अनमोल दुबे ने प्रेम की छींटों के सहारे, प्रेम की अनुभूति के सहारे संसार रचे हैं.
अनमोल दुबे को संभावनाओं से भरा लेखक कहा जा सकता है। उनका पहला कहानी-संग्रह 'कारवाँ गुलाम रुहों का' राजमंगलम प्रकाशन से प्रकाशित हुआ है। अनमोल ने प्रेम और रिश्तों की अलग बुनावट को हमारे सामने प्रस्तुत किया है। उनकी भाषा सरल है, लेकिन वह सरलता और उसे कहने का तरीका उन्हें पठनीय बनाता है।
'मगर तुम न आए' आखिर में बेहद संवेदनशील बन जाती है। प्रखर और मोहिनी जैसे पात्र हमारे करीब हैं। प्यार की बारिशों में भीगने वाले मन हैं जिन्हें अंतिम सांस तक इश्क़ है और जो उस वादे को निभाने से नहीं चूकते जिसकी उन्होंने कभी कसमें ली थीं।
पहले प्यार का अहसास कुछ यूं बयां किया है -'वो कहते हैं ना, पहले प्यार का अहसास ही बहुत गज़ब होता है। अगर वो प्यार दोनों तरफ से हो तो क्या कहने। प्यार दुनिया का सबसे ख़ूबसूरत अहसास होता है, जिसे लफ़्ज़ों में बयां नहीं किया जा सकता।'
प्रखर की मोहिनी ज़िंदगी की जंग हार रही है और प्रखर अपने सपनों को पूरा कर रहा है। वह मोहिनी के इ.मेल को सालों बाद पढ़ता है, तो वह बुरी तरह हिल जाता है। जब वह पहुंचता है तो उसे एक कंकाल मिलता है जो बिस्तर पर पड़ा था। उसे एक डायरी भी मिलती है जिसके पन्ने पलटते हुए वह बहुत भावुक हो जाता है। उसे खुद पर गुस्सा भी आता है। वह मोहिनी के कंकाल को लेकर अंतिम संस्कार के लिए बनारस चल पड़ता है। आखिर ऐसा क्या हुआ कि दो दिल मिल न सके? आखिर क्या वजह रही कि मोहिनी एक कंकाल में तब्दील हो गई? उस इ.मेल में ऐसा क्या था जिसने प्रखर को हिला कर रख दिया? ऐसे कई सवालों के जवाब किताब की पहली कहानी हमें देगी।
'ऑनलाइन मोहब्बत' और 'डियर डायरी' पढ़ना भी खूबसूरत अनुभव हो सकता है। 'डियर डायरी' में नूपुर मिश्रा नाम की लड़की को युग से प्यार हो जाता है। वह अपने प्यार की कहानी को डायरी में दर्ज करती है। अनमोल ने नूपुर के बहाने एक दिलचस्प डायरी प्रस्तुत की है।
अनमोल दुबे ने प्रेम की छींटों के सहारे, प्रेम की अनुभूति के सहारे संसार रचे हैं। हर कहानी का अलग संसार जिसमें उनके दिल की बातें भी हैं, उनके अपने अनुभव भी हो सकते हैं या आसपास की घटनाएं जो उन्होंने महसूस की हों।
यह कहानियाँ दिल से निकली कहानियाँ हैं। आज के युवाओं को इस तरह की कहानियाँ पसंद हैं। कहना गलत न होगा कि ये किताब जवां दिलों की धड़कन को पहचान कर लिखी गई है।