पांच ख़ास किताबें जिन्हें आप इन दिनों पढ़ना चाहेंगे

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कैफ़ी आज़मी, अविनाश मिश्र, काशीनाथ सिंह, केशव रेड्डी और जॉन स्ट्रैटन हौली की पुस्तकें शामिल हैं.
राजकमल प्रकाशन ने युवा कवि और लेखक अविनाश मिश्र के काव्य-संग्रह 'चौंसठ सूत्र सोलह अभिमान' को प्रकाशित किया है जिसे पढ़ना अच्छा अनुभव है। इससे पूर्व अविनाश मिश्र ने 'नये शेखर की जीवनी' में लीक से हटकर लिखा था।

समय पत्रिका ने यहां प्रस्तुत की हैं पांच ख़ास किताबें जिनमें कैफ़ी आज़मी, अविनाश मिश्र, काशीनाथ सिंह, केशव रेड्डी और जॉन स्ट्रैटन हौली की पुस्तकें शामिल हैं।

𝟙. चौंसठ सूत्र सोलह अभिमान
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चौंसठ सूत्र सोलह अभिमान
अविनाश मिश्र
पृष्ठ : 104

अविनाश मिश्र के इस संग्रह में शामिल कविताएँ दो खंडों के अलग-अलग चरणों के रूप में प्रस्तुत की गई हैं। इन कविताओं को पढ़ना प्रेम में होने, उसे जीने, अनुभूत करने की प्रक्रिया से गुजरने या स्मृति-आस्वाद को दुहराने जैसा है। कवि का अनुभव-सत्य पाठक के जीवनानुभव के आस्वाद को नया अर्थ देने जैसा है।


𝟚. कैफ़ियात
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कैफ़ियात
कैफ़ी आज़मी
पृष्ठ : 379

कैफ़ी आज़मी भावनाओं की पवित्रता, मुहावरे की शुद्धता और भाषा के स्वाभाविक सौन्दर्य और सौष्ठव और इनकी परम्परा की ख़ूबसूरती को बरक़रार रखते हुए, एक आम दर्दमन्द इन्सान से एक आम दर्दमन्द इन्सान की तरह हमसे रुबरु होते हैं। वे एक जाने-पहचाने रफ़ीक़ और दोस्त की तरह हैं। हमारे दिल की बातों को गुनगुनाते हुए, कुछ हमारे ही दिल के लहजे में अपनी बात रखते हैं।


𝟛. भू-देवता
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भू-देवता
केशव रेड्डी
पृष्ठ : 95

उपन्यास ‘भू-देवता’ एक किसान की मृत्यु और उसके पुनरुत्थान की गाथा है। उस किसान के प्रयत्न से लेकर उसकी विफलता तक की, असुरक्षा से उन्माद तक की और उन्माद से मृत्यु तक की यात्रा का यहाँ अंकन है। ‘भू-देवता’ का कथाकाल 1950 है। स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद जिस समय भारत नए सिरे से अपना स्वरूप गढ़ रहा था, उस समय की ये घटनाएँ हैं।


𝟜. भक्ति के तीन स्वर
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भक्ति के तीन स्वर
जॉन स्ट्रैटन हौली
पृष्ठ : 303

इस पुस्तक के आरम्भ में ही जॉन स्ट्रैटन हौली इसे ‘ऐतिहासिक तर्क और विवेक के प्रति अपील’ कहते हैं, इन कवियों की रचनाशीलता और इनके समय के साथ कल्पनापूर्ण, आलोचनात्मक संवाद के महत्त्व पर बल देते हैं। ऐसे संवाद के बिना भक्ति-संवेदना का संवेदनशील अध्ययन असम्भव है। हौली इस पुस्तक में इन तीन कवियों से जुड़े विशिष्ट सवालों-समय, रचनाओं की प्रामाणिकता, संवेदना का स्वभाव, लोक-स्मृति में उनका स्थान-आदि पर तो विचार करते ही हैं, वे इनके बहाने भक्ति-संवेदना से जुड़े व्यापक प्रश्नों पर भी विचार करते हैं।


𝟝. महुआचरित
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महुआचरित
काशीनाथ सिंह
पृष्ठ : 100

‘महुआचरित’ जीवन के अपार अरण्य में भटकती इच्छाओं का आख्यान है। मध्यवर्गीय समाज की सच्चाइयों को लेखक ने विशिष्ट कथा-रस के साथ प्रकट किया है। यह उपन्यास जिस शिल्प में अभिव्यक्त हुआ है वह क में एक नया प्रस्थान निर्मित करता है। छोटे-बड़े किंचित् असमाप्त अपूर्ण वाक्य संकेतों की ओर उन्मुख विवरण और बहुअर्थी बिम्ब इस रचना को महत्त्वपूर्ण बनाते हैं।