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कुलदीप राघव ने सरल भाषा में ‘इश्क़ मुबारक’ को लिखा जिसे पढ़ना एक रोचक अनुभव है. |
प्रेम कहानियाँ बेहद संजीदगी से लिखी जाती हैं। कुलदीप राघव जैसे युवा लेखक ने इसका परिचय देते हुए प्रेम पर आधारित दूसरी किताब लिखी है जिसे अमेज़न ने अपनी सर्वाधिक पढ़ी जाने वाली किताबों की सूची में शामिल किया है। हिन्दी में रोमांस पर बहुत कम लिखा जा रहा है। यदि लिखा भी जा रहा है, तो वह स्तरीय कम ही है। कुलदीप राघव ने बहुत समय से सूखी पड़ी इस ज़मीन को हरा करने की कोशिश की है। जब उनकी पहली किताब 'आई लव यू' आई तो सोचा गया कि हिन्दी में प्रेम कहानियाँ अब भी लिखी जा रही हैं। उसके बाद दूसरी किताब 'इश़्क मुबारक' के बाद यह कहा जा सकता है कि हिन्दी में प्रेम कहानियाँ युवा ही बेहतर लिख रहे हैं।
'इश्क मुबारक' की कहानी मीर की कहानी है। यह कहानी वंदना और साहिबा की भी है। साथ ही उस दौर की भी जब ज़िन्दगी हलचल से भर जाती है। उस दौर की भी जब प्यार की गहराई हमारे दिल की धड़कनों को बढ़ा देती है।
मेरठ का लड़का मीर बड़ा मुकाम पाना चाहता है। वह दिल्ली आता है। काम करता है। पढ़ाई करता है और अपने ख्वाबों को पंख लगने की उम्मीद करता है। उसकी मुलाकात वंदना नामक लड़की से होती है जिसके बाद उसकी ज़िन्दगी बढ़ निकलती है।
'वंदना ने मीर की आँखों में सपने भर दिए थे, वह सपने जो न तो मीर ने कभी देखे थे और उन्हें पूरा करने के बारे में सोचा था।'

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मीर रॉकस्टार बन गया था। ऐसा लगता था जैसे उसका सपना पूरा हो गया हो। सबकुछ ठीक चल रहा था कि एक दिन अचानक सब बदल गया। मीर का एक्सीडेंट हो जाता है और...
'जाते-जाते बस उसने इतना ही कहा-'तुम्हें तुम्हारा इश्क़ मुबारक।'
वंदना ने मीर से ऐसा क्यों कहा, यह किताब पढ़कर ही मालूम किया जा सकता है। कहानी में साहिबा का किरदार क्या गुल खिलाता है, यह जानना रोचक है।
इस कहानी में हम यह देख पाते हैं कि रिश्तों में गहराई कितनी है, और उनमें उथलापन किस कदर छाया हुआ है। लोग अक्सर प्यार करते हैं, ज़िन्दगी भर का साथ निभाने की कसमें खाते हैं, लेकिन बिखरने में भी देर नहीं लगती।
कुलदीप राघव ने सरल भाषा में ‘इश्क़ मुबारक’ को लिखा जिसे पढ़ना एक रोचक अनुभव है।
इश्क़ मुबारक
लेखक : कुलदीप राघव
प्रकाशक : रेडग्रेब बुक्स
पृष्ठ : 152
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लेखक : कुलदीप राघव
प्रकाशक : रेडग्रेब बुक्स
पृष्ठ : 152
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