यह किताब हमें टॉपर बनने के लिए वह कारगर टिप्स प्रदान करती है जो किसी के लिए भी मुश्किल नहीं हैं.
'जीरो से गोल्ड मेडलिस्ट' एक प्रेरणादायक किताब है। यह किताब हमें जीवन में सफलता हासिल करने के आसान और कारगर तरीके बताती है। लेखक बी.पी. सिंह द्वारा लिखी यह पुस्तक प्रभात प्रकाशन ने प्रकाशित की है।
पुस्तक के माध्यम से यह बताने की कोशिश की गयी है कि यदि सफलता पानी है या किसी भी शीर्ष पर पहुंचना है तो उसके लिए कुछ बेहद सरल तरीके अपनाने से राह आसान हो सकती है। लेखक कहता है कि गोल्ड मेडलिस्ट या टॉपर बनने के लिए एक विद्यार्थी को कई प्रकार की रणनीतियां बनानी पड़ती हैं। उनमें उसे समय के अनुसार फेरबदल करना पड़ता है। इससे रणनीतियों में सुधार हो सकता है जो भविष्य के लिए बेहतर साबित हो सकता है। उन रणनीतियों का दृढ़ता से पालन कर निर्धारित लक्ष्य तक पहुंचा जा सकता है।
सर्वश्रेष्ठ बनने में आपके समक्ष विभिन्न प्रकार की चुनौतियां आती हैं, बहुत बड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ता है। जो विद्यार्थी अपने स्कूल या कॉलेज के दिनों में सफलता को प्राप्त करते हैं, उन्हें भविष्य में, जीवन के तमाम पड़ावों, में प्रतिस्पर्धा का सामना करना और रणनीति बनाकर सफल होना अच्छी तरह आ जाता है और जब ये विद्यार्थी अपने व्यावसायिक/सार्वजनिक जीवन में उतरते हैं तो इन्हें इनके चुने हुए क्षेत्र में औरों के मुकाबले सफलता आसानी से मिल जाती है। क्योंकि चुनौतियों से निपटना, परिस्थितियों के अनुसार रणनीति बनाना, समय प्रबंधन, अधिक परिश्रम करना, जुझारुपन, कमियों को ठीक करना, गलतियों से सीख लेना, बेस्ट प्रैक्टिसेज को आत्मसात करना इत्यादि इन्हें अच्छे से आता है। अतः टॉप करने का अर्थ केवल यह नहीं होता कि बस आप सर्वश्रेष्ठ विद्यार्थी साबित होते हैं, असल में टॉप करनेवाले विद्यार्थियों में विभिन्न प्रकार के गुण भी विकसित हो जाते हैं, जो जीवन को आत्मविश्वास और साहस से भर देते हैं।
लेखक बी.पी. सिंह ने अपने जीवन अनुभवों के सार को इस किताब में समाहित किया है। वे बचपन में खूब शरारती थे। वे गंभीर भी नहीं थे, तथा चीज़ों को बेहद हल्के में लेते थे। पढ़ाई-लिखाई से जान चुराते थे। यही वजह रही कि शुरुआती कक्षाओं में जैसे-तैसे पास हुए। दसवीं तक पहुंचे तो थर्ड डिविजन मिला। ग्यारहवीं में फेल हुए। बारहवीं में पहुंचे तो सेकेंड डिविजन हासिल किया। स्नातक से उनकी जिन्दगी का रुख बदला क्योंकि वहां ऐसी घटनायें हुईं जिन्होंने उनका नजिरया पूरी तरह बदल कर रख दिया। वे मेधावी छात्रों में जाने जाने लगे। विश्वविद्यालय से बी.पी. सिंह गोल्ड मेडलिस्ट बनकर निकले। इसके पीछे असफलताओं का समझना, उनपर मंथन करना और भविष्य में गलतियां न हों उसपर विचार कर आगे बढ़ना शामिल रहा।
जब आप टॉप करनेवाले मार्ग पर चल पड़ते हैं तो हमेशा के लिए आप इसी रास्ते को पसंद करेंगे। यह आपके आदत में आ जाएगा, फिर आपको यही रास्ता सबसे सरल दिखाई पड़ेगा, हो सकता है दूसरों को यह रास्ता बड़ा मुश्किल जान पड़े।
लेखक कहते हैं कि अधिक से अधिक ज्ञान प्राप्त करने में रुचि होना मनुष्य का प्राकृतिक गुण है। शिक्षा ग्रहण करने से दूर भागना हमारे प्राकृतिक गुणों का अनादर है। शिक्षा ही हमें पृथ्वी पर मौजूद सभी प्रकार के जीवों में अलग और सर्वश्रेष्ठ बनाती है। उन्होंने कई ऐसे उदाहरण दिए हैं जिससे स्पष्ट होता है कि शिक्षा क्यों जरुरी है। साथ ही किताब अध्ययन पर जोर देती है। अध्ययन के बल पर हम चीज़ों को बारीकी से समझ सकते हैं, उनके बारे में बेहतर ढंग से जान सकते हैं। इसलिए अध्ययन की अवश्यकता है।
किताब यह भी बताती है कि हमें वही करना चाहिए जिसमें हमारी रुचि हो। इसका यह मतलब नहीं कि पढ़ाई-लिखाई से दूर जाना होगा। बल्कि उस विषय का चुनाव करना चाहिए जो भविष्य के लिए हमें लक्ष्य की प्राप्ति में सहयोग करे। पहले अपने रुचिकर क्षेत्र की पहचान करें। उस समझ को विकसित करना जरुरी है। बाद में उसपर आगे की रणनीति बनानी चाहिए।
एक बेहद ख़ास बात लेखक ने कही है कि हर मुश्किल का कोई-न-कोई समाधान जरुर होता है अतः आपको अपनी हर मुसीबत के लिए समाधान खोजना है, न कि परिस्थितियों को दोष देकर समय बरबाद करना। उनकी यह बात शत-प्रतिशत सही है। परिस्थितियां हमारे बस में नहीं हैं। उनमें बदलाव होता रहता है। हर नुक्सान या असफलता का दोष उनपर मंढना सही नहीं। यह समय को बरबाद करता है। आगे की हमारी योजना को प्रभावित भी करता है।
बी.पी. सिंह ने ए.पी.जे. अब्दुल कलाम, धीरुभाई अंबानी, स्टीफन हॉकिंग आदि महान हस्तियों के उदाहरण देकर यह बताने की कोशिश की है कि मुश्किल से मुश्किल हालात में भी वह कार्य किया जा सकता है जिससे दुनिया में हमारी एक अलग छाप बन सके।
किताब कहती है कि प्रेरणा अंदर से जाग्रत होती है। लेखक स्वयं शुरुआती दिनों में पढ़ाई में बेहद फिसड्डी थे। बाद में उन्होंने खुद मंथन किया, समझ को विकसित किया। बाद में वे खुद से प्रेरित हुए और विश्वविद्यालय से गोल्ड मेडलिस्ट के तौर पर निकले। लेखक कहते हैं कि यदि आप विद्यार्थी जीवन में हैं तो आपका मूल्यांकन केवल पढ़ाई में आपके प्रदर्शन से ही किया जाता है। आप कितने भी भले, बुद्धिमान हैं, उस समय आपके नंबर ही आपका मूल्यांकन करेंगे।
किसी भी लक्ष्य की प्राप्ति के लिए यदि संसाधनों की कमी हो तो उसे रुकावट बनने न दें, क्योंकि वह कुछ न करने के बहाने बनाने के लिए अच्छा है, परंतु कुछ प्राप्त करने के लिए संसाधनों की जरुरत उतनी आवश्यक नहीं होती, जितनी हम समझते हैं।
लेखक ने दृढ़ इच्छाशक्ति के बल पर सफलता प्राप्त की और आगे बढ़ते गये। उन्होंने सीख लिया था कि कोई भी विपरीत परिस्थिति आपकी इच्छाशक्ति से बड़ी नहीं हो सकती।
किताब में लेखक ने अपनी पहली वास्तविक समय-सारणी भी प्रस्तुत की है जिसमें उन्होंने अपने सुबह और शाम का रुटीन दर्ज किया है। उन्होंने पढ़ाई की रणनीति और परीक्षा की रणनीति पर भी विस्तार से चर्चा की है।
लेखक कहते हैं कि उन्होंने स्वयं सफलता के जिन फ़ॉर्मूलों को परखा है उसे उन्होंने इस पुस्तक में प्रस्तुत कर दिया है ताकि अधिक से अधिक लोगों को लाभ मिल सके। सबसे पहले हमें खुद की मैपिंग यानी परख करनी चाहिए कि हम किस क्षेत्र के लिए उचित हैं। अपने स्वास्थ्य का ख्याल रखना जरुरी है क्योंकि स्वस्थ मन में स्वस्थ विचार आते हैं। कक्षाओं में नियमित भाग लेना चाहिए। हर क्लास महत्पूर्ण है क्योंकि विषय की चर्चा से हम कुछ न कुछ सीखते हैं और इसे एक नियमितता बनी रहती है। समय प्रबंधन बेहद जरुरी है। इसके लिए सारणी के मुताबिक पढ़ाई की जा सकती है जिससे हर विषय का अध्ययन करना आसान हो जाता है। लेखक ने स्कूल-कॉलेज और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों के लिए समय-सारणी के प्रारुप भी दिए हैं। किताब हमें मनोवैज्ञानिक तौर पर भी तैयार करने की बात करती है। घबराहट किसी भी व्यक्ति को जीतने से पहले हरा सकती है। इसलिए किसी भी चुनौती से डरने की जरुरत नहीं है, उनसे लड़ जाओ, डर केवल दिमाग की उपज है। किसी भी चुनौती पर विजय हासिल की जा सकती है। जीत के बाद का जो सुखद अहसास होता है, वह सर्वश्रेष्ठ है।
परीक्षा की रणनीति पर किस तरह काम करें इसपर किताब कहती है कि किसी भी चैप्टर को पढ़ने के बाद उससे संबंधित अधिक से अधिक मॉडल पेपर और पिछले वर्षों में पूछे गए प्रश्नों को हल करने की कोशिश करें। यह किसी भी बोर्ड परीक्षा या अन्य परीक्षा में सफलता पाने का सबसे सरल तरीका है। साथ ही एक समय-सारणी बनायें जिससे हर विषय पर नियम के साथ समय दिया जाए। तनाव से दूर रहने के लिए पर्याप्त नींद की जरुरत है।
कुल मिलाकर यह किताब हमें टॉपर बनने के लिए वह कारगर टिप्स प्रदान करती है जो किसी के लिए भी मुश्किल नहीं हैं।