लेखक राजगोपाल सिंह वर्मा ने अलग-अलग विषयों पर बेहतरीन कार्य किया है. उनके चर्चित उपन्यास 'बेगम समरू का सच' को उत्तर प्रदेश के राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान द्वारा पं. महावीर प्रसाद द्विवेदी पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. उनकी दो किताबें, इश्क़...लखनवी मिज़ाज़ का और बेगम समरु का सच चर्चा में रही हैं.
इश्क़...लखनवी मिज़ाज़ का :
इश्क़... लखनवी मिज़ाज़ का' में राजगोपाल सिंह वर्मा ने प्रेम की दास्तानों को पिरोया है। कुछ परवान चढ़ीं, कुछ अधूरी रह गयीं। इसमें रूटी और मुहम्मद अली जिन्ना की बेमेल प्रेम कहानी का जिक्र है। दोनों की उम्र में भारी अंतर था। जिन्ना के सामने तो रूटी एक बच्ची थी। किताब में पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री लियाकत अली खान की प्रेम कहानी भी है। उन्होंने आइरीन से दूसरी शादी की थी। गन्ना बेगम और जवाहर सिंह की अधूरी दास्तान भी इस किताब में दर्ज है। बेगम समरु के प्रेम त्रिकोण के बारे में पढ़ना बहुत दिलचस्प है। साथ में अन्य कहानियाँ भी हैं। सभी रोचक हैं और आखिर में विचार करने पर मजबूर कर देती हैं। राजगोपाल जी ने इतिहास को फिर से जीवित किया और धड़कते दिलों की आवाज़ को सुना है। उन्हें अपने अंदाज़ में बयान किया। इस संग्रह की हर कहानी अपने में ख़ास है।
यहां इतिहास को प्रमाणिकता के साथ संग्रहित किया गया है। लेखक ने इश्क़ को नयी आवाज़ देने की कोशिश की है। प्रेम की भाषा को अलग मुकाम तक पहुंचाने का प्रयास किया है।
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बेगम समरु का सच :
सरधना की मशहूर बेगम समरु पर पहले भी लिखा गया है, लेकिन उसमें बहुत कुछ छूट रहा था। राजगोपाल सिंह वर्मा ने अपने उपन्यास 'बेगम समरु का सच' में बेगम की जीवनी के माध्यम से इतिहास को फिर से जीवंत कर दिया है। यह उपन्यास इतना चर्चित रहा है कि इसे प्रतिष्ठित पं. महावीर प्रसाद द्विवेदी सम्मान दिया गया है।
राजगोपाल वर्मा इतिहास पर कितना समय खर्च करते हैं, यह उनकी किताबें बताती हैं। बेगम समरु के इतिहास को उन्होंने प्रमाणिकता के साथ प्रस्तुत किया है। एक नाच-गाना करने वाली लड़की किस तरह एक जागीर की शासक बन जाती है, यह जानना बेहद दिलचस्प है। 'बेगम समरु का सच' बहुत ही रोचक ढंग से लिखा गया है, जिसे पढ़ना अलग अनुभव है। बेगम की बुद्धिमत्ता, उसकी राजनीति और कूटनीति का बारीकी से निरीक्षण करने का अवसर यह उपन्यास देता है। सबसे बड़ी बात यह कि 58 साल तक शासन करने वाली बेगम का सफर उतार-चढ़ाव भरा रहा, जिसे राजगोपाल वर्मा ने बहुत ही सरल और सधी हुई कलम से बयान किया है।
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