ताजमहल छः फिट नीचे : इतिहास की चौंकाने वाली तस्वीर

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एक शानदार किताब जिसे पढ़ना उन रहस्यों को उजागर होते हुए देखना है जिनसे हम अनभिज्ञ रहे..

‘यह उपन्यास एक ऐतिहासिक परिकल्पना का हिस्सा है। ये और बात है कि यह दूसरी कई ऐतिहासिक परिकल्पनाओं की तुलना में सच के ज्यादा करीब हो सकती है।’

जागरण बैस्टसैलर ‘सिर्री’ के चर्चित लेखक अबीर आनंद की पुस्तक ‘ताजमहल छहः फिट नीचे -नींव’ एक ऐसा उपन्यास है जो हमारे सामने इतिहास की चौंकाने वाली तस्वीर पेश करता है। पुस्तक के प्रकाशन जोरबा बुक्स हैं।

इतिहास के गर्त में कुछ ऐसे राज हैं जो हमसे आजतक छिपाए गए। मुगलकालीन दौर में ऐसा इतिहास लिखने की कोशिश की गयी जिसने उनकी बर्बरता को उस तरह सामने नहीं आने दिया। एक प्रेम कहानी जिसके लिए धर्म मायने नहीं रखता। शहजादा सलीम और अकबर की वे बातें जो आजतक पढ़ी नहीं। अनछुए किस्सों को उजागर करने वाली यह एक शानदार किताब जिसे पढ़ना उन रहस्यों को उजागर होते हुए देखना है जिनसे हम अनभिज्ञ रहे।

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बैस्टसैलर लेखक अबीर आनंद की पुस्तक 'ताजमहल छ: फिट नीचे' (प्रकाशक : जोरबा बुक्स).
‘पुश्तैनी व्यापारियों से छीन कर वस्त्र उद्योग को जबरन मुग़ल शासन के नियंत्रण में ले लिया गया। रुष्ट व्यापारी आर्थिक विनाश के कगार पर खड़े होने को मजबूर हो गए। मकदूम को अपना घर छोड़कर भागना पड़ा। उसकी जवान बेटी इन्तिसार अनाथ हो गई, माँ पहले ही मर चुकी थी। मुग़ल सल्तनत के वारिस और मेहरुन्निसा के ठुकराए हुए प्रेमी सलीम को इन्तिसार की आँखों का रंग इसलिए पसंद है क्योंकि वह मेहरुन्निसा की आँखों के रंग से हू-ब- हू मिलता है। सरजू, इन्तिसार का दूसरा आशिक़ क़त्ल के मुक़दमे में सज़ा का इंतज़ार कर रहा है। आगरा कोतवाली के अफसर की हत्या के इलज़ाम में उसकी फाँसी तय है। पिता अकबर के विरुद्ध विद्रोह के उद्देश्य से सेना जुटाने के लिए उसे सलीम को धन की आवश्यकता है जो सिर्फ सूरत का व्यापारी वीरजी सेठ दे सकता है पर उसके दो वफादार सहयोगियों को सलीम पहले ही मौत के घाट उतार चुका है। ऐसे बहुत से लोग हैं जो उस एक पल के इंतज़ार में हैं जब वे मुग़ल हुकूमत से अपने ज़ख्मों का हिसाब बराबर करेंगे। पर जुल्मी हुकूमत से टकराना मुट्ठी भर हताश लोगों के बस की बात नहीं। 'ताजमहल छः फिट नीचे' मुग़ल सल्तनत के दमन के खिलाफ़ तीन पीढ़ियों के व्यक्तिगत साहस की कहानी है। एक ऐसी लड़ाई जिसमें उनकी हार तय है; जिसमें वे प्रेम, निष्ठा और हवस के धागों से जुड़े हुए हैं तो वहीं कपट, षड्यंत्र, लोभ और सत्ता की कटार से कटे हुए भी हैं।'

अकबर का जो चरित्र अबीर आनंद ने यहां प्रस्तुत किया है उसे जानकर दांतों तले उंगली दबायी जा सकती है। उसके राज में प्रजा कैसे हालात में जी रही थी यह अबीर आनंद ने बेहद संजीदगी से लिखा है। महिलाओं पर जुल्म हुए, उनकी इज्जत-आबरु तार-तार हुई, जैसे तमाम किस्से यहां बताये गये हैं। पाठक सोचने पर मजबूर हो जाता है कि इतिहास इतना काला भी है।

लेखक ने लिखा है कि मुगल इतिहास की सारी गंदगी को झाड़कर कालीन के नीचे छुपा दिया गया और अबुल फज़ल का झूठा, चाटुकार और नकाबपोश इतिहास हिंदुस्तान की सच्चाई बन गया। वह इतिहास जिसमें अकबर एक उदार और धर्मनिरपेक्ष शासक था, जिसमें जहांगीर न्याय का फरिश्ता था और जिसमें शाहजहां मोहब्बत का मसीहा था।

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'ताजमहल छ: फिट नीचे' (अबीर आनंद). .
एक जगह अकबर के बारे में लिखा है: ‘इतिहासकार तुम्हें एक उदार शहंशाह कहेंगे क्योंकि आने वाले बादशाहों की तुलना में तुम सबसे उदार हो। वे ये भूल जाएंगे कि इस नस्ल के सबसे घातक रहनुमा तुम ही हो क्योंकि इस नस्ल का बीज तुम्हारे बदन से निकला है। अगर अकबर पैदा ही न हुआ होता तो यकीनन दुनिया का भविष्य बेहतर होता।’

पुस्तक में अकबर और सलीम के बीच जबरदस्त मतभेद दिखाया गया है। शहजादा सलीम बेहद अय्याश किस्म का था जिसे अकबर गालियां देता रहता है।

पाठकों को सबसे दिलचस्प सरजू और इन्तिसार की प्रेम कहानी लगेगी। उसे इस तरह बुना गया है कि वह किताब के अंत तक दूसरी कहानी के साथ-साथ चलती है। वह अपनों को खो चुकी होती है, सलीम उसकी इज्जत तार-तार कर चुका होता है, उसकी जिंदगी नरक से बदतर हो जाती है। सरजू का प्यार उसे थामे रखता है, लेकिन एक दिन वह भी उससे दूर चला जाता है।

अबीर आनंद की यह किताब पाठकों को निश्चित तौर पर इसलिए पसंद आयेगी क्योंकि यह बिलकुल अलग तरह की कहानी पहली बार ऐसे ढंग में लिखी गयी है कि इतिहास को जीवंत करने की कोशिश है। यह कहानी आपको जरुर सोचने पर मजबूर करेगी!

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ताजमहल छः फिट नीचे'
लेखक : अबीर आनंद
प्रकाशक : ज़ोरबा बुक्स
पृष्ठ : 210
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