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अनमोल विचारों से सजी यह पुस्तक हमें आध्यात्मिकता के रोचक संसार में ले जाती है. |
आध्यात्मिक गुरु के विचारों पर लिखी गयी पुस्तक 'रमण महर्षि के अनमोल वचन' का संपादन उनके शिष्य आर्थर ऑस्बोर्न ने किया है। मंजुल पब्लिशिंग हाउस ने इसका प्रकाशन किया है। हिन्दी अनुवाद रचना भोला यामिनी द्वारा किया गया है।
रमण महर्षि के अनमोल विचारों से सजी यह पुस्तक हमें आध्यात्मिकता के रोचक संसार में ले जाती है। हमारे ज्ञान को विकसित करते हुए हमें जीवन के अनेक रहस्यों से भी रुबरु कराती है।
रमण महर्षि को सोलह वर्ष की आयु में आध्यात्मिक जागरण का अनुभव मिला और वे अरुणाचल के पवित्र पर्वत पर आ गए, जहाँ उनके आसपास एक समुदाय पनपने लगा। वहीं से, उन्होंने अनेक प्रभावी लेखकों, कलाकारों व साधकों के हृदय को छुआ जैसे कॉर्ल युंग, हेनरी कार्टियर-ब्रेसौं और समरसेट मॉम। आज दुनिया में लाखों की संख्या में लोग उनकी शिक्षाओं से प्रभावित हो रहे हैं.
चर्चित लेखक पॉल ब्रन्टन ने आध्यात्मिकता की खोज में एक पुस्तक लिखी -'ए सर्च इन सीक्रेट इंडिया'। इस पुस्तक में उन्होंने रमण महर्षि पर विस्तार से चर्चा की है। पुस्तक का हिन्दी अनुवाद 'गुप्त भारत की खोज' खासा लोकप्रिय है। ‘पॉल ब्रन्टन पूर्वी जगत की आध्यात्मिक परंपराओं की खोज में निकले बीसवीं शताब्दी के सबसे महान खोजियों में से एक थे। वे एक पत्रकार भी थे और अपनी समीक्षात्मक निष्पक्षता एवं व्यावहारिक ज्ञान के लिए जाने जाते थे।
आर्थर ऑस्बोर्न लिखते हैं कि रमण महर्षि बहुत ही सहज, सरल और हास्यप्रिय स्वभाव के साथ प्रश्नों के उत्तर दिया करते थे। अगर प्रश्नकर्ता उनके उत्तर से संतुष्ट नहीं होता तो वह बिना किसी संकोच के पुन: प्रश्न कर सकता था या अपनी आपत्ति प्रकट कर सकता था। महर्षि की यह विशेषता दूसरों को बहुत प्रभावित करती थी। यही वजह थी कि उनके अनुयायी दुनिया भर में पूरी श्रद्धा के साथ उनके विचारों से अभिभूत होकर संतुष्टि का अनुभव कर रहे हैं।
आध्यात्मिकता जीवन को प्रभावित करती है। एक ऐसा गुरु जो जीवन और मुक्ति के प्रति लोगों की जिज्ञासा को शांत करता है, ऐसा गुरु जिसने खुद को दूसरों की सेवा के लिए समर्पित किया और ऐसा गुरु जो दूसरों का जीवन बदल रहा है, उसके विचारों को आत्मसात करना महत्वपूर्ण हो जाता है।
रमण महर्षि को इस पुस्तक में भगवान का संबोधन दिया गया है। ऑस्बोर्न ने स्पष्ट किया है कि जब कोई व्यक्ति ईश्वर के साथ एकात्म हो जाए उसे भी भगवान कहा जा सकता है। पुस्तक में एकरुपता लाने के लिए प्रश्न करने वाले को भक्त की संज्ञा दी गई है।
इस किताब की सबसे रोचक बात यह है कि यहाँ संस्कृत शब्दों को नहीं लिया गया है। जैसा कि किताब में कहा गया है कि रमण महर्षि ने संस्कृत शब्दों का प्रयोग किये बिना पश्चिमी आगंतुकों के लिए सरल व्याख्यायें कीं। हालांकि कुछ स्थानों पर जहाँ चाह कर भी संस्कृत शब्दावली से बचा नहीं जा सका, वहाँ अनुमानित अर्थों को भी दे दिया गया है ताकि अलग से पारिभाषिक शब्दावली देखने की आवश्यकता न रहे।
रमण महर्षि के विचार पाठकों को आध्यात्मिकता के संसार में ले जाते हैं। मन की उथलपुथल और अनेक प्रश्नों के उत्तर यहाँ मिल सकते हैं। जीवन-मृत्यु, सुख-दुख, आत्मा-परमात्मा आदि पर बहुत ही सरल भाषा में चर्चा की गई है। वास्तव में यह पुस्तक आध्यात्मिक ज्ञान की महत्वपूर्ण किताब है।
रमण महर्षि के अनमोल वचन
संपादन : आर्थर ऑस्बोर्न
अनुवाद : रचना भोला 'यामिनी'
प्रकाशक : मंजुल पब्लिशिंग हाउस
पृष्ठ : 178
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संपादन : आर्थर ऑस्बोर्न
अनुवाद : रचना भोला 'यामिनी'
प्रकाशक : मंजुल पब्लिशिंग हाउस
पृष्ठ : 178
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