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कुशल संपादक की बेहतरीन कहानियाँ जिन्हें पढ़ना सुकून देता है. |
प्रेम भारद्वाज का कहानी संग्रह 'फोटो अंकल' आया है। राजकमल प्रकाशन ने इसे प्रकाशित किया है। हर कहानी इतनी रोचक है कि बार-बार पढ़ने का मन करता है।
प्रेम भारद्वाज की कहानियाँ पाठकों के लिए जी उठती हैं, और वह उस 'जी उठने' का उत्सव भी मनाता है। खुशियों से भरना, बिल्कुल उस तरह जैसे कुछ बरस रहा हो; यह ज़िन्दगी के जीवित होने का संकेत है। शब्दों के साथ खिलवाड़ कर उन्हें तराशने की कोशिश होती रही है, प्रेम उसे आगे ले गए और उस गीत को हमारे सामने गुनगुनाते हुए गुज़र रहे हैं जिसका होना ही उसकी जान है। सुर, लय, ताल के साथ वास्तविकता का संगम एक अलग तरह की दुनिया की सैर है। प्रेम हमें वह कराते हैं, साथ ही अपनी कहानियों का आशिक़ भी बनाते जाते हैं।
संग्रह की कहानी 'फोटो अंकल' को पढ़ना अच्छा अनुभव है। यहाँ मानवीय संवेदनाएँ उभरकर आती हैं जो ज़िन्दगी के हिस्सों के साथ गुज़रती हैं। यह कहानी दिल को छू जाती है। यहाँ पात्रों के बीच बातचीत गहरायी से स्याह और उजले पहलुओं को दर्शाती है।
इस कहानी में एक जगह देखें,"...जहाँ मुझे दफ़नाया गया था... उसी के दो कदम के फासले पर मेरी माँ भी दफ़न थी...दफ़नाने वालों ने यह भी नहीं सोचा कि एक माँ की आँखों के सामने उसकी मासूम औलाद को दफ़नाने का मतलब क्या होता है...माँ पल-पल मेरे मुलायम जिस्म को मिट्टी में जब्त होता देखती रही...उसकी मुर्दा आँखों में आँसू उतर आए थे। फोटो अंकल, काश उस लाश की रोते हुए तुम तस्वीरें खींच सकते तो तुम्हारा और नाम हो जाता।"
यदि पहले किताब की आखिरी कहानी पढ़ ली जाए तो आप पहली नज़र में प्रेम भारद्वाज के फैन हो सकते हैं, लेकिन उसके लिए आपको थोड़ा भावुक होना पड़ सकता है।
'मकतल में रहम करना' कहानी में एक माँ कहती है -
''मेरे बेटे को दर्द बर्दाश्त नहीं होता है। तुमको अपने बेटे की कसम, मेरे बेटे की गर्दन में फाँसी का फंदा डालने से पहले रस्सी में यह मोम जरूर लगा देना ताकि मरते वक़्त उसकी तकलीफ में कुछ कमी आ जाए। यह एक बदनसीब माँ की बेटे के लिए अन्तिम फरियाद है। मैं यह फरियाद तुम्हें खुदा मानते हुए कर रही हूँ।''
प्रेम भारद्वाज के बारे में विश्वनाथ त्रिपाठी कहते हैं -''सीधी-सादी भाषा में परिचित जीवन की वास्तविक स्थितियों के आधार पर मार्मिकता को गहरे उकेरनेवाली कहानियाँ लिखना मुश्किल काम है. यह मुश्किल काम प्रेम भारद्वाज करते हैं.''
अवधेश प्रीत के अनुसार - ''प्रेम भारद्वाज कथ्य के स्तर पर अगर अदीठ सच्चाइयों को उजागर करने का उपक्रम करते हैं तो गहन मानवीय संवेदना के अन्तरतम गह्वरों में उतरकर नई अर्थ छवियाँ भी सृजित करते हैं.''
प्रेम कहानियों को एक अलग स्थान पर ले गए हैं। यहाँ पाठक पूरे पैराग्राफ को अंडरलाइन करने से पीछे नहीं हटेंगे। शैली ऐसी है जो मख़मली है, शांत है, मंद-मंद हवा की तरह मुस्काती हुई।
यह कहानी संग्रह आनंद के साथ पढ़ा जा सकता है। सभी कहानियाँ आपके भीतर हलचल पैदा करने की क्षमता रखती हैं।
"फोटो अंकल"
लेखक : प्रेम भारद्वाज
पृष्ठ : 104
प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन
लेखक : प्रेम भारद्वाज
पृष्ठ : 104
प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन