरे पर मंडराता रहता है। पुलिस जिसे परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के आधार पर हिरासत में लेती है वो क्यों मददगार साबित नहीं होती जबकि उसने अपनी फेसबुक पोस्ट पर सरेआम गजानन स्वामी के चेहरे से नकाब खींचा था।

बेहद कसा और बहुत सारे किरदारों से भरा ये उपन्यास है जो पाठक को सांस नहीं लेने देता। नयापन ये है कि समाचार चैनलों की दुनिया कैसे चलती है, पर्दे के पीछे क्या चल रहा होता है, कोई कार्यक्रम कैसे बनता और कैसे आन एयर होता है, ये सब विस्तार है इस उपन्यास में दिखाया गया है। हालांकि ये उपन्यास संजीव पालीवाल के पिछले उपन्यास नैना का विस्तार है। नैना में टीवी एंकर की मर्डर मिस्ट्री थी। तो पिशाच में पुराने उपन्यास के किरदारों से फिर मुलाकात होती है मगर नये अंदाज में। ये लेखक की सफलता है कि कैसे वो अपने पुराने उपन्यास के किरदारों को नये उपन्यास में नये अंदाज में जगह देते हैं। समाचार चैनलों की दुनिया में इन दिनों राष्ट्रवाद के नाम पर चल रही बेवजह की नौटंकी और भेड़चाल का संजीव ने बड़ी हिम्मत से ब्यौरा दिया है। कैसे सामान्य से पत्रकार राष्ट्रवाद की नाव पर सवार होकर सरकारी मदद से लार्जर दैन लाइफ बन जाते हैं और फिर कैसे खबरों के नाम पर भटकाने का खेल करते हैं इसे समझना है तो पिशाच की मर्डर मिस्ट्री के साथ इसे भी पाठक आसानी से समझ जाता है।
पिशाच यानी परत-दर-परत गहराता रहस्य
पिशाच का कथानक तो रोचक है ही उपन्यास की भाषा में बहुत सहज और प्रवाहपूर्ण है जो उपन्यास में पाठक को डुबो देती है। ये जरूर है कि उपन्यास में जिस अंदाज में कत्ल किये जा रहे हैं वो अंग्रेजी फिल्मों के सेक्स सीन की रंगीनियों और दक्षिण की फिल्मों की अतिरंजित हिंसा की याद दिलाता है। इससे बचा जा सकता था।

SANJEEV PALIWAL INTERVIEW

पिशाच का अंत बेहद रोचक रचा गया है। आमतौर पर जैसा कि अंग्रेजी सस्पेंस थ्रिलर फिल्मों में होता है वैसी ही बहुत कुछ सिचुएशन बनाकर लेखक ने अपने अगले उपन्यास की तैयारी कर ली है। आने वाले दिनों में संजीव का नैना और पिशाच के बाद कौन सा उपन्यास होगा इसका इंतजार उनके पाठकों को बेसब्री से रहेगा। ये साल का यादगार और चर्चित उपन्यास होगा इसमें कोई दो मत नहीं है। टेलीविजन पत्रकार से उपन्यासकार बने संजीव को दिल थाम कर पढ़ने वाले उपन्यास की बधाई।

~ब्रजेश राजपूत.
(लेखक ABP न्यूज़ से जुड़े हैं. उन्होंने कई बेस्टसेलर पुस्तकें लिखी हैं)

पिशाच
लेखक : संजीव पालीवाल
प्रकाशक : एका
पृष्ठ : 246
किताब लिंक : https://amzn.to/2YAII4k