![]() |
प्रेम की खूबसूरती यही है कि वह स्याह रंगों में भी उजला हुआ है. |
‘मन के मंजीरे’ रचना भोला ‘यामिनी’ की किताब है जिसका प्रकाशन राजपाल एण्ड सन्ज़ ने किया है।
इश़्क की बोली मीठी है, उसमें एक अलग तरह की सरसराहट है, जो रोम-रोम को झनझना देती है। इस किताब के हर पन्ने पर इश़्क की खुशबू बिखरी है। हवाओं का अंदाज़ ऐसा है, जब वह हर पन्ने से गुज़रे तो शब्दों के मखमली अहसास को अपने साथ ले चला जाए। यही रचना की खूबी है। यही रचना का प्रभाव है। और, यही रचना की ‘रचना’ है।
दिल की गहराई में उतरते शब्द दिल को आनंदित कर देते हैं। ये शब्द ऐसे हैं जिनकी कोई सीमा नहीं और ये भावनाओं को गीला कर देते हैं। किसी के भी मन को इश्क से भर देते हैं। ज़िन्दगी की सतरंगी यादों को ताज़ा कर देते हैं।
जब मेरे लबों की पहली जुम्बिश ने
उस नस को छुआ था,
तो वह कैसे सिहर-सिहर उठी थी।
रचना जी के पास प्रेम की छीटों का कैनवास है जिसपर वे बेहतरीन चित्र उकेरती हैं। उत्सुक करतीं, उकसाती बातें, मन की मछली इठलाती, इतराती हुई तरंगों के साथ दौड़ जाती है मन में। वे विश्वास दिलाती हैं कि इंद्रधनुष के रंग हर तरफ बिखरे हैं, जाओ उन्हें समेट लाओ, और खुद को उनमें सराबोर कर लो। उनके जायकेदार ‘लव नोट्स’ ज़िन्दगी की हसरतों को जगाते हैं। यहां पाक है वह मन जो कभी संशय में था, और जिसकी उदासी झटपटाती थी। प्रेम की खूबसूरती यही है कि वह स्याह रंगों में भी उजला हुआ है। उसकी पाकीज़गी कभी नहीं मरती। रचना भोला ‘यामिनी’ के पास ख्वाबों की बस्ती है जिसे सजाकर उन्होंने प्रेम को नए आयाम दिए हैं। वे सूफियाना अंदाज़ को अलग मुकाम पर ले गयी हैं। रंगों को बयान करके प्रेम की कूची से एक-एक रेशे को अच्छी तरह प्रयोग किया है। वे इसमें सफल हुई हैं।
जिस्म की बात नहीं थी, उनके दिल तक जाना था।
लम्बी दूरी तय करने में वक्त तो लगता है।
रचना भोला ‘यामिनी’ खुद कहती हैं -‘इस किताब के पन्नों पर भी उसी इबादत की लरज़ती ख़ुशबुओं के चन्द क़तरें हैं, जो ज़िन्दगी को इत्र सा महकाये रखते हैं। कायनात में इश़्क इतने रंगों और रुपों में बसा है और इसे देखने के लिए आपको मन की आँखों से देखना होगा, दिल की धड़कनों से सुनना होगा और रंगों में बहते लहू की रवानी-सा महसूस करना होगा। मैंने भी उसी एहसास को अल्फाज़ का लिबास दिया है, जो तकरीबन नामुमकिन-सा काम रहा। हर बात कहने के बाद भी अधूरी जान पड़ती है और लगता है कि बस वही सच है, जो नहीं कहा। बस वही तो कहना था, जो कहना बाकी रह गया। कह देने और न कह पाने की इसी जिद्द-ओ-जहद का नतीजा हैं, ये लव नोट्स।’
रचना जी ने प्रेम की नयी परिभाषाएँ प्रस्तुत की हैं। ‘रूहानी इश्क की इबादत में रचे लव नोट्स’ बेहद खूबसूरत हैं।
आखिर में -
तेरे अदरक से तीखे मिज़ाज
और तासीर में छिपी मुहब्बत से,
तेरे कंधे पर रखे सर से
मिलने वाली राहत से,
तेरे हौंसले, भरोसे
और अपनेपन के आफ़ताब से
लिखे हैं
लव नोट्स!
'‘मन के मंजीरे’’
रचना भोला ‘यामिनी’
प्रकाशक : राजपाल एण्ड सन्ज़
पृष्ठ : 184
रचना भोला ‘यामिनी’
प्रकाशक : राजपाल एण्ड सन्ज़
पृष्ठ : 184