डॉ. अब्दुल कलाम के प्रेरक विचारों का अनूठा संग्रह

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यह किताब हौंसला बढ़ाती है और हमसे कहती है कि शिक्षा बेहद जरुरी है.
'डॉ. कलाम ने जहाँ एक ओर बच्चों में सतत विकास और नवाचार के लिए उत्साह के बीज बोए, वहीं दूसरी तरफ वयस्क भी उनके विचारों से अछूते नहीं रहे। यह संकलन उन लोगों के लिए मन को मोह लेनेवाला अध्ययन होगा, जो डॉ. कलाम के मानवीय दृष्टिकोण तथा विचारों को पढ़ने में दिलचस्पी रखते हैं। इन भाषणों से पाठकों को डॉ. कलाम की ज्ञानसंपन्नता, विविध विषयों की सूक्ष्म जानकारियां और सर्वस्व राष्ट्र को समर्पित करने के महती भाव का बोध होगा।’

‘अदम्य उत्साह’ पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के भाषणों का खूबसूरत संग्रह है। इस पुस्तक का प्रकाशन प्रभात प्रकाशन ने किया है।

डॉ. कलाम कहते हैं कि आजादी की अगली सुबह उनके लिए खास थी। वे उस समय दसवीं के छात्र थे। उन्हें शिक्षक ने आधी रात को पं. जवाहरलाल नेहरु का भाषण सुनवाया जिसे सुनकर वे रोमांचित हुए। 16 अगस्त, 1947 को एक तमिल अखबार में पहले पन्ने पर दो खबरों को अहमियत दी गयी थी। एक जवाहरलाल नेहरु का भाषण और दूसरी खबर महात्मा गाँधी की नंगे पैर यात्रा की थी। कलाम कहते हैं कि गाँधी की दंगा-प्रभावित परिवारों के दर्द को कम करने की यात्रा उन्हें प्रभावित कर गयी। ‘एक स्कूल के बच्चे के मन में बस जानेवाली वह कितनी अच्छी सोच थी?’
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कलाम युवाओं को संबोधित करते हुए कहते हैं कि सफलता के लिए चुनौतियों का सामना जरुरी है। भारतीय युवाओं को जीत की भावना को प्रबल करना होगा और हार की भावना को खत्म कर आगे बढ़ना होगा। यह सफलता का सबसे अच्छा राज है।

यह किताब पहले पन्ने से अंतिम पन्ने तक प्रेरणा से भरी है। पाठकों को इसे गंभीरता से पढ़कर ज़िन्दगी का असली मकसद, डॉ. कलाम का मार्गदर्शन और देश की तरक्की के लिए उन्नत विचार समझने को मिलेंगे। यह किताब हौंसला बढ़ाती है और हमसे कहती है कि शिक्षा बेहद जरुरी है और उसका बेहतर स्वरुप किसी भी देश का भविष्य बदल सकता है। अँधकार को दूर करने का सबसे आसान और सफल जरिया शिक्षा है।

‘संबोधनों का यह संग्रह युवाओं का मार्गदर्शन करेगा, जिससे कि वे विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी के प्रभावी उपयोग से भारत को विकास के पथ पर ले जा सकें। ये ऐसे भाषण हैं, जो डॉ. कलाम की ओर से बाल दिवस, अंतरराष्ट्रीय संसदीय सम्मेलन, गाँधी शांति पुरस्कार वितरण समारोह आदि जैसे विभिन्न अवसरों पर उनके राष्ट्रपति काल के दौरान दिए गए। एक तरफ जहाँ उन्होंने बच्चों में सतत विकास और नवाचार के लिए उत्साह के बीज बोए, वहीं दूसरी तरफ वयस्क भी उनके विचारों से अछूते नहीं रहे।’

डॉ. कलाम कहते हैं कि सपना देखना बुरा नहीं है। सपने देखने चाहिएं। ये हमारी सोच को नयी दिशा प्रदान करते हैं। नये विचारों को लाते हैं। सपना विचारों में बदल जाता है और विचार काम का रुप लेते हैं। कलाम के अनुसार इंसान उत्सहित होकर बेहतर कार्य करते हैं जो देश को उन्नति की राह पर ले जाता है।

‘सफलता के विचारों को साँसों में भरिए। निस्संदेह रुप से यह देश के लिए वैसी ही एक महान यात्रा है, जिसकी एक शुरुआत हमने 1857 में की थी, जो स्वतंत्रता संग्राम को लेकर हमारा पहला विजन था। दूसरा विजन एक राष्ट्रीय यात्रा है, जिसमें युवाओं को कठिन परिश्रम, समर्पण और मन में पल रहे सपनों को साकार करना होगा, ताकि भारत एक विकसित देश बन सके।’

किताब में डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम कहते हैं कि एक राष्ट्र सिर्फ इस कारण महान नहीं होता, क्योंकि कुछ लोग महान होते हैं, बल्कि उस देश का हर व्यक्ति महान होता है। वे महऋषि पतंजलि द्वारा कहे शब्दों को याद करते हैं कि आप जब किसी महान उद्देश्य से प्रेरित होते हैं, तो आपके सारे विचार अपनी सीमाओं को तोड़ देते हैं -आपका मन सीमाओं को पार कर जाता है, आपकी चेतना हर दिशा में फैल जाती है और आप अपने आप को एक नए, महान और शानदार जगत में पाते हैं।’

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कलाम प्रबुद्ध मनुष्य के बारे में चर्चा करते हुए कहते हैं कि जब किसी बच्चे को शक्ति दी जाती है तो वह एक जिम्मेदार नागरिक का रुप लेता है। जब एक शिक्षक को ज्ञान और अनुभव से सशक्त बनाया जाता है, तब मूल्य प्रणाली से संपन्न अच्छे युवा सामने आते हैं। जबकि किसी व्यक्ति या टीम को तकनीक से सशक्त किया जाए तो उच्च क्षमता के साथ उपलब्धि में परिवर्तन सुनिश्चित है। कलाम ने यह भी कहा है कि जब महिलाओं का सशक्तिकरण होता है, तब स्थिरतावाले समाज की पुष्टि हो जाती है। धर्म पर बोलते हुए कलाम ने कहा कि जब धर्मों को शक्ति मिलती है और वे एक आध्यात्मिक बल का रुप ले लेते हैं, तब लोगों के हृदय में शांति और प्रसन्नता का निर्माण होगा।

शिक्षा और समाज को उन्नत करने के लिए किताब में डॉ. कलाम कहते हैं -‘सीखने की प्रक्रिया के दौरान कम-से-कम उच्चतर माध्यमिक स्कूल स्तर तक शिक्षण प्रणाली में मूल्य प्रणाली का समावेश करना अनिवार्य है।’

शिक्षा के साथ-साथ इस पुस्तक में डॉ. कलाम ने ग्रामीण भारत की दशा, बिजली, पानी, विश्व-शांति, आदि विषयों पर अपने विचार प्रस्तुत किए हैं। उन्होंने भारत में भविष्य में होने वाली चुनौतियों से पार पाने की योजनाओं पर अभी से काम करने की भी सलाह दी है। विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली युवा शक्ति को एकजुट होकर खुली मानसिकता के साथ इसपर कार्य करना होगा।

‘यह संकलन उन लोगों के लिए मन को मोह लेनेवाला अध्ययन होगा, जो डॉ. कलाम के मानवीय दृष्टिकोण तथा विचारों को पढ़ने में दिलचस्पी रखते हैं। इन भाषणों में से पाठकों को डॉ. कलाम के समृद्ध साहित्यिक तथा ऐतिहासिक ज्ञान की जानकारी भी मिलेगी। इन संबोधनों में उन्होंने कई बार ऐतिहासिक क्रांतियों, जैसे हरित क्रांति तथा दूसरी हरित क्रांति की चर्चा की है।’

डॉ. कलाम की यह पुस्तक उनके जीवन की तरह प्रेरित करेगी। यह हमारी सोच को एक नये सिरे से विकसित करने में मदद करेगी, ताकि हम नयी सोच के साथ, नये उत्साह के साथ अपने कदम बढ़ा सकें।

"अदम्य उत्साह"
डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम
सम्पादन : डॉ. ए.पी.जे.एम. नजमा मरईकयर 
प्रकाशक : प्रभात प्रकाशन
पृष्ठ : 184