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विकि आर्य की कविताएँ कम शब्दों में गहरी बात कहने में समर्थ हैं. |
‘बंजारे ख्व़ाब’ शीर्षक कविता की ये पंक्तियाँ देखिए :
पल-पल आकार बदलते, एक
पल भी कहीं न टिकते... अभी
इस रंग, अगले पल दूजे रंग!
कभी अचानक दिखते, कभी गुम हो जाते...
हाँ! बादलों की ही तरह बंजारे होते हैं
सपने और भाव!
यह भी देखें :
जब-जब किसी ने रोका
उजालों का रास्ता
तब-तब जन्मे साये
अपने आप

विकि आर्य ने शब्दों को नये आयाम दिए हैं जिसमें वह कामयाब रही हैं. इस पुस्तक की एक और अच्छी बात है इसका शानदार अनुवाद. दीप रंजनी राई और रश्मि देवान ने अंग्रेज़ी से हिंदी में विकि आर्य की कविताओं का अनुवाद किया है. इस दौरान उस लय को कायम रखने में दोनों ने बहुत मेहनत की होगी. ऐसा करना प्राय: मुश्किल होता है, मगर हिंदी अनुवाद पढ़कर कहीं से ऐसा नहीं लगता कि यह अनुवाद है.
विकि ने अपने काव्य में शब्दों और भावों को बहुत ही सटीकता से संजोया है. हर पंक्ति कुछ कहती है और अपना असर डालती है.
बंजारे ख्व़ाब
रचनाकार : विकि आर्य
प्रकाशक : यात्रा बुक्स
पृष्ठ : 108
किताब का लिंक : https://amzn.to/2NFP21y
रचनाकार : विकि आर्य
प्रकाशक : यात्रा बुक्स
पृष्ठ : 108
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