‘अन्टिल यू कम होम’ : दास्तानें जो हमेशा याद रहेंगी

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सेना के जीवन की अत्यधिक कठोर परिस्थितियों की पृष्ठभूमि में दो प्रेमकथाओं को आपस में पिरोया है.

जब कहानियां रिश्तों की गर्माहट को नये सिरे तक ले जाती हैं, और जब कहानियां रोचकता को भावनात्मकता के साथ मिलाकर एक नया अंदाज़ बुनती हैं, तो ऐसी कहानियां बार-बार पढ़ने लायक होती हैं। पूर्व में चार बेहद दिलचस्प उपन्यास लिख चुकीं लेखिका मृदुला वाजपेयी का यह पहला अंग्रेजी उपन्यास है जिसमें सेना के जीवन और उससे जुड़े लोगों की दास्तान बेहद संजीदगी से बतायी है। साथ ही कई सवालों को भी उभारने की कोशिश की गयी है।

मृदुला वाजपेयी का उपन्यास शहरी भारतीय महिला लेखिकाओं द्वारा बड़ी मात्रा में लिखे जा रहे उपन्यासों के बीच हवा के एक ताज़ा झोंके की तरह आता है। उग्र राष्ट्रवादियों एवं महिलाओं में द्वंद के कोलाहल के बीच वे ऐसे स्वर के रुप में उभरती हैं जो एक महिला और किसी पुरुष के बीच निस्वार्थ प्रेम की वकालत करता है, जो सृष्टि का आधार है।

Until You Come Home का प्रकाशन मंजुल पब्लिशिंग हाउस के इंम्प्रिन्ट अमैरिलिस ने किया है। हार्पर कालिंस पब्लिशर्स इंडिया इस उपन्यास के वितरक हैं। यह उपन्यास कैप्टन के.एल. शुक्ला और उनके बहादुर साथियों को समर्पित है जो नवंबर 1962 में 'से-ला पास' को बचाने के कारण शहीद हो गये थे।

लेखिका ने इस उपन्यास में सेना के जीवन के बेहद मुश्किल और अत्यधिक कठोर परिस्थितियों की पृष्ठभूमि में दो प्रेमकथाओं को आपस में पिरोया है। पहली दुखद दास्तान कैप्टन उदय और जय की है, जिनका प्यार 1962 में चीन के हमले में 'से-ला पास' की रक्षा के दौरान उदय के वीरगति प्राप्त कर लेने से आधा-अधूरा रह जाता है। दूसरी संवदेनशील गाथा मेजर देव और मृणालिनी की है, जो वर्षों बाद कारगिल अभियान के दौरान समान परिस्थितियों में फंस जाते हैं। यह बात अलग है कि देव युद्ध में बचकर मृणालिनी के पास लौट आता है। फिर जिन कठिनाइयों का सामना मृणालिनी करती है (बिछड़ने की पीड़ा और अपने प्रेमी की वापस लौटने की अनिश्चितता) वे ठीक वैसी ही रहती है जैसी कि जया को अनूभूति होती है। उदय और जया की कहानी देव और मृणालिनी की मुख्य कहानी के ताने-बाने में गहराई से गूंथी गयी है। ये दोनों कहानियां साथ-साथ चलती हैं और अक्सर उनका वर्णन घुल-मिल जाता है।

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इस उपन्यास की मुख्य विशेषता सैन्य जीवन का सूक्ष्मता से सटीक विवरण देना है, जिसे बखूबी चित्रित किया गया है। पाठक के दिमाग में 'से-ला पास' को लेकर हुए संघर्ष और टकराव की स्मृतियां ताज़ा हो जाती हैं। उदय तथा उसके साथियों के सर्वोच्च बलिदान और शहीद हुए अधिकारियों को बेहद खराब मौसम के बावजूद अंतिम विदाई देने में उसके द्वारा मदद करने के लिए डटे रहना, मर्मस्पर्शी है। सैन्य कर्मियों की पत्नियों और परिजनों द्वारा झेली जाने वाली कठिनाइयों और गंभीर मुसीबतों का संवेदनशील ढंग से चित्रण और तमाम कठिनाइयों के बावजूद उनके जीवन संघर्ष का विवरण स्पष्टता के साथ किया गया है।

मृदुला ने संक्षिप्त लेकिन गहरे और विश्वास से भरे स्ट्रोक्स के साथ गंभीर समस्या का चित्रण किया है, जो कि प्रेम के रुप में शहरी महिला के जीवन के स्वतंत्र हिस्से के रुप में रहता है, और उनके कैनवास पर प्रबल रंग के रुप में छाया रहता है। मानवीय संबंधों का यह पेचीदा अंकन, मां और पुत्री तथा बच्चों के बीच भी गहरे पारिवारिक जुड़ाव, मानवीय चिंताओं तथा ऐसी ही स्थितियों में फंसने वाले अन्य लोगों के प्रति करुणा इत्यादि को समेटे हुए है जिसे प्रेम के वृहद चित्र में शामिल किया गया है।

लेखिका का कविता के प्रति प्रेम भी झलकता है। उनकी अभिव्यक्ति अक्सर कविता के रुप में उमड़ पड़ती है। जब वे जया की पीड़ा का बयान करती हैं तो उनकी भाषा बेहद सटीक रहती है। एक जगह देखें:
‘एक अधूरी लकीर गुज़र जाती है,
मेरी हथेली से तुम्हारी हथेली तक,
जब देखो इसे
तुम्हारी हथेली से मिलाकर अपनी हथेली को,
तो लगता है यह पूरी हो गई.
अलग-अलग अपनी-अपनी हथेली को लिए,
हम कब तक यूं ही जायेंगे अधूरी लकीर को लिए,
मिटाने से मिटती भी नहीं...
जोड़ने से जुड़ती है
पर बस पल भर के लिए.’

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जया को भले ही सेना के एक अधिकारी के साथ विवाह हो जाता है, लेकिन वह तब भी अपने पहले प्रेमी कैप्टन उदय की स्मृतियों में खोई रहती है। सामाजिक परंपराएं उसे उदय के प्रति अपनी भावनाओं की गहराई को व्यक्त करने से रोकती हैं, लेकिन कोई बंधन उसे उदय के प्रेम की खट्टी-मीठी स्मृतियों को याद करने से नहीं रोक पाता है।

मृदुला अक्सर समानांतरवाद का प्रयोग करती हैं, जो दर्द की मार्मिकता को उजागर करता है। भाषा साधारण है लेकिन वह पात्रों तथा जिस परिवेश में वे रहते हैं, उनके साथ बदलती रहती है। ‘अन्टिल यू कम होम’ ऐसे गहन प्रेम का चित्रण करने में सफल रही है जो शारीरिक अनुभव से परे है, कुछ ऐसा जो दिल तथा आत्मा के द्वारा कहा जाता है और अनजाने रुप में चेतना का हिस्सा बन जाता है, और शरीर के नष्ट होने के बाद भी शेष रह जाता है।

यह कहना बिल्कुल सही होगा कि ये दास्तानें हमेशा याद रहेंगी क्योंकि यह गाथाओं के रंग आपके भीतर तक घुल जाते हैं।

"Until You Come Home "
लेखिका : मृदुला वाजपेयी
प्रकाशक : Amaryllis (मंजुल प्रकाशन)
पृष्ठ : 154