Nishant Jain Interview : "सफलता वही है, जो आपके भीतर ख़ुशी के इंडेक्स को बढ़ाए"

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बेस्टसेलर लेखक निशांत जैन कहते हैं कि रुकना नहीं चाहिए, क्योंकि ज़िंदगी ज़िंदादिली का नाम है.

निशांत जैन की प्रेरणादायक किताबें हर आयु वर्ग के बीच लोकप्रिय हैं। उनकी किताब 'रुक जाना नहीं' रिलीज़ होते ही बेस्टसेलर किताबों में शामिल हो गई और आज भी खूब बिक रही है। समय पत्रिका ने ख़ास बातचीत की लेखक निशांत जैन से.

⬤ आपकी पुस्तकें प्रेरणा से भरी होती हैं। आप दूसरों को जीवन में आगे बढ़ने की सलाह देते हैं। आपका प्रेरणास्रोत कौन है?  

‘रुक जाना नहीं’ और ‘मुझे बनना है UPSC टॉपर’ किताबें युवाओं में सकारात्मक ऊर्जा का संचार कर सकीं, इस बात की बेहद ख़ुशी है। 

हर किसी को ज़िंदगी जीने और आगे बढ़ने के लिए किसी न किसी प्रेरणा की दरकार होती है। किसी को करियर मोटिवेट करता है, तो किसी को परिवार और दोस्त। किसी को प्रेम से प्रेरणा मिलती है तो किसी को गुरु से। मुझे प्रेरणा मिली अपने बड़े भैया से, जिन्होंने हर क़दम पर मुझमें भरोसा जताया और मेरी हिम्मत बढ़ाई। वैसे, जीवन दर्शन के मामले में, महावीर, बुद्ध, विवेकानंद और गांधी विशेष रूप से प्रेरित करते हैं।

⬤ 'रुक जाना नहीं' ने बिक्री के नए रिकॉर्ड बनाए हैं। यह पुस्तक बेहद ख़ास है। पुस्तक का विचार आपको पुस्तक मेले में आया। किस तरह के सवालों को मन में लेकर यह पुस्तक लिखी गई?

मेरी ख़ुद की पृष्ठभूमि इस किताब को लिखे जाने का मोटिवेशन रही। करियर और सफलता की राह बहुत उतार-चढ़ावों से भरी रही। एक छोटे शहर में क्लर्क की नौकरी से एम.फ़िल. की डिग्री, संसद में ट्रान्सलेटर बनने से लेकर IAS अफ़सर बनने तक, मेरी यात्रा, अपनी लकीर बड़ी करने और अपनी मजबूरी को मज़बूती बनाने की कहानी है। मुझे लगा कि मैं एक ऐसी छोटी सी किताब लिखूँ, जिससे युवा पीढ़ी को कंफ्यूजन व तनाव से उबरने और सफलता की राह पर आगे बढ़ने में मदद मिल सके। ‘रुक जाना नहीं’ इसी दायित्व बोध का परिणाम है।

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'रुक जाना नहीं' की समीक्षा ​क्लिक कर पढ़ें >>

⬤ प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले हिंदी पट्टी के युवाओं के लिए 'रुक जाना नहीं' किताब ख़ास क्यों है?

हिंदी-भाषी राज्यों में प्रतियोगी परीक्षाओं को लेकर काफ़ी आकर्षण है। जीवन के हर क़दम पर हमें प्रतिस्पर्धा की चुनौती को पार करना होता है। हम हिंदी वालों की अपनी समस्याएँ हैं। इंग्लिश से डर, आत्म-विश्वास की कमी, सामाजिक-आर्थिक पिछड़ापन जैसी चुनौतियों से उबर कर एक ‘हिंदी मीडियम’ टाइप विद्यार्थी को आगे बढ़ना होता है। 

यह किताब हिंदी पट्टी के युवाओं को केंद्र में रखकर लिखी गई है।

इस किताब में कोशिश की गई है कि युवाओं की ज़रूरतों के मुताबिक़ कैरियर और ज़िंदगी दोनों की राह में उनकी सकारात्मक रूप से मदद की जाए। इस किताब के छोटे-छोटे लाइफ़ मंत्र इस किताब को खास बनाते हैं। ये छोटे-छोटे मंत्र जीवन में बड़ा बदलाव लाने की क्षमता रखते हैं।

⬤ आपके मुताबिक सफलता का क्या पैमाना होना चाहिए?

सफलता का कोई एक तय पैमाना नहीं हो सकता। अपने करियर और ज़िंदगी से आपकी क्या अपेक्षाएँ हैं? वह महत्वपूर्ण है। मेरी समझ में, सफलता वही है, जो आपके भीतर ख़ुशी के इंडेक्स को बढ़ाए। अगर आपका करियर आपको आगे बढ़ने और कुछ नया करने का अवसर देता है, आपके पास अपनी फ़ैमिली और दोस्तों के लिए ठीक-ठाक वक़्त है और आप अपने शौक़ के लिए थोड़ा वक़्त निकाल पा रहे हैं; तो निश्चित रूप से आप सफल हैं। 

⬤ रुकना क्यों नहीं चाहिए? 

हमारे यहाँ ‘चरैवैति-चरैवैति’ का मंत्र सिखाया गया है। यानी, हर हाल में चलते रहो और आगे बढ़ते रहो। ‘रुक जाना नहीं’ किताब में ही एक जगह लिखा है, ‘जिस तरह रुक हुआ पानी सड़ जाता है, उसी तरह रुका हुआ जीवन थक जाता है।’ इसी तरह ‘समय का पहिया लगातार चलता जाता है। मंज़िल मिले या न मिले, ज़िंदगी न कभी रुकती है, न थकती है।’ 

इसलिए रुकना नहीं चाहिए, क्योंकि ज़िंदगी ज़िंदादिली का नाम है।

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⬤ मेरठ जैसे शहर से आईएएस बनने तक के सफ़र के दौरान सबसे ख़ास क्या रहा जिसने आपको अपने लक्ष्य पर केंद्रित रखा?

निरंतरता और सतत संघर्ष; दो ऐसी चीज़ें हैं, जिन्होंने कभी रुकने नहीं दिया। जब भी कोई निराशा की बात करता, तो मैं दुष्यंत कुमार की ये पंक्तियाँ दोहरा लेता-

इस नदी की धार से ठंडी हवा आती तो है,

नाव जर्जर ही सही, लहरों से टकराती तो है,

एक चिंगारी कहीं से ढूंढ लाओ ए दोस्तों,

इस दिये में तेल से भीगी हुई बाती तो है।‘

⬤ सफलता के लिए सकारात्मकता कितनी जरूरी है?

सकारात्मकता ज़रूरी है, न केवल सफलता के लिए बल्कि ज़िंदगी के लिए भी। इस छोटी सी ज़िंदगी को निराश रहकर और हर छोटी-बड़ी परेशानी की शिकायत करके जिया, तो क्या जिया। 

⬤ एक आई.ए.एस. का जीवन हमें क्या सिखाता है?

अभी मैं युवा अधिकारी हूँ। इस सेवा की सबसे बड़ी ख़ासियत है, प्रशासन की विविधतापूर्ण प्रकृति और हर दिन कुछ नया सीखने का आनंद। प्रशासन में रहकर आप शिक्षा, स्वास्थ्य, क़ानून-व्यवस्था, ग्रामीण विकास, पंचायती राज, पर्यावरण, समाज कल्याण, ऊर्जा, उद्योग, वित्त, जैसे लगभग हर क्षेत्र में काम करते हैं। ये नौकरी आपको कभी बोर नहीं होने देती। इतना एक्सपोज़र शायद ही किसी और क्षेत्र में हो। किसी की मदद करके, जो संतोष मिलता है, उसका कोई मुक़ाबला नहीं। आई.ए.एस. अधिकारी से अगर सीखना चाहते हैं, तो उसका जज़्बा, समर्पण, यथार्थ अनुभव और संवेदनशीलता सीख सकते हैं।

⬤ आजकल क्या पढ़ रहे हैं?

इन दिनों कुछ कविता संकलन पढ़ रहा हूँ। कुछ समय से कविताओं और गीतों से दूर हो गया था।

⬤ अगली पुस्तक किस विषय पर लिख रहे हैं?

दो-तीन आइडिया हैं, जिन पर काम करने का मन है। एक ट्रैवलॉग है, ट्रेनिंग के दौरान 45 दिनों में लगभग पूरे भारत की यात्रा का। दूसरा विचार है, महावीर के दर्शन से क्या सीखकर युवा एक बेहतर ज़िंदगी की ओर बढ़ सकते हैं, उस पर भी लिखने का इरादा है। तीसरा, मेरा पहला कविता संग्रह भी आ सकता है, अगले एक-दो सालों में।

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