ति​तलियों के पीछे : यादों में ताज़ा होता बचपन

ति​तलियों के पीछे : यादों में ताज़ा होता बचपन

शिवोहम् ने बचपन की यादों को ताज़ा कर दिया है। उन्होंने अपनी पुस्तक 'ति​तलियों के पीछे' में उस मासूमियत, उन शरारतों, उस वक्त को जीवित किया है, जिसे जीने की फिर से ख्वाहिश रहती है। शिवोहम् हमें गाँव में ले जाते हैं, पग​डंडियों की सैर कराते हैं, खेत, मिट्टी, तितलियों के पीछे दौड़ना, अल्हड़ मस्ती के दिनों में ले जाते हैं। वे भी क्या दिन थे?

यह बहुत ही दिल से लिखी गयी किताब है जिसे पढ़ना बचपन में लौटना है। किताब का प्रकाशन हिन्द युग्म ने किया है।

ति​तलियों के पीछे कोट्स

खेतों के बीच पगडंडी पर बैठ रोने का फायदा यह होता है कि आस-पास कोई सुनने वाला नहीं होता और जब कोई सुनने वाला नहीं होता तो दुख जल्दी कम हो जाता है.

शिवोहम् हिंदी कोट्स

भूल जाने की कला ही बचपन को बचपन बनाती है.

शिवोहम् हिंदी कोट्स

कहानियाँ केवल सुलाती नहीं बल्कि सिखाती भी हैं.

ति​तलियों के पीछे कोट्स

कहानी में प्रश्न की कोई जगह नहीं हुआ करती. उसमें केवल हामी भरने की जरुरत होती है. उसे वैसे ही सुनना होता है जैसा सुनाने वाला सुनाता है.

ति​तलियों के पीछे 
लेखक : शिवोहम्
प्रकाशक : हिन्द युग्म
पृष्ठ : 128
किताब लिंक : https://amzn.to/3kCBwhl