'अफ़ज़ाल अहमद सैयद उर्दू कविता का टर्निग पॉइण्ट हैं'

hamen bhaut sare fool chahiye
अफ़ज़ाल अहमद में गद्य की अनेक मौलिक पंक्तियाँ हैं जो उर्दू के पुराने स्वभाव को बदलती हैं.
पाश और अफ़ज़ाल अहमद सैयद की कविताओं को छापना 'पहल' के लिए सही अर्थों में प्रकाशित करना हुआ था। लगभग तीन दशक पहले अफ़ज़ाल की कविता को लेकर हिन्दी समाजों में एक अँधेरा जैसा था, बावजूद इसके कि उर्दू गज़ल की जानकारी लोकप्रियता और आस्वाद भरपूर था। उर्दू समाज में भी अफ़ज़ाल की शायरी को लेकर उदासीनता थी, लगभग उन्हें कमतर आंकने वाली उपेक्षा के साथ। पर समय बदलता गया और न्यायोचित आलोचना ने उनका कद बढ़ाया और स्वीकृति दी। अफ़ज़ाल अहमद के छपने से 'पहल' की दुनिया को अप्रतिम विस्तार मिला, पाठकों ने स्वागत किया और खुशी ज़ाहिर की। वास्तव में अफ़ज़ाल अहमद सैयद की शायरी को हम उर्दू की नयी कविता भी कह सकते हैं जिसके लिए हिन्दी का पाठक बरसों पहले से तैयार था। 'पहल' के पाठकों ने अफ़ज़ाल की शायरी के अंशों के पोस्टर बनाये, बार-बार उद्धृत किया और सार्वजनिक दीवारों पर चिपकाया। यह एक ताज़ा हवा और उत्तेजना थी।

afzal ahmed sayed poetry

उर्दू की पारम्परिक दुनिया में अफ़ज़ाल पर नुक्तचीनी करने वाले लोग काफी, पर बड़े रचनाकार इसी के मध्य अग्रसर होते हैं। लगभग एक अराजक विचारक की तरह अफ़ज़ाल प्रकट होते हैं। उनकी न तो कोई पारम्परिक विचारधारा थी और न समकालीन पर वे मौलिक और जनता के कवि हुए। यूँ उर्दू में नज़्मों का पुराना समय भी काफ़ी जनवादी रहा है।

अफ़ज़ाल अहमद की नज़्मों ने अपना नया मुहावरा बनाया है, वे रूमान को तोड़ती हैं, नया रूमान बनाती हैं, वे पर्याप्त फिजिकल हैं और उनमें जीवन का वर्चस्व है। उनमें गद्य की अनेक मौलिक पंक्तियाँ हैं जो उर्दू के पुराने स्वभाव को बदलती हैं। मैं समझता हूँ कि अफ़ज़ाल उर्दू कविता का एक टर्निग पॉइण्ट हैं।

हमें बहुत सारे फूल चाहिए

लगभग तीन दशक बाद अफ़ज़ाल अहमद सैयद की शायरी अधिक समृद्ध होकर पुस्तकाकार आयी है। 'शायरी मैंने ईजाद की, यह कोई घोषणा-पत्र नहीं है, यह वास्तव में एक अन्वेषण है। यह शायर का एक समयानुकूल सांस्कृतिक रिफ्लेक्स है। इसको नये तरह से संयोजित करने में उर्दू के मर्मज्ञ हमारे साथी राजकुमार केसवानी की बड़ी मेहनत शामिल है।

~ज्ञानरंजन.

"हमें बहुत सारे फूल चाहिए"
रचनाकार : अफ़ज़ाल अहमद सैयद
लिप्यन्तरण : राजकुमार केसवानी
प्रकाशक : वाणी प्रकाशन
पृष्ठ :  150