द सटल आर्ट ऑफ़ नॉट गिविंग ए *क : अच्‍छा जीवन जीने का असामान्य नज़रिया

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सच का सामना करने से जो घबराहट होती है, वह शायद इस पुस्तक को पढ़ने के बाद नहीं होगी.
जीवन में बदलाव बहुत मायने रखता है। हमारे लिए यह महत्वपूर्ण अधिक तब हो जाता है जब हम खुद को बदलता हुआ पाते हैं। सकारात्मक बदलाव और नकारात्मक बदलाव जीवन को प्रभावित तो करते हैं, साथ ही हमारे लक्ष्यों को भी निर्धारित करने में हमारी मदद करते हैं।

चर्चित ब्लॉगर और लेखक मार्क मैंसन की पुस्तक ‘द सटल आर्ट ऑफ़ नॉट गिविंग ए * क’ एक ऐसे नज़रिए को हमारे सामने रखती है जो सामान्य नहीं लगता, लेकिन वह ऐसा प्रभाव छोड़ता है जो हमारे जीवन में असामान्य रुप से परिवर्तन कर सकता है।

मार्क मैंसन की यह पहली पुस्तक दुनिया भर में अपने अलग तरह के विचारों के लिए चर्चित रही है। इसकी लाखों प्रतियां बिकना साफ दर्शाता है कि किताब में बहुत कुछ ख़ास है जो शायद इससे पहले इस तरह से लिखा नहीं गया। हिन्दी में इसका प्रकाशन हार्पर कॉलिंस और वाणी प्रकाशन ने किया है। हिन्दी अनुवाद उर्मिला गुप्ता का है।

जो लोग किसी चीज़ में महान बनते हैं, वह इसलिए कि उन्हें लगता है कि वे उसमें पहले से महान नहीं थे -बल्कि औसत थे; साधारण थे-और वे उससे बेहतर कर सकते थे.
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लेखक के पास ऐसे तर्क हैं जिनके बूते वह अपनी बात स्पष्ट करते हैं। उन्होंने किताब को इस तरह से लिखा है कि पाठकों को कहीं भी बोरियत नहीं होती, बल्कि एक पन्ने के बाद दूसरे पन्ने तक जाते हुए पता नहीं चलता। इस तरह यह पूरी किताब बहुत तेजी से चेहरे पर मुस्कान लेते हुए पढ़ी जा सकती है। मार्क मैंसन बीच-बीच में मज़ेदार कहानियां-किस्से बताते रहते हैं। दरअसल वह उनके कहने का एक ढंग है जिससे उनकी बात आगे चलकर सरलता से समझी जा सकती है। प्रेरित करने वाली बातें तो चलती हैं, जबकि कहीं-कहीं वे 'हाथ जमीन पर और पैर हवा में' लेकर चलने वाली बातें भी करते हैं। मगर उनका यह तरीका भी समझाने का एक अलग ढंग ही साबित होता है।

‘कोशिश मत करो’ शीर्षक से पहले अध्याय में ही मार्क मैंसन यह स्पष्ट करते हैं कि किसी भी समस्या को स्वयं पर हावी नहीं होने देना है। ऐसा करने से इंसान अपने जीवन के अच्छे पलों को और यहां तक कि पूरी ज़िन्दगी को गंवा देता है। आखिरकार वह तमाम जीवन ‘लोड’ लेता रहता है, और वह ‘लोड’ या भार उसे तबाह कर देता है। जीवन का असली सुख या जो उसे हासिल होना चाहिए वह नहीं हो पाता। वह इधर-उधर की दौड़-भाग में खुद को गंवा बैठता है। यही वजह है कि लेखक ने कहा है कि ‘लोड न लेना भी एक खूबसूरत कला है। जब लोग लोड नहीं लेने की ठान लेते हैं, तो उन्हें हर समय एक शान्ति का एहसास होता है, ऐसी शान्ति जो हर तूफान को झेल सकती है। वे ऐसा इन्सान बनने को प्रेरित होते हैं जो किसी चीज़ से परेशान नहीं होता और किसी से नहीं छिपता।’
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लेखक स्वयं कहते हैं कि यह किताब आपके भारी बोझ को कुछ हल्का करेगी, आपके डरों को सहज करेगी और आपको अपने आँसुओं पर हँसने की हिम्मत देगी। मतलब आपको ज़ोर के झटके को धीरे से सहने की तकनीक बतायेगी। मार्क मैंसन यह भी लिखते हैं कि यह पुस्तक हमें आँख बन्द करके पीछे गिरना सिखायेगी और बतायेगी कि यह नॉर्मल है।

मार्क मैंसन का दार्शनिक वाला नज़रिया बेहतरीन है। वे कहते हैं कि ‘खुशियाँ समस्याओं के समाधान से आती हैं’ और ‘समस्यायें कभी खत्म नहीं होतीं’ सुनने में साधारण लग सकते हैं, मगर इनमें गहरा अर्थ छिपा है। उन्होंने इसे तर्क के साथ किताब में स्पष्ट किया है।

वह लिखते हैं कि ज़िन्दगी अपने आप में एक यातना है। धनी अपने धन की वजह से तकलीफें झेलते हैं। गरीब अपनी निर्धनता के कारण। दुनिया के सुख भोगने वाले लोग सुख से परेशान होते हैं, और दरिद्र लोग सुखों के अभाव से।

उदासीन लोग दुनिया से डरते हैं और अपने ही चुनावों में सिमटकर रह जाते हैं। वे धुँधलके के पीछे रहकर, अपनी ही सोच के दलदल में फँसते जाते हैं और वास्तविक ज़िन्दगी से दूर भागते हैं.
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मार्क मैंसन पाठकों से कहते हैं कि वे सकारात्मक और नकारात्मक पहलुओं को समझें। तभी उनकी ज़िन्दगी और नज़रिया बेहतर हो सकता है। इसलिए वे नकारात्मक पहलुओं को भी ईमानदारी से स्वीकार करने की सलाह देते हैं।

कुल मिलाकर लेखक हमें सलाह देते हैं कि डर, दुख और बोझ लेकर जीवन नहीं चलता, बल्कि इनका मुकाबला करते रहने से ही ज़िन्दगी की गाड़ी सही मायने में सफल कहलाती है। वह हमें हर उस चीज़ का सामना करने के आसान तरीके बताते हैं जिनसे हम दो-चार हुए हैं। अपने अनुभवों, दूसरों के अनुभवों और ढेरों किस्सों के बहाने मार्क मैंसन इस किताब के जरिए वह रास्ते सुझा रहे हैं जिन्हें जानना जरुरी है।

इस बेहद दिलचस्प सफर पर मार्क मैंसन आपके साथ हैं और उम्मीद है कि पाठकों को हर पन्ना उतना ही मजेदार और रोचक लगेगा। सच का सामना करने से जो घबराहट होती है, वह शायद इस पुस्तक को पढ़ने के बाद नहीं होगी। यकीनन यह किताब आपका नजरिया बदलने में सहायक होगी।

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