'विश्वामित्र जन्म से राजकुमार थे और अपने प्रयासों से ब्रह्मर्षि बने'

विश्वामित्र की कथा मानव मनोविज्ञान अथवा पौराणिक कथाओं के अध्ययन तक सीमित नहीं है.
किसी भी लेखक के लिए उसकी पहली पुस्तक का विशेष महत्व होता है। क्योंकि वह उसकी अभिरुचि एवं मेहनत का फल होने के साथ अंतर्निहित सामर्थ्य को खोजने की दिशा में एक प्रयास भी होती है। यह पुस्तक भी अनेक कारणों से मेरी रुचि और परिश्रम का परिणाम है।

'विश्वामित्र' कोई धार्मिक अथवा आध्यात्मिक पुस्तक नहीं है। यह न पूरी तरह काल्पनिक है और न ही पूर्ण रूप से सत्य पर आधारित है। तथापि, इसमें एक महत्वपूर्ण संदेश निहित है क्योंकि यह एक ऐसे साधारण मनुष्य की जीवनगाथा है जिसने अपनी शारीरिक एवं मानसिक सीमाओं से ऊपर उठकर अपने प्रारब्ध से संघर्ष किया तथा अपने भाग्य का स्वयं निर्माण किया।

'विश्वामित्र' vishwamitra book hindi

देव, गंधर्व, विद्याधर, सिद्ध, अरिहंत, बोधिसत्व एवं हमारे ग्रंथों के विभिन्न दिव्य प्राणियों से अलग, साधारण मानव की क्षमताएँ सीमित होती हैं। तथापि, हम देखते हैं कि विभिन्न क्षेत्रों में लोग प्रतिदिन इन सीमाओं को लाँघने का प्रयास करते हैं। ये लोग समाज द्वारा बनाए नियमों को चुनौती देते हैं और शेष मानव जाति के लिए नए प्रतिमान स्थापित करते हैं। यह कथा ऐसे ही एक व्यक्ति की प्रशंसा में लिखी गई है।

विश्वामित्र का जीवन इस बात का आदर्श उदाहरण है कि व्यक्ति अपनी आकांक्षा की पूर्ति के लिए किस सीमा तक जा सकता है। बहुत-से लोग विश्वामित्र को वैदिक काल के महानतम ऋषियों में से एक मानते हैं और कुछ को रामायण में उनकी भूमिका याद होगी। परंतु जो लोग उनके नाम से परिचित हैं, उन्हें शायद यह नहीं पता होगा की विश्वामित्र जन्म से राजकुमार थे और वे सिर्फ अपने प्रयासों से ब्रह्मर्षि बने।

आपको यह जानकर और भी आश्चर्य होगा कि विश्वामित्र ने ही गायत्री मंत्र की खोज की, जो सबसे लोकप्रिय मंत्र है और जिसका विश्वभर में लाखों हिंदू प्रतिदिन जाप करते हैं।

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इस पुस्तक के पात्र आपको अपने आस-पास के जीवन के लोगों की याद दिलाते हैं क्योंकि मनुष्य द्वारा अफ्रीका से बाहर कदम रखने के बाद से मानव स्वभाव में विशेष परिवर्तन नहीं हुआ है। तथापि, इस पुस्तक के मुख्य पात्र के विचार अपारंपरिक, और कभी-कभी, धर्म विरोधी प्रतीत हो सकते हैं क्योंकि यह पात्र, संसार को परंपरागत धार्मिक सिद्धांतों के चश्मे से नहीं देखता।

क्षत्रिय परिवार में जन्मे विश्वामित्र को विधाता ने प्रखर आध्यात्मिक प्रवृत्ति प्रदान की जिसने, उन्हें प्राचीन भारत के उच्चतम ब्राह्मणों में श्रेष्ठ बनने की उनकी लालसा को जाग्रत किया। इतिहास में उनकी यही पहचान है कि वे क्षत्रिय राजा थे जिन्होंने ब्रह्मर्षि बनने का असंभव कार्य कर दिखाया और मनुष्य होते हुए भी एक नए ब्रह्मांड की रचना की।

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विश्वामित्र की कथा मानव मनोविज्ञान अथवा पौराणिक कथाओं के अध्ययन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह अनेक बार काल्पनिक विज्ञान का आवरण धारण करती है और ब्रह्मांड के बुद्धिमान प्राणियों में पाए जाने वाले सार्वभौमिक गुणों को उजागर करती है।

हो सकता है, आप प्रत्येक बात पर विश्वास कर लें अथवा इसे अति साधारण किंतु किसी भी स्थिति में आप उस व्यक्ति की अपने लक्ष्य समझ, के प्रति अटल निष्ठा एवं कार्यशैली की विलक्षणता से प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकते।

यह पस्तक ऐसे व्यक्ति के प्रयत्नों एवं कष्टों की गाथा है, जो कर्तव्य एवं आकांक्षा तथा, अन्याय व मानवीय दुर्बलताओं के बीच पिस रहा है। तथापि, सच में यह कथा है विश्वास की - वह विश्वास, जिसके सहारे मनुष्य इच्छा से भरे अनियमित कार्यों द्वारा अपने भाग्य को चुनौती देता है; वह विश्वास जिसके कारण एक राजा अपनी संपत्ति त्याग कर संन्यासी हो जाता है। विश्वास जो शरीर के नष्ट हो जाने के बाद, आत्मा को जीवित रखने की लालसा को बल देता है।

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इस प्रकार, यह एक साहसी आर्यावर्त राजा की कहानी है जो न केवल सैन्य विजय द्वारा विख्यात हुआ, अपितु अपनी प्रचंड आध्यात्मिक इच्छा द्वारा सबसे प्रख्यात ऋषियों में से एक बना।

यह एक ऐसे व्यक्ति की कथा है जिसने देवताओं को चुनौती देने का साहस किया।

~डॉ. विनीत अग्रवाल.

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"विश्वामित्र"
लेखक : डॉ. विनीत अग्रवाल
अनुवाद : आशुतोष गर्ग
प्रकाशक : मंजुल पब्लिशिंग हाउस
पृष्ठ :  240