न्यूज़मैन@वर्क : चुनौतीपूर्ण पत्रकारिता की सच्ची घटनायें

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पत्रकारों के चुनौतीपूर्ण कार्य और उनके जीवन के कई जरुरी पक्षों की दिलचस्प सच्चाईयों को करीब से समझने के लिए यह पुस्तक पठनीय है.
'ख़बर अच्छी हो या बुरी, सच यही है कि पत्रकारों के फेफड़ों की दरारें एक ही अनुपात में दरकती हैं। मौत और मातम ख़बरों में ऐसे ही बिकता है।

ख़बरों के रीति-रिवाज ऐसे ही हैं। सूरज उगने-ढलने तक घटनायें-दुर्घटनायें होती रहेंगी। दहशतभरी ख़बरें आती रहेंगी। खौफनाक और डरावने सच सामने आते रहेंगे।'

पत्रकारों की हत्या, उनपर हमले, आरोप-प्रत्यारोप अक्सर सुनने-पढ़ने को मिलता है। लेकिन पाठकों तक ख़बरें पहुंचाने में पत्रकार जिस जुनून, तनाव, सदमे, संघर्ष, चुनौतियों, चिंता, दर्द और गुस्से के अहसास से गुज़रते हैं, उसे पत्रकार ही अच्छी तरह जानता है। अख़बार, ख़बर और पत्रकारिता के हर पहलू पर मजबूत पकड़ बनाए रखने वाले प्रतिबद्ध पत्रकार लक्ष्मी प्रसाद पंत ने अपने पत्रकार जीवन से जुड़ी कई ऐसी ही घटनाओं को लेखबद्ध कर एक पुस्तक का रुप प्रदान किया है। 'न्यूज़मैन @वर्क' शीर्षक की इस हिन्दी पुस्तक को वाणी प्रकाशन ने प्रकाशित किया है।

दैनिक भास्कर जैसे लोकप्रिय दैनिक में राजस्थान सम्पादक के पद पर सेवारत लक्ष्मी प्रसाद पंत ने बीस वर्ष के न्यूज़रुम जीवन में अनुभव की महत्वपूर्ण लेकिन सत्य घटनाओं को बहुत ही दिलचस्प तथा सटीक भाषा में लिपिबद्ध कर पुस्तक का स्वरुप प्रदान किया है।

लेखक ने पाठकों को इन घटनाओं से यह समझाने का प्रयास किया है कि कई दुखद और संवेदनशील घटनायें उसे भी उसी तरह प्रभावित करती हैं जो किसी भी सामाजिक नागरिक को।

ख़बरों का यह संसार भले ही हर दिन आपकी ऊर्जा को निचोड़ लेता है, लेकिन कई ऐसे अनुभव भी इसका हिस्सा हैं जो संजीवनी की तरह आपकी चेतना में प्राण फूँक देते हैं और होठों पर मुस्कुराहट ले आते हैं.
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उनके अपने शब्दों में -’पत्रकार जब देर रात अपना दफ्तर छोड़ता है, तो उसका थका हुआ शरीर एक ज़िन्दा जीवाश्म की तरह होता है। उसके हाथ ख़ून से सने होते हैं। सैंकड़ों हत्याएँ, दुर्घटनाएँ, दुष्कर्म, लूट, गैंगवार, दंगे, साज़िशें आदि-आदि ख़बरों की गूँज वो अपने दिमाग़ में लेकर घर पहुँचता है। घर पहुँचते ही सबसे पहले अपने दोनों हाथ धोता है। इसके बाद अपने परिजनों को छूने की हिम्मत जुटा पाता है। यहाँ एक खामोश डर उसके भीतर भी उतरता है। कहीं बिन धोये हाथों पर लगे ख़बरों के रंग सोते हुए उसके अपनों को डरा न दें। पत्रकारों के जीवन में ज़िन्दगी के घोषित रंगों के अलावा भी ख़बरों के कई रंग हैं।’

पत्रकारों के चुनौतीपूर्ण कार्य और उनके जीवन के कई जरुरी पक्षों की दिलचस्प सच्चाईयों को करीब से समझने के लिए यह पुस्तक पठनीय है।

न्यूज़मैन@वर्क
लेखक : लक्ष्मी प्रसाद पंत
प्रकाशक : वाणी प्रकाशन
पृष्ठ : 148

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