
चकाचौंध के पीछे की हकीकत कैसी होती है? कैसे ज़िन्दगी दौड़ती है, जिसमें आप इतनी तेज़ होते हैं कि वक्त पीछे छूटता सा लगता है। टीवी न्यूज़ चैनलों की दुनिया में क्या घटता है, कोई घुटता है, कैसे होता है वो सब जो हम बाहर से नहीं जान पाते, और किस तरह वो उसे महसूस करते हैं जो उस शोहरत भरी ज़िन्दगी को जी रहे हैं। मीडिया के गलियारों में रौब है, एक रुतबा है, और अंधी दौड़ भी। आजतक से जुड़े जानेमाने पत्रकार संजीव पालीवाल का पहला उपन्यास 'नैना' एक क्राइम थ्रिलर है जो शुरु से आखिर तक बांध कर रखता है। इसका प्रकाशन वैस्टलैंड बुक्स के उपक्रम एका ने किया है। कहानी बहुत अच्छी तरह से संजीव पालीवाल ने बुनी है, जिसे पढ़ना बेहद रोचक है। जिन पाठकों ने अभी तक क्राइम थ्रिलर नहीं पढ़ा है, यह उपन्यास उनके लिए एक अच्छी खबर है। यह उपन्यास शुरु से ही अमेज़न पर सर्वाधिक पढ़ी जा रही किताबों में शामिल है।
नैना वश्ष्ठि एक मशहूर न्यूज़ एंकर है। वह नेशनल न्यूज़ में काम करती है। उसकी ज़िन्दगी में रुतबा, पैसा सब कुछ है। लेकिन एक रोज़ उसका कत़्ल हो जाता है। शक की सूई जाती है तीन लोगों पर जिनमें एक नैना का पति भी है। नैना अपने साथ काम करने वाले दो लोगों के बेहद करीब थी। एक को वह उसकी ज़िन्दगी बर्बाद करने तक की धमकी दे चुकी होती है, क्योंकि उसे लगता है उसके साथ धोखा हुआ है। जबकि दूसरे को अपने साथ नैना द्वारा हुए छल का पता चलता है। साथ ही वह अपने पति से भी झगड़ चुकी है। सबसे मजेदार यह है कि यह सब हत्या से एक दिन पहले होता है। लेकिन जब कहानी आगे बढ़ती है तो सस्पेंस बढ़ता जाता है। एक प्रतिष्ठित राजनेता का नाम भी इसमें आता है। धीरे-धीरे परतें खुलने लगती हैं। नैना के अंतरंग संबंधों के राज उजागर होने लगते हैं। न्यूज़रुम के पीछे की कड़वी हकीकत का सच सामने आने लगता है।

संजीव पालीवाल ने इस उपन्यास के माध्यम से उस सच्चाई को काफी हद तक सामने लाने की कोशिश की है जो पर्दे के पीछे चलती है। वो स्याह पहलू जिन्हें तड़क-भड़क छिपा लेती है। वो घुटन-तनाव-बनावट जिसे हम बाहर से देख नहीं पाते, समझ नहीं पाते। उसके लिए हमें भीतर तक जाना होगा। लेखक ने उपन्यास में रोचकता बनाए रखी है जिसे पढ़ना अच्छा अनुभव साबित होता है।
नैना के अलग-अलग लोगों से अंतरंग संबंध थे। ऐसा क्यों था? क्या सफलता की सीढ़ियां चढ़ने के लिए यह जरुरी था? क्या परिस्थितियों ने उसे बाध्य किया था? ऐसे बहुत से सवाल हैं जिनका उत्तर उपन्यास 'नैना' आपको देगा। साथ ही बहुत से ऐसे कड़वे सच भी सामने लाने की कोशिश करेगा जिन्हें पढ़कर कई पाठक चौंक सकते हैं।
संजीव पालीवाल लंबे समय से टीवी पत्रकारिता कर रहे हैं। न्यूज़रुम के आगे और पीछे की ढेरों कहानियां-किस्से उन्हें मालूम हैं। उनका तजुर्बा इस उपन्यास को एक जीवंतता प्रदान करता है। कुल मिलाकर संजीव पालीवाल ने एक रोमांचक कहानी लिखी है। यह साल की ख़ास किताबों में शामिल है।

नैना
लेखक : संजीव पालीवाल
प्रकाशक : एका (वैस्टलैंड)
पृष्ठ : 272
किताब लिंक
पेपरबैक : https://amzn.to/2Ym60IE
इ-बुक : https://amzn.to/37Lhdpu
ऑडियो बुक : https://amzn.to/2NflF6e
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