रैवन से जुड़ी रोचक दंतकथाओं का अनूठा संकलन

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रैवन एक कव्वे के आकार और शक्ल का काला पक्षी है जिससे संबंधित सैकड़ों दंत-कथाएँ प्रचलित हैं.
दंत कथायें सभी देशों में सुनी-कही जाती हैं। इनमें से ज्यादातर मौखिक चली आ रही हैं जिन्हें सदियों से उम्रदराज़ स्त्री-पुरुष बच्चों को सुनाते रहे हैं। उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में जन्मी सुषमा गुप्ता विश्व के अनेक शहरों में निवास करती रही हैं, जहाँ उन्हें अनेक लोगों से वहाँ की प्रचलित और रोचक लोक कथाओं को सुनने का मौका मिला। उन्होंने इन कथाओं को साधारण हिन्दी में एक पुस्तक के रुप में लिपिबद्ध किया। 'रैवन की लोककथाएँ' शीर्षक से प्रभात प्रकाशन ने यह पुस्तक प्रकाशित की है।

दरअसल रैवन एक कव्वे के आकार और शक्ल का काला पक्षी है, जिससे संबंधित कथाएँ अमेरिका, कैनेडा के साथ ही ग्रीस, रोम तथा इंग्लैंड आदि में सैकड़ों दंत-कथाएँ प्रचलित हैं। लेखिका का कहना है कि बाइबिल में तो इस पक्षी का जिक्र है साथ ही रामचरित मानस में काकभुशुंडी भी इसी प्रकार का पक्षी था जो गरुड़ को राम-कथा सुनाता है। यह 27 प्रलय देख चुका है। रैवन कैनेडा के यूकोन प्रांत और भूटान देश का राष्ट्रीय पक्षी है।

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प्रभात प्रकाशन रैवन की कथाओं पर एक पुस्तक श्रंखला प्रकाशित कर रहा है जिसमें यह पहली पुस्तक है। इसमें 20 कहानियाँ हैं। बाद में सिलसिलेवार उन सभी कहानियों को प्रकाशित किया जाना है जो रैवन से संबंधित हैं।

इन कथाओं को सरल हिन्दी पाठक भी आसानी से समझ सकते हैं। सभी कथाएँ बहुत ही रोचक हैं। लेखिका ने इन्हें कई देशों में प्रवास के दौरान काफी परिश्रम से संलग्न किया होगा। पाठकों को ये दंत कथाएँ पसंद आएंगी।

रैवन की लोककथाएँ
लेखिका : सुषमा गुप्ता
प्रकाशक : प्रभात प्रकाशन
पृष्ठ : 176

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