सुधा मूर्ति ने बच्चों को ध्यान में रखकर कई पुस्तकें लिखी हैं। प्रभात प्रकाशन ने उनकी किताब 'गोपी की डायरी : जब गोपी घर पहुंचा' प्रकाशित की है। यह किताब 'The Gopi Diaries : Coming Home' का हिन्दी अनुवाद है। अनुवाद किया है रंजना सहाय ने।
'गोपी की डायरी' बच्चों के लिए लिखी तीन किताबों की एक ख़ास शृंखला है। यह किताब शृंखला की पहली पुस्तक है।
सुधा मूर्ति के पास कहानी लिखने का अपना अंदाज़ है। उनकी सरल और रोचक भाषा-शैली को पाठक पसंद करते हैं। 'गोपी की डायरी' भी उसी अंदाज़ में लिखी गई है जिसे बच्चे और बड़े, सभी पढ़ सकते हैं।
उन्होंने इस कहानी में अपने पालतू कुत्ते गोपी को मुख्य पात्र के रुप में प्रस्तुत किया है। कहानी को गोपी खुद सुना रहा है। यानी उन्होंने एक कुत्ते की नज़र से दुनिया को समझने की कोशिश की है।
नन्हें गोपी को उसकी माँ और बाकी भाई-बहनों से अलग कर एक नए माहौल में परवरिश की जाती है। वह धीरे-धीरे चीज़ों को देखकर-समझकर परिपक्वता की ओर बढ़ता जाता है। वह सीखता है, महसूस करता है। हर कोई उसे पसंद करता है। उससे प्यार करने वालों की परिवार में कोई कमी नहीं। उसे किसी चीज़ की दिक्कत महसूस नहीं होने दी जाती। वह सबका राजदुलारा है। वह घर का स्थायी सदस्य बन जाता है।
जब वह घर में एक भूरे रंग की टोकरी में लाया जाता है, तो घर की महिलाएँ उसकी आरती उतारती हैं। गोपी कुछ समझ नहीं पाता। वह दीए की लौ को देखकर घबरा जाता है। महिलाएँ कहती हैं,'छोटे से बच्चे का स्वागत है। हम आरती और आशीर्वाद के साथ नए घर में तुम्हारा स्वागत करते हैं। आज से तुम हमारे घर के एक सदस्य हो।'
फिर गोपी का परिवार के सभी सदस्यों से परिचय कराया जाता है। कुछ सदस्यों ने उसपर इतना दुलार दिखाया कि वह साँस लेने तक के लिए संघर्ष करने को मजबूर हो गया। बहुत मुश्किल से वह उनके चंगुल से बाहर निकल पाया।
अज्जी की घोषणा थी कि गोपी दुनिया का सबसे खूबसूरत कुत्ता है लेकिन अज्जा को उससे घबराहट हो रही थी। उन्होंने बताया कि जब वह छोटे थे, उन्हें एक कुत्ते ने काटा था। उन्होंने चौदह इंजेक्शन याद किए और बताया कि उससे उन्हें बहुत दर्द हुआ था। इसलिए वह कुत्तों से डरते हैं।
जिस दिन गोपी का नामकरण संस्कार हुआ, उस दिन कई बच्चे भी मौजूद थे। उसके साथ सेल्फियां ली गयीं। उसके अलग-अलग नामों पर विचार किया गया। एक लड़की ने उसका नाम गोपी रखने की वकालत की। जब नामों पर चर्चा हो रही थी, गोपी घिसटता हुआ कुर्सी के नीचे चला गया और सोने की कोशिश करने लगा। उसे नाम से कुछ लेना-देना नहीं था।
जब ध्यान आया कि गोपी कहां है? तो खोजबीन शुरु कर दी गई। इधर देखा, उधर देखा। परदे के पीछे देखा, दरवाजे के पीछे देखा, किचन में देखा। वह नहीं मिला। अप्पा ने उसे ढूंढ़ निकाला।
अज्जी ने तभी घोषणा की कि पिल्ले का नाम गोपी होगा जो भगवान कृष्ण का नाम भी है। उन्होंने गोपी को गोद में लेकर कई नाम बोले जैसे-गोपीचा, गोपेश, गोपीनाथ, गोपू आदि-आदि।
गोपी को जब बोतल से दूध दिया गया तो पहले तो उसे वह बिल्कुल पसंद नहीं आया, लेकिन बाद में उसने पूरी बोतल खत्म कर डाली। थोड़ी देर बाद गोपी ने डकार मारी जिसकी आवाज जोरदार थी।
उसे एक डॉक्टर के पास ले जाया गया जहां उसने अलग-अलग प्रकार के कुत्ते देखे। कोई कुत्ता छोटा था, कोई लंबा और एक तो ऐसा था जो दिखने में बिल्ली की तरह था। वह कद में छोटा था और गोपी फर्क नहीं कर पाया कि वह बिल्ली है या कुत्ता। जब गोपी को उस कुत्ते ने झाड़ लगायी तो वह समझ गया कि वह एक कुत्ता ही है।
गोपी ने इंजेक्शन देखकर अपना डर बयान किया है। साथ ही उसने डॉक्टर को 'राक्षस' भी कहा है जिसने सफेद कोट पहन रखा था और उसे पकड़कर जांच के लिए मेज पर बैठाया था। बाद में बिस्कुट खिलाते समय चुपके से सुई चुभो दी। गोपी को गुस्सा भी आ गया था। वह उस 'राक्षस' को काटना चाहता था।
एक बीमार कुत्ते के शब्द बहुत ही मजेदार थे, देखें : 'इससे दूरी बनाए रखना। यह बहुत बेदर्द है। आज सुबह इसने चाकू से मेरी सर्जरी की। मैं तुम्हें एक रहस्य बताता हूँ। इस डॉक्टर के खिलाफ तुम्हारे अपने लोग भी तुम्हारा साथ नहीं देंगे, क्योंकि वे इस डॉक्टर की बहुत इज्जत करते हैं।'
गोपी के लिए खिलौने लाए गये जिनमें मेंढक और हड्डी भी थी। लेकिन उसे समझते देर नहीं लगी कि वह असली नहीं थे। बाद में उसने टहनी को चबा डाला, चप्पल को भी टुकड़े-टुकड़े कर दिया। सूखते हुए लहराते कपड़ों को खींचकर घास पर लाकर उनसे मस्ती की। फिर बच्चों के साथ खेला। बगीचे में घूमा। बाहर का नज़ारा देखा और हैरान हुआ। तालाब में कूदा और फूल को चबाया। तितलियों के पीछे दौड़ने में जो आनंद गोपी को आया, वह शायद सबसे अलग और सुकून भरा था। उसने पड़ोस की एक बिल्ली को अपने बगीचे से दौड़ा दिया। पेड़ पर चढ़ने की कोशिश की लेकिन नाकामयाब रहा। उसने धीरे-धीरे कई सबक सीखे।
यह कहानी एक कुत्ते की नहीं है, यह भावनाओं की कहानी भी है। यह उस प्यार, भरोसे और उम्मीद की कहानी है, जो दिखता नहीं है, महसूस किया जाता है। यह हमें जीवन की सीख देती है कि प्यार से ताकतवर कुछ नहीं होता। एक मामूली पिल्ले ने एक घर को थोड़े समय में खुशियों से भर दिया। परिवार को उम्मीदों और ताज़गी से भर दिया। यह एक ख़ास कहानी है जिसे पढ़कर जिंदगी को करीब से जाना जा सकता है।