चेतन भगत अमूमन ऐसे उपन्यास लिखते हैं जिनमें प्यार, दोस्ती और परिवार की बातें होती हैं। उनके पात्र इश्क करते हैं, इश्क में डूबते हैं, तैरते हैं, घुल जाते हैं और प्यार में अपनी ज़िंदगी को अजीब-सी भी बना लेते हैं। चेतन प्यार की दास्तानों को धीरे-धीरे कहते हैं, पाठकों को उनका यह अंदाज़ बेहद लुभाता है। वे अक्सर युवाओं की नौकरी-चाकरी की बात करते हैं। उनके करियर के उथलपुथल भरे संसार की रचना करते हैं। रिश्ते-नाते कई बार ऐसे मोड़ पर आ पहुंचते हैं कि कहानी में जबर्दस्त ट्विस्ट आ जाता है। लेकिन अब चेतन भगत अपनी पिछली किताब से थोड़ा अपराध भी घोलते हुए नज़र आये हैं। 'द गर्ल इन रुम 105' से उन्होंने केशव और सौरभ की जुगलबंदी को पाठकों के सामने प्रस्तुत किया। जुगलबंदी बेजोड़ रही। वह किताब बेस्टसेलर रही। यानी मर्डर वाली स्टोरी काम कर गयी। इस बार फिर से चेतन भगत केशव और सौरभ को लेकर आए हैं।
'वन अरेंज्ड मर्डर' में दो दोस्त एक मर्डर गुत्थी को सुलझाते हैं। यह वे किस तरह करते हैं, यह किताब पढ़कर जाना जा सकता है। लेकिन जिस तरह वे उसे सुलझाते हैं, यह बहुत से पाठकों को हैरान कर सकता है।
चेतन भगत ने अपना वही अंदाज़ रखा है, जैसा वे अक्सर होते हैं -बहुत तेज नहीं, धीरे-धीरे कहानी कहना। कहानी जैसे-जैसे आगे बढ़ती है, पाठक उसमें जुड़ता जाता है। देखते ही देखते आप चेतन के साथ उनकी यात्रा में शामिल हो जाते हैं। अब वे बता रहे हैं, आप उसे होता हुआ महसूस कर रहे हैं। इस तरह जब वे केशव और सौरभ की जोड़ी को मर्डर की गुत्थी को सुलझाने के लिए सबूत एकत्रित करते हुए देखते हैं, तो हर पाठक की अपनी राय हो सकती है। वह अपनी तरह से सोच रखता है। उसे जो लगता है, वो शायद चेतन भगत को न लगता हो, वो शायद अपनी तरह से आगे की घटनाओं को सोच रहा हो। इस तरह सबूत को जमा करने का काम पाठक भी कर रहे होते हैं। सबके अपने-अपने कयास हो सकते हैं। सच सामने आने में कितनी देर लगती है। यह जानना बेहद दिलचस्प है।
प्रेरणा नाम की एक लड़की है। उसका एक भरा-पूरा परिवार है। वह अपने एक सहयोगी के साथ स्टार्टअप शुरु कर चुकी है। सौरभ से उसकी शादी होने में ज्यादा दिन नहीं बचे हैं। वह एक अरेंज्ड मैरिज है। करवा चौथ का दिन है। प्रेरणा अपने होने वाले पति के लिए व्रत रखती है। वह बिल्कुल भूखी है। फोन करके वह सौरभ को व्रत तोड़ने के लिए छत पर बुलाती है। सौरभ के आने से पहले वह छत पर पहुंच जाती है। सौरभ शादी से पहले इस करवा चौथ को लेकर बेहद रोमांचित है। वह दौड़कर छत पर पहुंचता है, और फिर...
सौरभ जब छत से उतरा तो उसके हाथ में प्रेरणा का दुपट्टा था, एक छलनी थी। और सड़क पर प्रेरणा की लाश पड़ी थी।
अब शक की सुई सौरभ पर भी जाती है। मगर बाद में ऐसा कुछ होता है कि शक परिवार की ओर चला जाता है। परिवार के लगभग सभी सदस्यों पर शक का खतरा मंडराता है। पुलिस के साथ मिलकर सौरभ और उसका दोस्त केशव अपनी नौकरी करते हुए इस केस को अपने हाथ में लेते हैं। चूंकि दोनों एक डिटेक्टिव एजेंसी भी चलाते हैं। हौज़ ख़ास पुलिस ऑफिस में एसीपी राणा उन्हें अच्छी तरह जानते हैं। दोनों ने चर्चित ज़ारा लोन मर्डर केस को भी सुलझाने में पुलिस की बहुत मदद की थी। इसलिए इंस्पेक्टर सिंह के साथ वे प्रेरणा मर्डर केस को अपने हाथ में लेते हैं।
इस उपन्यास में घटनाओं में बहुत तेज़ गति से मोड़ नहीं आते। सब संजीदगी से चलता है। एक पात्र है अंजलि जो इस उपन्यास में ऐसा ट्विस्ट लाती है, कि आप चौंक जाएंगे। सचमुच एक दुबली-पतली लड़की आपको इस कदर हैरान कर सकती है कि आप सोच भी नहीं सकते। प्रेरणा की हत्या का जिम्मेदार परिवार का एक आदमी जेल जा चुका होता है, तभी एक ऐसा खुलासा होता कि परिवार हक्काबक्का रह जाता है। यह है इस उपन्यास का असली सस्पेंस।
कुल मिलाकर उपन्यास शुरु से आखिर तक बेहद मजेदार है। जिस स्टाइल के लिए चेतन भगत जाने जाते हैं, वह तो है, साथ में अपराधी को पकड़ने के लिए जिस तरह के जाल को बुना गया है, वह भी पाठकों को पसंद आ रहा है। किताब पहले अंग्रेजी में आई थी जो बेस्टसेलर रही। हिंदी अनुवाद किया है सुशोभित ने। आखिर में -इस उपन्यास में किसान आंदोलन का मामूली जिक्र है।