मशहूर हुए तो क्या हुआ? : रोचक, बेबाकी भरा चुटीला अंदाज़ और निजि खुलासे

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यह सोहा की अंग्रेजी में लिखी चर्चित पुस्तक 'The Perils of Being Moderately Famous' का हिन्दी अनुवाद है.
'मैं धूम्रपान नहीं करती, शराब नहीं पीती, मैं योगा करती हूँ और बैडमिंटन खेलती हूँ और सभी कहते हैं कि मैं अपनी उम्र से काफी कम ही लगती हूँ।' सोहा अली खान का यह कथन किताब की शुरुआत में पढ़ने को मिलता है, जिससे उनके मज़ाकिया लहजे के बारे में पाठकों को ज्ञान हो जाता है। निश्चित तौर पर पुस्तक के भीतर भी काफी रोचक और हैरान करनी वाली बातें हो सकती हैं। वास्तव में सोहा का यह पहला प्रयास कारगर साबित कहा जा सकता है। वे खुद को यहां साबित करने नहीं आयीं, न ही वे यह बताना चाहती हैं कि वे बेहद मशहूर हैं और हर तरफ उनकी चर्चा है, असल में सोहा अपने दिल की बात कहना चाहती हैं। पुस्तक से अच्छा माध्यम दूसरा शायद हो नहीं सकता इसलिए उन्होंने अपनी कहानी, अपनों की कहानी, यादों-बातों को पन्नों में सजा दिया।

'मशहूर हुए तो क्या हुआ?' सोहा अली खान की अंग्रेजी में लिखी चर्चित पुस्तक 'The Perils of Being Moderately Famous' का हिन्दी अनुवाद है। इसे प्रभात प्रकाशन ने प्रकाशित किया है। अनुवाद रामेन्द्र सिन्हा द्वारा किया गया है।

हालांकि शुरुआती चैप्टर्स से ही सोहा ने अपने परिवार की चर्चा की है। उन्होंने इतिहास बताया है। अपने पिता मंसूर अली खान पटौदी के क्रिकेट जीवन के किस्सों को लिखा है। उनकी कंजूसी की चर्चा करने से भी पीछे नहीं रहीं। कैसे उनकी आंख हादसे का शिकार हुई और किस तरह सोहा अपने पिता के अंतिम दिनों में महसूस कर रही थीं, सब पर खुलकर लिखने की कोशिश की है। पढ़ना यह भी दिलचस्प है कि कवि रविन्द्रनाथ टैगोर से उनका क्या रिश्ता है।

इस पुस्तक में आधुनिक युग की राजकुमारी से बल्लिओल कॉलेज के दिनों की उनकी जिंदगी और फिर सोशल मीडिया की संस्कृति वाले समय में एक हस्ती बनने तक की कहानी है, जिन्हें उन जगहों पर प्यार मिला जहाँ उम्मीद नहीं थी, और यह सबकुछ ताजगी भर देनेवाली बेबाकी और चुटीले अंदाज में बताया गया है। एक शाही परिवार में जन्म लेने के बाद भी कैसे लोगों की संवेदना को कोई महसूस कर सकता है, यह इस पुस्तक को पढ़ने के बाद आपको जानना आसान होगा।
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सोहा ने अपने पिता का एक दिलचस्प किस्सा बयान किया है, देखें -
'...अब्बा जबड़े को तार से जुड़वाकर फिर से खेलने के लिए वापस आए और वॉनबर्न होल्डर को एक ओवर में लगातार चार चौके लगाए! भारत ने 85 रनों से यह मैच जीत लिया। एक ऐतिहासिक जीत, आज भी हमारे सबसे प्रतिष्ठित टेस्ट मैचों की जीत में से एक है।'

उन्होंने अपने पिता से बहुत कुछ सीखा जिसका जिक्र करते हुए लिखती हैं,'जीवन आपको बार-बार नीचे गिरा देगा और आपको अपने अंदर की ताकत को संजोकर खड़ा होना होगा। कभी हार नहीं मानना, अपनी आखिरी सांस तक।'

सोहा अली ने पटौदी रियासत का जिक्र करते हुए लिखा है कि पटौदी नाम नहीं बल्कि ​हरियाणा में एक छोटा-सा शहर है जिसकी आबादी करीब 23 हजार है।

अभिनेत्री सोहा अली खान की यह पहली पुस्तक वास्तव में उन निजी लेखों का एक बेहतरीन संग्रह है, जिनमें वह अपनी खिल्ली उड़ाने के मजाकिया अंदाज में बताती हैं. उनके पारिवारिक चित्रों के खजाने से पहली बार अनदेखी तस्वीरों के साथ हम उनके जीवन के दिल को छू लेनेवाले पलों से होकर गुज़रते हैं.

पुस्तक में हमें यह पढ़ने को मिलेगा कि सोहा अली खान ने विदेश में पढ़ाई करने के बाद अभिनय के क्षेत्र में जाना शुरुआत में नहीं चुना। पहले उन्होंने सि​टी बैंक में नौकरी की, मुंबई में अकेली रहीं मगर बाद में उन्होंने नौकरी छोड़ दी। अभिनय के क्षेत्र में उनकी एंट्री होने के बाद वे वहां स​क्रिय हो गयीं। उनके भाई सैफ अली खान मशहूर अभिनेता हैं, भाभी करीना कपूर भी जानीमानी अभिनेत्री हैं और उनके पति कुणाल खेमू भी फिल्मों में काम करते हैं। उनकी माता शर्मिला टैगोर स्वयं मशहूर अभिनेत्री रही हैं।

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मुंबई में सोहा अली खान अपराध का शिकार हुईं। इसपर भी उन्होंने उस रात का किस्सा दिलचस्प अंदाज़ में लिखा है। पुस्तक ढेर सारे फोटो से सजी है जिनके कैप्शन पढ़ने में मज़ा आता है। सोहा की पहली फिल्म जब 2004 में रिलीज हुई तो उन्हें भी आलोचना झेलनी पड़ी। ट्विटर पर एक बार उन्होंने पूर्व गर्वनर रघुराम राजन के जून 2016 में पद छोड़ने पर अपने विचार लिखे तो उन्हें ट्रोल किया गया। उन्हें 'मूर्ख अभिनेत्री' तक कहा गया। यह अच्छी बात है कि सोहा ने अपनी इस पुस्तक में ऐसे लोगों की टिप्पणियां उसी तरह लिखी हैं। उन्हें अपने मज़ाक बनाए जाने पर शायद बुरा लगा होगा मगर किताब पढ़कर ऐसा कहा जा सकता है कि वह इसे इतनी गंभीरता से नहीं लेतीं।

निजि जीवन के खुलासों के साथ सोहा प्रेरणादायक विचारों को भी लिखने से खुद को नहीं रोक सकीं। उन्होंने जीवन के सबक देने की कोशिश की है जो इस किताब को ख़ास बनाता है। वे लिखती हैं-'यदि हम सपनों और डर के संपर्क में रहने के लिए खुद के भीतर गहराई तक जाने के लिए तैयार नहीं हैं, तो हम अपने दोस्तों को यह मौका देने की संभावना नहीं रखते हैं। इतना कि लोगों ने वास्तव में एक-दूसरे को जानना या एक-दूसरे के जीवन को प्रभावित करना बंद कर दिया है। यह एक अस्तित्व ज्यादा है और जीवन कम, एक जीवन पूर्ण से ज्यादा खाली।'

सबसे मजेदार किताब में पढ़ने को मिला जब वे लिखती हैं कि उनके कभी दो ब्वॉयफ्रेंड थे। कमाल यह भी था कि दोनों उनकी क्लास में पढ़ते थे और उन्हें उनके माता-पिता अच्छी तरह जानते थे। मगर एक के जाने के बाद सोहा दो दिन उदस रहीं।

सोहा अपने एकतरफा प्यार का जिक्र करते हुए लिखती हैं,'वह मेरी बहन सबा की क्लास में पढ़ता था, इसलिए मेरे से दो साल वरिष्ठ और वह 'बुरी खबर' था। उसके लंबे बाल थे और गंदे ढंग से कपड़े पहनता था, कक्षा छोड़ता, साइकिल शेड में धूम्रपान करते हुए पकड़ा गया था और स्कूल से अधिकांश निलंबनों का रिकॉर्ड बनाया था और मैं उसकी ओर ऐसे आकर्षित थी, जैसे एक लौ की तरफ एक कीट, या अधिक सही ढंग से पक्षाघात से पीड़ित एक कीट, क्योंकि मैं वास्तव में जलने जितना करीब नहीं गई।' आखिर में सोहा लिखती हैं,'एक दिन मेरी बच्ची इस पुस्तक को पढ़ेगी। ऐसा कहा जाता है कि पुस्तकों से प्रेम को पैदा करने के लिए आपको अपने बच्चे के लिए पढ़ना शुरु करना चाहिए, जब वह गर्भ में हो। मुझे आशा है कि इस पुस्तक के माध्यम से वह अपने परिवार और उनकी उपलब्धियों के बारे में सीखेगी और गर्व करेगी। वह यह सीखेगी कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वह सार्वजनिक या निजि जीवन का चयन करे; अगर वह एक अभिनेत्री, एथलीट, सक्रिय प्रतिभागी या घर पर रहने वाली मां बने। मायने यह रखता है कि वह वहां है, जहां वह चाहती है और वह खुश है।' 

मशहूर हुए तो क्या हुआ?
लेखिका : सोहा अली खान
अनुवाद : रामेन्द्र सिन्हा
प्रकाशक : प्रभात प्रकाशन
पृष्ठ : 208

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