हज़ारों ख़्वाहिशें : एक दिलचस्प दास्तान

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कहानी जटिलता से परे चलती है, लेकिन परत के भीतर परत होने से रोचकता और जिज्ञासा बढ़ती है.
यह राहुल चावला की पहली किताब है। इसमें उन्होंने प्यार, राजनीति, क्रांति, धर्म, सामाजिक मुद्दे आदि पर बात की गयी है। पुस्तक का प्रकाशन हिन्द युग्म ने किया है।

राहुल चावला खुद युवा हैं। एमबीबीएस हैं और चीज़ों को बारीकी से समझने का हुनर रखते हैं। उन्होंने कहानी को शुरु से इस तरह बुनने की कोशिश की है जिससे पाठक को फिसलने की जरुरत महसूस नहीं होती। यह ऐसे है जैसे आपने एक सिरा पकड़ लिया, और पार हो गए। बीच-बीच में कुछ ऐसी पंक्तियां आती हैं जो पाठकों को रिफ्रेश करती जाती हैं। इसलिए यह भूल जाइए कि किसी स्टेशन पर 'रुकवाट' का दौर आएगा। लगातार बिना थके पढ़ा जा सकता है। उसका कारण है फिल्मी स्टाइल का तड़का, जो रोचकता को बढ़ाता है।

कुछ कहानियाँ लंबे समय तक याद रखी जा सकती हैं, राहुल चावला की 'हज़ारों ख़्वाहिशें' ऐसी ही ​किताब है। कहानी जटिलता से परे चलती है, लेकिन परत के भीतर परत होने से रोचकता और जिज्ञासा बढ़ती है।

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'हज़ारों ख्वाहिशें : इश़्क और इंकलाब' बहुत ही सहज और सरल भाषा में लिखी गयी किताब है। इसके किरदार हमारे और आपके बीच के हैं। पाठक यह भी महसूस करेगा कि यह कहानी उससे जुड़ी है या उसके आसपास के बदलाव से जुड़ी है। कुल मिलाकर यह बेहद दिलचस्प दास्तान है।

राहुल चावला के शब्दों में -'इस कहानी में धर्म, समाज, देश और राजनीति को लेकर किरदार अपने विचार रखते हैं। पर ये उनका बड़बोलापन नहीं। ये वही बातें हैं जो हम और आप घर, ऑफ़िस या सोशल मीडिया पर रोज़-ओ-शब करते हैं।'

हज़ारों ख़्वाहिशें : इश्क़ और इंक़लाब
लेखक : राहुल चावला
प्रकाशक : हिन्द युग्म
पृष्ठ : 253

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