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पुस्तक दो हिस्सों में है. पहले भाग में किस्से-कहानियाँ हैं और दूसरे में लघुकथाएँ. |
अंकुर मिश्रा का कहानी संग्रह 'the ज़िंदगी' शीर्षक थोड़ा अलग लग सकता है, लेकिन उनकी कहानियाँ ज़िन्दगी के कई रोचक पहलुओं की बात करती हैं। उनका यह पहला प्रयास है। उनका लिखने का अंदाज़ हालांकि हल्का-फुल्का है जिसे आम पाठक आसानी से समझ सकता है। साथ ही वे अधिक जोड़तोड़ वाली भाषा का इस्तेमाल नहीं करते। इतना जरूर है कि उनकी बात पाठकों को कहानी के घेरे में ले जाती है। वो अलग बात है कि पाठक कितनी देर तक उसके इर्दगिर्द रहता है।
यह पुस्तक दो हिस्सों में है। पहले भाग में किस्से-कहानियाँ हैं और दूसरे में लघुकथाएँ। किताब एक बार में पढ़ी जा सकती है। फुर्सत के पलों में ऐसी कहानियाँ कुछ लोगों को पसंद आ सकती हैं या आप सफ़र के दौरान इनका आनंद ले सकते हैं।
'अभी ज़िन्दा हूँ मैं' हो या 'इश्क़ ऐसा भी', ये कहानियाँ समाज की वास्तविकता को उजागर करती हैं। नौकरी जीवन नहीं है, और जीवन बिना परिवार के अधूरा है। प्रेम के धागे ज़िन्दगी की खुशी और ग़म के साथ गुंथे हुए हैं। रिश्ते-नाते ज़िन्दगी की धुरी को थाम कर रखते हैं। अंकुर मिश्रा के नज़रिये को पाठक पसंद कर सकते हैं। यह लेखक के लिखने के तरीके पर निर्भर करता है कि वह किस तरह ख़ुद को पाठक के साथ जोड़ पाता है, और हर पाठक की अलग समझ होती है।
यहाँ निराशा का माहौल बिल्कुल नहीं रहने वाला क्योंकि हर किसी के पास कहानी कहने का अपना अंदाज़ है!
"the ज़िंदगी"
लेखक : अंकुर मिश्रा
पृष्ठ : 90
प्रकाशक : सूरज पॉकेट बुक्स
लेखक : अंकुर मिश्रा
पृष्ठ : 90
प्रकाशक : सूरज पॉकेट बुक्स