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बहुत अंदर तक महसूस किया जाना शब्दों की ताकत का अहसास है. |
‘मेरा जीवन’ कविता में विश्वजीत ने उन एहसासों का परिचय करा दिया है जिस जीवन को हर कोई जानता है। देखें :
मेरा जीवन तो बन चुका
पतझड़ के बाद के दरख़्तों के समान
जो अपनी नंगी हड्डियां
चाहते हुए भी
छुपा न सकें.
'बूढ़ा क़स्बा' कविता से :
सफ़ेद धूल मानो पके हुए बाल
दीवारों की दरारें मानो
चेहरे पर आयु और अनुभव की लकीरें
डगमगाती गलियां मानो लड़खड़ाते क़दम
गिरते हुए मकान मानो ढलती हुई जवानी
तालाब आधा सूखा जैसे आंखों में खुश्की छाई हुई
इन्हीं से बना है
बूढ़ा
हमारा क़स्बा.
यह कविता-संग्रह बेहद पठनीय है। यहां कविताएं यथार्थ की हैं, प्रेम बरसा है यहां, अकेलापन पसरता है, ज़िन्दगी का रंग-बिरंगापन है, प्रकृति है और वह सब जो ज़िन्दगी की गाड़ी चलाता है। कुल मिलाकर विश्वजीत की ये कविताएं जीवन के अनगिनत रंगों की कहानी बयान करती हैं। यहां शब्दों की चहक ऐसी है जो जीवन की बारीकियों से हमें अवगत करा रही है।
यहां कविताओं के साथ चित्र भी दिए गए हैं। इससे कविता और चित्रों का सामंजस्य बनता है जो एक अलग तरह का अनुभव उपलब्ध कराता है।
विश्वजीत की कविताओं में सादगी है, सरलता है, और वह गहराई भी जिसे समझना तृप्त होना है।
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