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यह उपन्यास मीडिया, राजनीति और बिल्र्डस के गठजोड़ को भी बयान करता है. |
जगरनॉट बुक्स द्वारा प्रकाशित पुस्तक ‘जिंदगी लाइव’ असलियत बयान करती कहानी है जो पाठकों को रोचकता के साथ शुरु से आखिर तक बांधे रखती है। इस पुस्तक के लेखक प्रियदर्शन हैं जिन्हें पत्रकारिता का लंबा अनुभव है। उनके पास ऐसे ढेरों किस्से हैं जो मीडिया की हकीकत का अलग नजरिया पेश करते हैं। उन्होंने इस पुस्तक के जरिए अपने अनुभवों को भी साझा करने की कोशिश की है। यह उपन्यास एक मसालेदार फ़िल्मी कहानी की तरह भी लगता है। यहाँ ख़बर वाले ख़ुद ख़बर बन गए हैं।
कहानी 26/11 को मुम्बई में हुए आतंकी हमले से शुरु होती है। कहानी तब जोर पकड़ती है जब एक चैनल की एंकर सुलभा का बच्चा गायब हो जाता है। यह कोई आम घटना नहीं है। लेखक ने इसे बहुत ही संवदेनशीलता से लिखा है। उससे पूर्व वह लाइव एंकरिंग करने के दौरान सबकुछ भूल जाती है। एक तरह से वह काम में इतनी मशगूल है कि उसे उस खबर के अलावा और कुछ पता नहीं।
‘एक ही तरह के अनमने, कल्पनाहीन लिंक उत्साह से पढ़ते-पढ़ते उसका मुंह दुख गया था। लेकिन उसे एक बुरी दुनिया के बीच से कुछ घटनाएं चुन कर, उन पर खबर बनने लायक मसाला लगाकर और उन पर अपनी मुस्कराहट की पन्नी चढ़ाकर उन्हें बेचना था।’
न्यूज एंकर सुलभा का पति दूसरे चैनल में नौकरी करता है। उसी रात वह हमले की रिर्पोटिंग करने के लिए मुम्बई भेज दिया जाता है। बच्चा दिल्ली में गायब है और उसका दर्द दिल्ली से मुम्बई तक देखा जाता है। दो साल के बच्चे के माता-पिता खबरों के चक्कर में उस नन्हीं जान को कुछ समय के लिए भूल जाते हैं, और कहानी नया मोड़ लेती है।
बच्चे की खोज होती है। क्रेच की आया शीला और उसका पति पुलिसवालों के रवैये का शिकार होते हैं। गरीब और अकेली महिला होना तथा पुलिसवालों की हरकत और गंदी मानसिकता का परिचय पाठकों को गंभीर करता है। वैसे यह कोई हैरानी वाली बात नहीं है, क्योंकि समाज में बहुत कुछ इससे भी बुरा होता है। लेखक ने समाज के अच्छे और बुरे हिस्सों को छूने की कोशिश की है। संवाद हालात के साथ न्याय करते हैं। बनावट से कोसों दूर यह कहानी बहुत तेजी से चलती है। कई नाजुक हिस्से भी हैं जो हमें गहराई से सोचने पर मजबूर करते हैं।
यह उपन्यास मीडिया, राजनीति और बिल्डर्स के गठजोड़ को भी बयान करता है। यह न्यूज़ चैनलों की हकीकत को सामने लाता हैं। प्रियदर्शन ने स्याह रंगों को उजले कैनवास पर बेहतरीन कूची से रंगा है। उनकी भाषा सरल है जो पाठकों को बोझ से बचाती है।
इस थ्रिलर किताब को पढ़ा जाना चाहिए क्योंकि यह उन किताबों में शामिल की जा सकती है जिनमें जिंदगी की सच्चाईयां हैं!
"ज़िन्दगी लाइव"
लेखक : प्रियदर्शन
प्रकाशक : जगरनॉट बुक्स
पृष्ठ : 258
लेखक : प्रियदर्शन
प्रकाशक : जगरनॉट बुक्स
पृष्ठ : 258