![]() |
पुस्तक में जिन्ना और उनके जीवन के कई महत्वपूर्ण रहस्यों को पाठकों के सामने रखा है. |
पुस्तक पढ़ने पर पता चलता है कि इस बेमेल शादी की ख़बर से उस समय पूरी मुम्बई में गुस्सा भर उठा था और स्थानीय लोगों ने जिन्ना का बहिष्कार किया था। ऐसा इसलिए क्योंकि लोगों का मानना था कि एक 42 साल के प्रौढ़ ने 16 साल की बालिका को बहला-फुसलाकर अपने जाल में फंसा लिया था। मुम्बई के अतिधनाढ्य बल्कि पारसी समाज के शीर्ष पुरुष सर दिनशॉ पेटिट की एकमात्र संतान बेहद खूबसूरत बेटी रुटी को हासिल करना ही जिन्ना का एकमात्र ध्येय था जिसके लिए वे शायद दिनशॉ के करीब आए और उनके दोस्त बन गये। हालांकि यह रिश्ता एक राजा और रंक के समान था जिसे रुटी के पिता ने स्वीकार नहीं किया।
हर तरह से बेमेल प्रेम विवाह पर लेखिका ने विस्तार से लिखा है। उन्होंने जहां रुटी को एक शाही परिवार की बेहद लाडली और खूबसूरत बेटी बताया है, वहीं जिन्ना को एक मामूली बल्कि एक व्यापारिक दिवालिया परिवार का बेटा कहते हुए बहुत ही आकर्षक व्यक्तित्व का धनी और धुन का पक्का इंसान सिद्ध किया है।
मोहम्मद अली जिन्ना को जब अपने अच्छे दोस्त और अत्यंत समृद्ध पारसी सर दिनशॉ पेटिट की खूबसूरत और ज़िंदादिल बेटी रूटी से इश्क़ हुआ था, उस वक़्त उनकी उम्र चालीस साल थी और वे एक सफल बैरिस्टर तथा राष्ट्रीय आंदोलन के एक उभरते हुए सितारे थे। लेकिन रूटी तब महज़ सोलह साल की थीं और उनके नाराज़ पिता ने इस विवाह से साफ़ इंकार कर दिया। लेकिन जब वह अठारह साल की हो गयीं तो दोनों ने शादी कर ली.
पुस्तक में जिन्ना और उनके जीवन के कई महत्वपूर्ण रहस्यों को पाठकों के सामने रखा है जिनके बारे में अभी तक अधिकांश लोगों को पता नहीं। आम प्रेम कथाओं की तरह शादी के बाद इस जोड़े में भी आपसी मनमुटाव होने लगा था। बेहद रईस खानदान की यह बाला घुट-घुट कर जीते हुए मात्र 29 साल की युवावस्था में ही चल बसी। लेखिका के मुताबिक जिन्ना ताउम्र बाद में शादी नहीं कर पाए। इस जोड़े की एकमात्र संतान यानी जिन्ना की बेटी 'दीना' ने भी अपने पिता की राय के खिलाफ स्वेच्छा से एक गैर-मुस्लिम से विवाह किया।
पुस्तक में जिन्ना के विद्यार्थी जीवन से बैरिस्टर तथा राजनेता तक बनने का विस्तार से वर्णन है। कांग्रेस और मुस्लिम लीग से उनके सम्बंधों और आंदोलनों में उनकी भूमिका की भी व्यापक चर्चा की है लेकिन पुस्तक की मूल कथा जिन्ना-रुटी बेमेल प्रेम-कथा के इर्दगिर्द ही चलती है।
शीला रेड्डी की 'मिस्टर और मिसेज़ जिन्ना' बेहद पठनीय है।
मिस्टर और मिसेज़ जिन्ना
लेखिका : शीला रेड्डी
अनुवाद : मदन सोनी
प्रकाशक : मंजुल पब्लिशिंग हाउस
पृष्ठ : 296
इस पुस्तक को यहाँ क्लिक कर खरीदें >>
लेखिका : शीला रेड्डी
अनुवाद : मदन सोनी
प्रकाशक : मंजुल पब्लिशिंग हाउस
पृष्ठ : 296
इस पुस्तक को यहाँ क्लिक कर खरीदें >>