प्रतिदिन आयुर्वेद : 'भास्वती आयुर्वेद को प्राचीन ज्ञान से निकालकर आधुनिक युग में ले आई हैं'

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अभिनेता अभय देओल के डॉ. भास्वती भट्टाचार्य की पुस्तक के बारे में विचार पढ़ें.
मैंने अपने जीवनभर आयुर्वेद पर विश्वास किया। इसके सिद्धांतों को व्यावहारिक तरीके से अपनाने और अपने सनकी शेड्यूल के हिसाब से इसे मोड़ने की मेरी इच्छा हमेशा से रही। हममें से कई लोग ऐसा चाहते हैं लेकिन सुलभ, आसान तरीकों से हासिल नहीं कर पाते।

भास्वती ठीक यही करती हैं। वे आयुर्वेद की प्रामाणिकता को सुरक्षित रखते हुए उसे व्यावहारिक बनाती हैं। बेहतरीन संस्थानों ( हार्वर्ड यूपेन्न, कोलंबिया, प्रिंसटन रश, कॉरनेल व बनारस हिंदू विश्वविद्यालय) से पढ़ाई, और योग्य डॉक्टर, वैज्ञानिक तथा पब्लिक हेल्थ स्पेशलिस्ट की उनकी प्रभावशाली पृष्ठभूमि के साथ-साथ उनके तर्कों और कहानियों ने इस पुस्तक को और अधिक बहुमूल्य बना दिया है। जब मैं न्यूयॉर्क में उनसे मिला था, तब भास्वती आयुर्वेद के ज्ञान को लोगों तक उपयोगी तरीके से वापस लाने को अपना मिशन बना चुकी थीं।

"यदि आराम, पोषण व देखभाल को पूरा कर लिया गया, तो शरीर, मन और इन्द्रियाँ स्थान तथा समय में एक बार फिर से संतुलन को प्राप्त कर लेती हैं, और जीवन के सफ़र के अगले दौर के लिए तैयार हो सकते हैं."

पारिस्थितिकी पर्यावरणविद और विचारशील अभिनेता होने के नाते मैं अपनी त्वचा व चेहरे को स्वस्थ तथा शरीर को फिट रखने के लिए हमेशा ऐसा भोजन लेता, जो संतुष्ट करे और पोषण भी दे।

आयुर्वेद में जेट ट्रेन तथा फ़िल्मी सेट की शहरी दुनिया की बासी, आसान, एक मिनट में तैयार होने वाली चीजें नापसंद की जाती हैं, और एकदम प्राकृतिक चीज़ों को बढ़ावा दिया जाता है। इस विचारधारा के जरिये मैंने अपने शरीर की ज़रूरतों को समझा और ऐसी पसंद विकसित की जिनसे मैं मज़े भी कर पाऊँ और स्वस्थ भी बना रह सकूँ।

सुबह जल्दी उठना ऐसी ही एक चीज़ है, जो बहुत अच्छी महसूस होती है। हालाँकि मुझे अक्सर देर रात तक व्यस्त रहना पड़ जाता है जिस वजह से सुबह देर तक सोने की ज़रूरत पड़ती है, फिर भी मैंने पाया है कि ब्रह्म मुहूर्त यानी सूरज उगने के साथ ही जागना वास्तव में मेरे तन को मज़बूत बनाता है।

जब भास्वती ने मुझे सबसे पहले दाँतों की सफेदी के लिए गण्डूष के बारे में बताया, तो मैंने उत्साहपूर्वक इसे करने के बारे में सिखाने को कहा था ! इसे करने के तर्क और तरीके की उनकी व्याख्या सुनना बहुत ही अच्छा था। मुझे उनके उपचारों के लिए चेहरा बनने का प्रस्ताव किया गया था।

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भास्वती वह इंसान, जो आयुर्वेद को प्राचीन ज्ञान से निकालकर आधुनिक युग में ले आई हैं। जब लोग उनसे पूछते हैं कि आज की एक आधुनिक डॉक्टर आयुर्वेद की इतनी बड़ी समर्थक कैसे हो सकती है, तो वे जबर्दस्त प्रमाण देती हैं।

वे होशियार हैं, स्पष्ट बोलती हैं, और दयालु हैं। उनकी क्लीनिकल प्रैक्टिस इसका सर्वश्रेष्ठ सबूत है। उनके इलाज तथा तरीक़ों में श्रेष्ठ प्रामाणिक आयुर्वेद शामिल रहता है, जिसे आधुनिक चिकित्सा की व्यावहारिक ज़रूरत के रूप में हम जानते और पसंद करते हैं।

जब उन्होंने मुझे अपनी किताब के बारे में बताया तो मैं बहुत खुश हुआ। हर बार त्वचा की कोई समस्या होने पर उनके पीछे पड़ने के बजाय अब मेरे पास एक हैंडबुक है जो कई परहेज सुझाकर मुझे मार्गदर्शित कर सकती है। पुस्तक में दिए अधिकतर उपचारों में हल्का-फुल्का बदलाव करके वह मेरे ख़ास दोष के लिए इन्हें चिकित्सकीय उपचार बना सकती हैं।

इस पुस्तक को पढ़ना मजेदार भी है। लेखन बेलाग रूप से इंद्रियों को सुख देने वाला और आध्यात्मिक है तथा प्रकृति और आयुर्वेद के तरीकों के बीच गुज़रे बचपन से उनके अपने अनुभवों का खुलासा करता है। यह पुस्तक उन लोगों को लाभ पहुँचाएगी जो अपनी सेहत बनाना चाहते हैं और उसमें बदलाव देखना चाहते हैं।

~अभय देओल.

'‘प्रतिदिन आयुर्वेद’’
लेखिका : डॉ. भास्वती भट्टाचार्य
अनुवाद : महेंद्र नारायण सिंह यादव
प्रकाशक : मंजुल पब्लिशिंग हाउस
पृष्ठ : 326