सूझबूझ और विश्वास की कहानी है 'ओए... छोटू'

oye chhotu rajeev thanvi
गुना का किरदार हमें सिखाता है कि अच्छाई देर-सवेर जीतती जरुरी है. उजाले की आस मन से कभी खोने नहीं देना चाहिए.

राजीव थानवी की कहानी 'ओए छोटू' एक ऐसे लड़के की कहानी है जो विपरीत परिस्थितियों में जीता हुआ, संघर्ष करता हुआ, ​अंत में विजेता बनकर उभरता है। इस कहानी की खास बात है इसकी सरल भाषा।

गुना नामक लड़का कहानी का नायक है। लेखक ने उसे केन्द्र में रखकर इसे लिखा है। गुना जैसे बच्चों को हमने अपने आसपास देखा है। हमने उन्हें जीतोड़ मेहनत करते, काम करते और प्रताड़ित होते हुए देखा है। राजीव थानवी ने अपने पात्र कहीं बाहर के नहीं सोचे, उन्होंने वास्तविकता को दिखाने के लिए गुना जैसे पात्र को रचा ताकि वे उस जीवन की झलक को दिखा सके ​जिसमें समाज किस तरह एक अनाथ और बेसहारा बच्चे के साथ करता है। समाज का असली चेहरा ऐसा ही होता है और वह ऐसे बच्चों के साथ इसी तरह पेश आता है। हालांकि यहां वह लोग भी साथ-साथ मौजूद हैं जो दूसरों से हमदर्दी रखते हैं, उनकी भावनाओं की कद्र करते हैं, मगर उनकी तादाद बहुत कम है। फिर भी वे समाज में व्याप्त अच्छाई को थामे हुए हैं।

गुना का किरदार हमें सिखाता है कि अच्छाई देर-सवेर जीतती जरुरी है। उजाले की आस मन से कभी खोने नहीं देना चाहिए। अंधेरे के बादल एक दिन छंटते हैं। कोशिश कभी बेकार नहीं जाती। एक अच्छी बात देखने को यही मिली कि यह जरुरी नहीं कि खून के रिश्ते ज्यादा महत्व रखते हैं। कई बार पराये भी अपनों से ज्यादा कर जाते हैं...
rajeev thanvi juggernaut story

गुना अनाथ आश्रम से भागकर चौधरीजी के घर पहुंचता है। वहां भी उसका शोषण किया जाता है। फिर वह गुरचरण के ढाबे पर काम करता है। वहां से उसे नताशा नाम की एक जानीमानी पत्रकार अपने घर ले आती है। असली कहानी यहां से शुरु होती है। यहीं से कहानी में नए मोड़ आने शुरु होते हैं। नताशा का दोस्त   नामचीन ​राजनेताओं, अखबार के मालिकों आदि का एक स्टिंग करता है, जिसके बाद जैसे देश भर में भूचाल आ जाता है। नताशा के मामा सालों से अपनी प्रयोगशाला में जिस एक्सिपेरिमेंट को कर रहे थे, वह गुना की वजह से सफल हो जाता है। क्या था वह प्रयोग, और उसकी वजह से कहानी किस तरह मुड़ती है, यह कहानी पढ़कर ही पता लग सकता है?

हालात एक बार इतने बिगड़ जाते हैं कि गुना की प्यारी दीदी नताशा को पुलिस पकड़ लेती है। तब गुना और मामा एक साथ मिलकर ऐसा जादू करते हैं कि कोई भी हैरान रह जाए। गुना को कभी छोटू कहकर पुकारा जाता था, लेकिन एक दिन इस छोटू ने बड़ा कारनामा कर हर किसी को चौंका दिया।

गुना का किरदार हमें सिखाता है कि अच्छाई देर-सवेर जीतती जरुरी है। उजाले की आस मन से कभी खोने नहीं देना चाहिए। अंधेरे के बादल एक दिन छंटते हैं। कोशिश कभी बेकार नहीं जाती। एक अच्छी बात देखने को यही मिली कि यह जरुरी नहीं कि खून के रिश्ते ज्यादा महत्व रखते हैं। कई बार पराये भी अपनों से ज्यादा कर जाते हैं।

oye chotu juggernaut hindi book

राजीव थानवी की लंबी कहानी 'ओए... छोटू' जगरनॉट के ऐप पर पढ़ी जा सकती है। यह कहानी पाठकों को प्रभावित कर रही है। 'ओए... छोटू' सूझबूझ और विश्वास की कहानी है।

जगरनॉट बुक्स ने एक ऐसा प्लेटफॉर्म विकसित किया है जहां अलग-अलग रंग की किताबें, कहानियां, लेख आदि की भरमार है। नए रचनाकारों के लिए यह बहुत अच्छी खोज है। जगरनॉट उन्हें अच्छा खासा स्पेस उपलब्ध करा रहे हैं और उनकी रचनाओं का बिना शुल्क प्रचार भी कर रहे हैं। इससे उनकी पहुंच बड़े पाठक वर्ग तक आसानी से हो रही है।

ओए... छोटू

लेखक : राजीव थानवी
प्रकाशक : जगरनॉट बुक्स
किताब लिंक : https://bit.ly/2Lra8Ad