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किताब में 'हिन्दुत्व' और ‘हिन्दूवाद’ का अर्थ स्पष्ट करते हुए 'भारतीयता' के वास्तविक अर्थ को उद्घाटित किया गया है. |
शशि थरूर ने यह किताब तीन खण्डों में प्रस्तुत की है। पहले खण्ड ‘मेरा हिन्दूवाद’ में मैंने हिन्दू धर्म के सभी पहलुओं को छुआ है-इसके प्रमुख पन्थ, मत, गुरु और शिक्षाएँ, और साथ ही इसकी कुछ ज़्यादा प्रश्न किये जाने योग्य प्रथाएँ भी।
दूसरे खण्ड ‘राजनीतिक हिन्दूवाद’ में मैंने राजनीतिक नेताओं, रणनीतिज्ञों, विचारकों और उनके धार्मिक सहयोगियों द्वारा अपने हितों के लिए हिन्दू धर्म को ‘हाइजैक’ करने की कोशिशों का वर्णन किया है।
तीसरे खण्ड ‘सच्चे हिन्दूवाद की वापसी’ में मैंने हिन्दू धर्म को आज दिखायी देने वाली ज़्यादतियों और विकृतियों से मुक्त करके इसके सच्चे और मूल स्वरूप और मर्म को फिर से स्थापित करने के उपायों की चर्चा की है, जो कई पहलुओं से इक्कीसवीं सदी के लिए लगभग एक आदर्श धर्म हो सकता है।
वस्तुत: इस किताब में 'हिन्दुत्व' और ‘हिन्दूवाद’ का अर्थ स्पष्ट करते हुए 'भारतीयता' के वास्तविक अर्थ को उद्घाटित किया गया है। शशि थरूर अपनी किताब में बताते हैं कि 1980 के दशक से हिन्दुत्व का जो असहिष्णु और प्राय: हिंसक स्वरूप जो भारतीय जनमानस पर हावी होने लगा है, वह हिन्दूवाद की भावना के बिल्कुल विपरीत है। निष्कर्ष रूप में वे यह स्थापित करते हैं कि हिन्दू धर्म विश्व का सबसे बहुलवादी, समावेशी, उदार और विस्तृत धर्म है।
लेखक इस स्थापना के लिए हिन्दू धर्म के अतीत और वर्तमान के ग्रन्थों, धारणाओं, आस्थाओं, मान्यताओं की गहन यात्रा के साथ सूक्ष्म विश्लेषण करते हैं। यह किताब लेखक के आन्तरिक अध्ययन की आत्माभिव्यक्ति है।
हिन्दू धर्म के सभी पहलुओं को छूती है शशि थरूर की पुस्तक -'मैं हिन्दू क्यों हूँ'
शशि थरूर विख्यात आलोचक एवं स्तम्भकार होने के साथ-साथ पंद्रह कथा-साहित्य एवं अन्य पुस्तकों के लोकप्रिय लेखक हैं। आपकी पुस्तकों में महत्वपूर्ण व्यंग्य पुस्तक ‘द ग्रेट इण्डियन नॉवेल’ (1989), ‘इण्डिया : फ्रॉम मिडनाइट टू द मिलेनियम’ (1997), ‘इण्डिया शास्त्र : रिफलैक्शन्स ऑन द नेशन इन आवर टाइम’ (2015) और हाल ही में ‘अन्धकार काल : भारत में ब्रिटिश साम्राज्य’ (2017) ’शामिल हैं। वे संयुक्त राष्ट्र के पूर्व अवर महासचिव और भारत सरकार के पूर्व मानव संसाधन विकास राज्य मन्त्री और विदेशी मामलों के पूर्व राज्य मन्त्री रहे हैं। वे तिरुवनन्तपुरम से दो बार लोकसभा सदस्य रहे हैं और संसद की विदेश मामलों की समिति के अध्यक्ष हैं। उन्हें ‘कॉमनवेल्थ राइटर्स प्राइज़’ सहित अनेक साहित्यिक पुरस्कार प्राप्त हुए हैं और एनडीटीवी द्वारा उन्हें ‘न्यू एज पॉलिटिशियन ऑफ़ द इयर 2010’ से सम्मानित किया गया। उन्हें विदेशों में रहने वाले भारतीयों के लिए भारत के सर्वोच्च सम्मान ‘प्रवासी भारतीय सम्मान’ से भी सम्मानित किया गया।
वाणी प्रकाशन 55 वर्षों से 32 साहित्य की नवीनतम विधाओं से भी अधिक में, बेहतरीन हिन्दी साहित्य का प्रकाशन कर रहा है। वाणी प्रकाशन ने प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और ऑडियो प्रारूप में 6,000 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित की हैं। वाणी प्रकाशन ने देश के 3,00,000 से भी अधिक गाँव, 2,800 क़स्बे, 54 मुख्य नगर और 12 मुख्य ऑनलाइन बुक स्टोर में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई है।
मैं हिन्दू क्यों हूँ
लेखक : शशि थरूर
अनुवाद : युगांक धीर
पृष्ठ : 356
प्रकाशक : वाणी प्रकाशन
लेखक : शशि थरूर
अनुवाद : युगांक धीर
पृष्ठ : 356
प्रकाशक : वाणी प्रकाशन