देवदारों के साये में : हत्या और अपराध की दिलचस्प कहानियाँ

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मौत और हत्या के रोचक किस्से जो हमेशा याद रहेंगे. ये कहानियाँ हर किसी को जरुर पढ़नी चाहिए.
निर्जन शांत सड़क के किनारे देवदार के ऊंचे वृक्ष संतरी बनकर खड़े थे. बलूत का एक पुराना वृक्ष, पगडंडी पर शाखाएँ फैलाए खड़ा था. एक उड़ने वाली गिलहरी, एक पेड़ से दूसरे पर कूद रही थी और नीचे एक काकड़, कर्कश स्वर में चिल्ला रहा था. आसपास शायद कोई तेंदुआ शिकार पर निकला था...

रस्किन बॉण्ड जब कोई किस्सा सुनाते हैं, वह ख़ास हो जाता है. वे कहानी कला को जानते हैं. लंबे समय से किस्सों और कहानियों में जीते आ रहे बॉण्ड को पढ़ना हर बार सुखद होता है. वे जिंदादिली के साथ लिखते हैं. इसलिए उनकी हर कहानी बेजोड़ हो जाती है. हर कहानी में रस पड़ जाता है, और सबसे बड़ी बात कि उनकी कहानियाँ रोमांच का शानदार संगम होती हैं. आप उन्हें बार-बार पढ़ना चाहेंगे.

‘देवदारों के साये में : 8 बेहतरीन नई कहानियाँ’ चर्चित लेखक रस्किन बॉण्ड की हत्या और अपराध की दिलचस्प कहानियों का संग्रह है. हर कहानी अपने में बेजोड़ है. किताब का प्रकाशन मंजुल पब्लिशिंग हाउस ने किया है. हिंदी अनुवाद आशुतोष गर्ग का है.

रस्किन बॉण्ड का हाल में आया कहानी संग्रह उन कहानियों को कहता है जिसमें हत्या जैसे संगीन अपराध होते हैं. अपराधियों के मनोविज्ञान को समझने के लिए ये किताब एक अच्छा अवसर मुहैया कराती है. वो कौन-सी परिस्थितियाँ होती हैं जब कोई अपराध होता है? क्यों एक चिकित्सक डबल डोज़ का ज़हर वाला इंजेक्शन लगाने की सोचता है, और आखिर में स्वयं को मरने के लिए छोड़ देता है!

'देवदारों के साये में' इस संग्रह की पहली कहानी है जो शुरू से अंत तक हमें चौंकाये रखती है. एक बुजुर्ग महिला, उसका कुत्ता, होटल का पियानो वादक और वे लोग जो कहानी को रोमांचक बनाते हैं, बेहद खूबसूरती के साथ रस्किन बॉण्ड ने जोड़े हैं. कहीं ऐसा नहीं लगता कि आप बोर हो रहे हैं.

बॉण्ड की कहानियों की प्रमुख विशेषता यही है कि वे किसी भी हालात में पाठकों को बोर नहीं करतीं. आप पढ़ते जाते हैं, पढ़ते जाते हैं, बीच-बीच में आपको चौंकाया भी जाता है. अंत में आप अलग तरह की संतुष्टि का अनुभव करते हैं.

यह कहानी देवदारों के साये में शुरू होती है, और कुछ लोगों की ज़िंदगी के साथ ख़त्म, लेकिन हैरान एंडिंग के साथ.

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दुष्टता, मनुष्य के व्यक्तित्व की एक सामान्य अवस्था है, जो जन्म के समय से ही मस्तिष्क में अंतर्निहित होती है.

यह वाक्य रस्किन बॉण्ड के कहानी-संग्रह की दूसरी कहानी 'जन्मजात दुष्ट' का है. कहानी की मुख्य पात्र मिस रिप्ली-बीन के ये शब्द बहुत मायने रखते हैं. .

यह कहानी ऐसे सनकी युवा की मानसिकता को दर्शाती है जिसे आग देखकर उत्तेजना होती है. उसे लोगों को इस दौरान छतों पर दौड़ते और खिड़कियों से नीचे कूदते लोगों की चीख-पुकार सुनने में असीम आनंद आता है. रिप्ली-बीन से उसे 'देवदूत जैसा चेहरा और राक्षस जैसा दिमाग' वाला कहा है.

उसकी मौत भी अजीब ढंग से हुई. इस कहानी का अंत बेहद शानदार है. और हर कोई मिस रिप्ली-बीन के आखिर के वो शब्द सुनकर हक्का-बक्का रह सकता है.

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वह गुरूवार को बीमार थी,
और शुक्रवार को मर गई,
शनिवार रात को टॉम खुश था,
उसने रविवार को अपनी पत्नी को दफना दिया.

इस संग्रह की कहानी ‘शराब में ज़हर’ रोचक मोड़ पर खत्म होती है. एक अभिनेता अपनी पत्नी को धीमा ज़हर देने के लिए होशियारी से मंसूबे को पूरा करने की कोशिश में है. उसे शायद यह नहीं मालूम कि उसकी पत्नी भी उसे जीवित नहीं देखना चाहती. लेकिन उसके ये वाक्य कहानी को कुछ ज्यादा ही दिलचस्प बनाते हैं :

“मैं पिछले दो साल से इतनी परेशान हूँ कि मैं हर समय अपने साथ सायनाइड की गोलियाँ रखती थी ताकि ज़्यादा दुखी हो जाने पर, जब चाहूँ अपनी जान ले सकूँ.”

मगर कहानी का ट्विस्ट यहीं है जब उन गोलियों पर चॉकलेट का लेप लगाकर उन्हें उस डिब्बे में रख दिया जाता है जिसे उसका पति हमेशा अपने साथ रखता है.

और फिर वह खबर आती है जिसे सुनकर मिस रिप्ली-बीन  सबसे महंगी शराब के आने की प्रतीक्षा करने लगती हैं. क्या यहाँ कुछ आत्महत्या जैसा हुआ था? या पति और पत्नी दोनों स्वर्ग सिधार गए?

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“सैमी चिल्लाया और उसने पादरी विन्सेंट की छाती में अपना चाकू उतार दिया. वह उनपर लगातार वार करता गया - छाती में, पेट में, हाथों और गर्दन पर-आठ या नौ बार, और पादरी दर्द से चिल्लाते रहे.”

यह कहानी कुछ ऐसा बताती है जो रस्किन बांड की कहानियों में पढ़ने को नहीं मिलता. एक नौजवान और पादरी के संबंधों को अलग ढंग से दिखाया गया है. उनका स्नेह और सम्मान कहानी को मजेदार बनाता है. लेकिन दोनों के संबंधों को लोग कुछ अलग नज़र से देखते हैं. क्या ऐसा हुआ है कि वे अनैतिक तरीके से एक दूसरे से जुड़े हैं? पादरी की हत्या का क्या कारण है? क्यों हत्यारा अगले दिन पादरी की शोक-सभा में शामिल होता है? क्यों उसे फिर से सुधर-गृह से ‘इस बेपरवाह संसार में खुला छोड़ दिया गया?’

कहानी के अंत में मिस रिप्ली-बीन एक वेटर को स्नेहपूर्वक देखती है और उसके हाथ पर थपकी भी देती है, उसे ‘शुक्रिया’ कहते हुए. शुरू से कहानी जहाँ आपको अलग दुनिया के दर्शन कराती है, वहीं रिप्ली-बीन के आखिर में कहे गए शब्द हमें ‘हिला कर’ रख देते हैं.

इसे कहते हैं किसी कहानी की परफेक्ट एंडिंग!

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कभी-कभी छोटी-सी असावधानी किसी बड़ी विपदा, यहाँ तक कि हत्या का कारण भी बन जाती है. क्या आपने आगरा के दोहरे हत्याकांड के बारे में सुना है?

‘डाक में संखिया’ शीर्षक की यह कहानी अजीब मोड़ लेते हुए चलती है. किस्सा मेरठ से शुरू होता है. एक घरेलू महिला जो जीवन में जोश और उत्तेजना की चाह रखती थी. फिर उसकी ज़िन्दगी में एक अजनबी की एंट्री होती है, और वहीं से उसके परिवार की किस्मत हमेशा के लिए पलट जाती है. दरअसल कहानी यहीं से तेज़ गति से आगे बढ़ती है और हर पल हैरान करते हुए मोड़ों से गुज़रती है.

दोनों ओर से पत्रों का आदान-प्रदान होता है जो एक इंसान की मौत का कारण बनता है. वह धीरे-धीरे मौत की तरफ जाता है, ठीक हो जाता है, फिर मौत उसे जकड़ लेती है. उसके बाद आगरा में एक महिला की हत्या हो जाती है, लेकिन कातिल को उसकी बेटी पहचान लेती है.

कहानी यहाँ से फिर मोड़ लेती है, और पत्रों को ख़ोज तो दिल देहला देती है. क्या सोची-समझी रणनीति से अपराध पूरी तरह सफ़ल हो जाता है? लेकिन अपराधी कितना भी चालाक क्यों न हो, वह कोई न कोई सुराग ज़रूर छोड़ जाता है. कहानी के अंत में मिस रिप्ली-बीन के वे शब्द अहम हैं, देखें : “कुछ विवाह निश्चित रूप से नरक में ही तय किये जाते हैं.” 

यह एक अद्भुत किताब है. मौत और हत्या के रोचक किस्से जो हमेशा याद रहेंगे. ये कहानियाँ हर किसी को जरुर पढ़नी चाहिए.

इस किताब का आवरण मन मोह लेता है. यह एक जरुरी रस्किन बॉण्ड किताब है.

पुराने दौर के मसूरी शहर में लिखी गईं, नवीन व रोमांचकारी कहानियों के इस शानदार संग्रह में रस्किन बॉण्ड ने एक पादरी की हत्या, एक व्यभिचारी जोड़े, एक जन्मजात दुष्ट व्यक्ति और बक्से वाले बिस्तर में एक लाश के रोचक व भयावह क़िस्से प्रस्तुत किए हैं; इनमें डाक में संखिया, शराब में ज़हर, काला कुत्ता और दरियागंज का हत्यारा प्रमुख हैं.
वयोवृद्ध मिस रिप्ली-बीन, उनका तिब्बती टेरियर कुत्ता फ्ल्फ़, पियानोवादक लोबो और होटल रॉयल का मालिक नंदू मिलकर इन घटनाओं पर विचार करते हैं, जो पाठक को पुस्तक के समाप्त होने तक सम्मोहित व आनंदित महसूस कराएगा...
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रस्किन बॉण्ड ने सत्रह वर्ष की उम्र में अपना पहला उपन्यास ‘द रूम ऑन द रूफ़’ लिखा जिसके लिए उन्हें 1957 में जॉन लेवलिन रीस स्मृति पुरस्कार से सम्मानित किया गया. तब से, उनके बहुत-से लघु उपन्यास, लघु कहानी-संग्रह, निबंध, लेख, कविताएँ और बच्चों की पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं. 1992 में पद्म श्री तथा 2014 में पद्म भूषण से सम्मानित किया जा चुका है.

रस्किन बॉण्ड का जन्म कसौली (हिमाचल प्रदेश) में हुआ तथा उनकी परवरिश जामनगर, देहरादून, नई दिल्ली तथा शिमला में हुई. एक युवक के रुप में उन्होंने चार वर्ष चैनल आइलैंड्स एवं लंदन में बिताए. 1955 में भारत लौटने के बाद वे यहीं बस गए. वे अपने दत्तक परिवार के साथ मसूरी में रहते हैं.
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"देवदारों के साये में : 8 बेहतरीन नई कहानियाँ"
लेखक : रस्किन बॉण्ड
अनुवाद : आशुतोष गर्ग
प्रकाशक : मंजुल प्रकाशन
पृष्ठ : 148