अँधेरे में बुद्ध : अध्यात्म के रहस्यवादी चिन्तन की बहुरंगी कृति

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गगन गिल ने उम्मीदों से भरी जिन्दगी के झरोखों के पार जाकर खूबसूरती से अपनी बात कही है.
देश-विदेश में सम्मानित रचनाकार गगन गिल का काव्य संग्रह ‘अँधेरे में बुद्ध’ वाणी प्रकाशन ने प्रकाशित किया है। काव्य गगन की अनंत सैर करने वाली गगन गिल का रचना संसार अद्भुत है। उसमें उनकी एक ऐसी काव्य-शैली के दर्शन होते हैं जो बहुआयामी काव्य-कला का अनूठा अहसास कराते हैं।

जैसा कि पुस्तक के शीर्षक से ही पता चलता है, इस कविता संग्रह में रचनाकार एक ऐसे आभा मंडल के अन्दर-बाहर वास्तविक बुद्ध की तलाश करती है जो ज्ञान के प्रकाश से संसार को प्रकाशित करे लेकिन उसे बुद्ध प्रतिमाओं की अलग-अलग मुद्राएँ भ्रमित करती हैं। वह समझने का प्रयास करती है कि वह बुद्ध प्रकाश स्वरुप होते हुए भी अँधेरे में क्यों हैं; प्रस्तुत कविता संग्रह में बुद्ध के परिनिर्वाण के बाद बनायी गयी उनकी प्रतिमाओं को लोगों ने अलग-अलग मुद्राओं और रुपों में बनाकर अनेक कथायें रच लीं। भिक्षु और भिक्षुणियों के भटकाव का एक काव्य चित्र देखिए -
सुनती है एक भिक्षुणी
हवा की बात
अनायास
कहती है वह भी
अपने चक्र से
वह उसे जाने नहीं देगी.

एक कविता और -
इसी तरह
बचता है क्या
थोड़ा-सा ईश्वर
भिक्षुणियों के एकांत के लिए?

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गगन गिल का समूचा रचना-संसार धीरे-धीरे बुना गया एक ऐसा प्रशान्त संसार है जिसमें कई तरह के उत्तप्त विकल्प दीख तो पड़ते हैं लेकिन उनमें से किसी एक को चुना जा सकना सम्भव नहीं। उनकी कविताएँ जैसे अस्तित्व के अनिवार्य अन्तर्विरोधों के बीच एक खुले अवकाश में जीने के दुख को चुपचाप बटोरती कविताएँ हैं। अस्तित्व के अध्यात्म को इस या उस दर्शन के बगैर अपनी करुण व्यंजनाओं में टटोलती यह कृति भारतीय कविता की उस परम्परा से नया सम्बन्ध रचती है जिसे समकालीनता के आतंक में बरसों से भूलने की कोशिश की जाती रही है। ~राजेंद्र मिश्र.

परम्परागत काव्य के करीब होकर भी इस कविता संग्रह में रहस्यवादी चिंतन के बीच आधुनिक काव्य के प्रौढ़ और गतिशील स्वरुप की झलक दृष्टिगोचर होती है। विद्वान रचनाकार द्वारा अब तक लिखे उत्कृष्ट साहित्य की विशाल श्रंखला में यह पुस्तक महत्वपूर्ण कड़ी है।

गगन गिल के काव्य-मानस की बनावट इस कदर प्रगीतात्मक है या अनुभव ही इतना सांघातिक है कि कवि अनुभूति को कुछ दूरी से देखने की बजाय, उससे भर ही नहीं, उसमें घिर भी जाता है। अनुभूति की यह सघनता और तीव्रता जिद की दीवार भेद या थकान का रेतीला विस्तार लाँघकर जितना और जिस रुप में अनुभूति को बाहर सतह पर ला पाती है, उसी से कविता का रुपाकार बनता है। ~ललित कार्तिकेय.
दुख उनके लिए है
जो उसे मानते हैं
दुख उनके लिए भी है
जो उसे नहीं मानते हैं
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गगन गिल ने उम्मीदों से भरी ज़िन्दगी के झरोखों के पार जाकर खूबसूरती से अपनी बात कही है। उनके रहस्यवादी दृष्टिकोण की वजह से उनकी कविताएँ महसूस की जा सकती हैं। गगन ने हृदय की उजली स्याही को शब्दों के रेशों में गूँथकर कागज़ पर उकेरा है। कई कविताएँ ऐसी हैं जिन्हें बार-बार पढ़कर अध्यात्म की गोद में खुद को महसूस किया जा सकता है। उनकी दुनिया पाठकों की दुनिया भी है; उम्मीदों से भरा संसार जिसमें जीवन की महक हर ओर गुज़रती है। गगन के शब्दों को छूआ जा सकता है। उसके लिए मन को एकाग्र करना जरुरी है। यह आसान भी है। गगन आपको स्वयं उस रचना संसार से रुबरु कराती हैं। उन राहों से गुज़रने को विवश करती हैं जहाँ हर कहीं कुछ अलग हो रहा है। संभावनाएँ, मोड़, रिश्ते, भाव -गोते लगाती जिन्दगी कितनी अजीब है, वे बार-बार बताती हैं।

गगन गिल को पढ़िए और उनकी दुनिया में खो जाइए, आपको अच्छा लगेगा!

"अँधेरे में बुद्ध"
रचनाकार : गगन गिल
प्रकाशक : वाणी प्रकाशन
पृष्ठ : 134