मंजुल पब्लिशिंग हाउस से देवदत्त पट्टनायक की तीन खास किताबें प्रकाशित हुई हैं। इन किताबों में उन्होंने सफलता, नेतृत्व और योग्यता की चर्चा की है।
किताबें हैं -
🌸 सक्सेस सूत्र : धन का भारतीय दृष्टिकोण
🌸 लीडरशिप सूत्र : शक्ति का भारतीय दृष्टिकोण
🌸 टैलेंट सूत्र : ज्ञान का भारतीय दृष्टिकोण
सक्सेस सूत्र : धन का भारतीय दृष्टिकोण
अधिकतर व्यक्ति धन और सफलता की चाह रखते हैं। ऐसी बहुत-सी प्रबंधन पुस्तकें हैं जो इस बात की सैद्धान्तिक तथा तकनीकी जानकारी देती हैं कि धनी और सफल कैसे बना जाए। ये सभी पुस्तकें हमें धन की देवी लक्ष्मी के पीछे जाने की सलाह देती हैं, ताकि हम उन्हें अपना बना सकें। लेकिन प्रसिद्ध चिंतक तथा पुराण-विद्या विशेषज्ञ देवदत्त पट्टनायक लिखते हैं कि समृद्धि तथा तृप्ति के बारे में भारतीय द़ृष्टिकोण लक्ष्मी का अंधाधुंध पीछा करने के विरुद्ध चेतावनी देता है। इसके बजाय हमें पाने के लिए देना सीखना चाहिए और अपनी क्षुधा शांत करने के लिए अन्य लोगों की भूख को संतुष्ट करना चाहिए। यदि हम यह मूलभूत सच्चाई सीख लें और इस पर अमल करें तो लक्ष्मी हमारे घरों तथा जीवन में वास करने लगेंगी।
देवदत्त पट्टनायक की मशहूर बेस्ट सेलर बिज़नेस सूत्र से प्रेरित यह पुस्तक प्रबंधन व बिज़नेस पर आधारित है, तथा धन व सफलता को सृजित करने के बारे में अंतर्द़ृष्टियों से भरपूर है।
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शक्ति का भारतीय दृष्टिकोण
हमारे भीतर प्रबंधन में शक्ति की भूमिका को जानने की प्रवृत्ति होती है और हम खुले तौर पर यह मानने में विफल रहते हैं कि कैसे वर्चस्व जमाने की पशुवत इच्छा श्रेष्ठ संगठनों को भी अक्सर नष्ट कर देती है। आलोचकों में शक्ति को नकारात्मक वस्तु के रूप में देखने की प्रवृत्ति होती है। इसे नियमों के जरिए सीमित करने की किसी भी कोशिश का परिणाम विद्वेष के रूप में सामने आता है तथा संगठन को ऊर्जा प्रदान करने में विफल रहता है। लीडर अक्सर अपनी तुलना सिंह से करते हैं और वर्चस्व क़ायम करने की इच्छा जताते हैं, जबकि वास्तव में नेतृत्व का लक्ष्य हम सबमें विकसित होने वाले सिंह के भाव से पर्याप्त सुरक्षित रहने तथा हमारे आसपास के लोगों को सामर्थ्यवान और शक्तिशाली बनाने का होना चाहिए।
यह पुस्तक देवदत्त पट्टनायक की बिज़नेस सूत्र से प्रेरित है और शक्ति तथा लीडरशिप के क्रियान्वयन पर चौंकाने वाली अंतर्द़ृष्टि प्रदान करती है।
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ज्ञान का भारतीय दृष्टिकोण
हम उन लोगों की कल्पना को नियंत्रित करना चाहते हैं जो हमारे लिए काम करते हैं, उनके मस्तिष्क को काम से ध्यान नहीं हटाने हेतु रोकते हैं। फिर भी हर व्यक्ति एक परिकल्पित वास्तविकता में जीता है। यह जानने से हमें प्रतिभा के साथ काम करने, मज़बूत रिश्ते बनाने तथा लोगों को वफ़ादारी तथा धैर्य के साथ किसी भी हालात का मुक़ाबला करने के लिए तैयार करने में मदद मिलती है। कल्पना को पहचानने में विफलता वह कारण है जिससे परिवारों द्वारा संचालित व्यापार-समूह पेशेवरों का प्रबंधन करने में असमर्थ हो जाते हैं और पेशेवराना ढंग से संचालित हो रहीं कंपनियाँ अप्रभावी व यांत्रिक प्रतिभा प्रबंधन प्रणालियाँ बना लेती हैं। प्रशिक्षण, शिक्षा और विकास केवल कौशल, ज्ञान तथा योग्यता के बारे में नहीं हैं, बल्कि मानव की सराहना करने के बारे में हैं। यह इस बात को पहचानने के बारे में है कि ना तो हम और ना ही हमारे आस-पास के लोग प्रोग्राम करने योग्य मशीनें हैं जिनसे हम खेल सकें।
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