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जाह्नवी प्रसाद की यह किताब बच्चों से लेकर बड़ों तक सभी के लिए एक प्रेरणा है. |
लेखिका जाह्नवी प्रसाद ने जब गाँधी की आत्मकथा 'सत्य के साथ मेरे प्रयोग' पढ़ी तो वह इस कदर प्रभावित हुईं कि उन्होंने गाँधी के बारे में दुर्लभ सामग्री की खोज शुरु की। उन्होंने पोरबंदर, नोआखाली, लंदन, साउथ अफ्रीका आदि का भ्रमण किया। गाँधी के बारे में जानकारियां एकत्रित कीं। उनके संबंधित सामग्री का बारीकी के साथ अध्ययन किया। इसके बाद उन्होंने इस ग्राफिक उपन्यास की रचना की जिसमें उन्होंने महात्मा गाँधी के जीवन के अलग-अलग पहलुओं को प्रस्तुत किया है।

महात्मा गाँधी के जन्म 2 अक्टूबर 1869 से सन् 1919 तक के उनके जीवन वृत्तांत को जाह्नवी प्रसाद ने संक्षिप्त लेखन तथा काल्पनिक चित्रों द्वारा विस्तार से प्रस्तुत कर गाँधी जी के जीवन की सच्ची घटनाओं को समझाने का सफल प्रयास किया है।
गाँधी ने अपने किशोर और युवा जीवन में जो भी गल्तियाँ जाने अथवा अनजाने में कीं उनका सच्चाई के साथ वर्णन अपनी आत्मकथा 'माय एक्सपेरिमेंट विद ट्रुथ' में किया था। प्रस्तुत ग्राफिक उपन्यास में लेखिका ने उसी के आधार पर गाँधी के जीवन से जुड़ी घटनाओं को गाँधी जी से कहलवाने का प्रयास किया है।
पुस्तक में एक बेहद शर्मीले, संकोची और खेल तथा पढ़ाई में औसत गाँधी के बाल जीवन से विश्व प्रसिद्ध व्यक्तित्व बनने की घटनाओं का वर्णन किया है। दूसरे शब्दों में गाँधी के जीवन के पूर्वाद्ध में उनके द्वारा किये मांसाहार, सुरापान और संभोगवादी आचरण का वर्णन करने के साथ ही जीवन के उत्तर्राद्ध में उसके विपरीत महात्मा और जन नायक बनने तक की कहानी को गंभीर, मनोरंजक और ईमानदारी से पाठकों के सामने रखा है।
जाह्नवी प्रसाद की यह किताब बच्चों से लेकर बड़ों तक सभी के लिए एक प्रेरणा है। इससे गाँधी के जीवन में सत्य और अहिंसा के बल पर मिली उन्हें महान सफलता के रहस्य का पता चलता है। कम शब्दों में चित्रों के जरिए गाँधी के जीवन के दोनों पहलुओं पर पठनीय सामग्री है।