बंजारे ख्व़ाब : बादलों की ही तरह बंजारे होते हैं सपने और भाव!

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विकि आर्य की कविताएँ कम शब्दों में गहरी बात कहने में समर्थ हैं.
विकि आर्य की कविताओं में एक संजीदगी है, एक सुकून है. वह ख़्वाबों को बुनती हैं. वह शब्दों में खोकर शब्दों में खोने को मजबूर करती हैं. यह पुस्तक ऐसा संग्रह है जिसे बार-बार पढ़ना अच्छा लगता है. कविताएँ कम शब्दों में गहरी बात कहने में समर्थ हैं. किसी भी कविता में ऐसा नहीं लगता कि बात अधूरी रह गयी, बल्कि उत्सुकता का जैसा प्रवाह विकि पैदा करती हैं, वैसा मुश्किल से मिल पाता है.

‘बंजारे ख्व़ाब’ शीर्षक कविता की ये पंक्तियाँ देखिए :
पल-पल आकार बदलते, एक
पल भी कहीं न टिकते... अभी
इस रंग, अगले पल दूजे रंग!
कभी अचानक दिखते, कभी गुम हो जाते...
हाँ! बादलों की ही तरह बंजारे होते हैं
सपने और भाव!

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विकि आर्य ने शब्दों को नये आयाम दिए हैं जिसमें वह कामयाब रही हैं. इस पुस्तक की एक और अच्छी बात है इसका शानदार अनुवाद. दीप रंजनी राई और रश्मि देवान ने अंग्रेज़ी से हिंदी में विकि आर्य की कविताओं का अनुवाद किया है. इस दौरान उस लय को कायम रखने में दोनों ने बहुत मेहनत की होगी. ऐसा करना प्राय: मुश्किल होता है, मगर हिंदी अनुवाद पढ़कर कहीं से ऐसा नहीं लगता कि यह अनुवाद है.

विकि ने अपने काव्य में शब्दों और भावों को बहुत ही सटीकता से संजोया है. हर पंक्ति कुछ कहती है और अपना असर डालती है.

बंजारे ख्व़ाब
रचनाकार : विकि आर्य
प्रकाशक : यात्रा बुक्स
पृष्ठ : 108

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