सकारात्मक ऊर्जा के लिए ‘हनुमान चालीसा’

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लेखक ने हनुमान के बारे में प्रचलित धारणाओं को हनुमान चालीसा के माध्यम से समझाने का सफल प्रयास किया है.

जानेमाने लेखक देवदत्त पटनायक अपनी पुस्तकों से प्रेरित करते हैं। वे पाठकों को हर किताब में अलग अहसास कराते हैं। यह उनकी खासियत है कि वे रोचकता को शुरु से अंत तक बनाये रखते हैं। उनके कहने का तरीका सरल और प्रवाहपूर्ण है जिस वजह से उनके प्रशंसक निरंतर बढ़ रहे हैं।

‘मेरी हनुमान चालीसा’ में देवदत्त पटनायक ने हनुमान चालीसा के छंदों का विस्तारपूर्ण वर्णन किया है। यह पुस्तक हमें हनुमान के जरिये जीवन जीने के नये नजरिये से मुखातिब कराती है। समझाती है कि हनुमान तारणहार हैं और राम के लिए हनुमान जरुरी क्यों हैं?

हनुमान चालीसा हिन्दू जनमानस में व्याप्त सबसे लोकप्रिय प्रार्थनाओं में से एक है। ‘मेरी हनुमान चालीसा’ पुस्तक में लेखक देवदत्त पटनायक ने हनुमान के बारे में प्रचलित धारणाओं को हनुमान चालीसा के माध्यम से समझाने का सफल प्रयास किया है। उन्होंने रामभक्त हनुमान की कीर्ति पर लिखी इस प्रार्थना को केवल प्रार्थना तक सीमित न रखते हुए हनुमान के आध्यात्मिक रुप से जुड़ी तमाम कथाओं के बारे में उनके महात्म्य और महत्व पर अपनी मौलिक लेखन शैली का प्रयोग किया है। पहले से ही हिन्दू जनमानस में लोकप्रिय हनुमान को उन्होंने देवत्व प्रदान में लेखन कुशलता का अनूठा प्रदर्शन किया है।

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मेरी हनुमान चालीसा (देवदत्त पटनायक).
‘जैसे-जैसे आप इस किताब के 43 छंदों को पढ़ते हैं, आप को पता लगेगा कि कवि ने कितनी संवेदना के साथ इसकी रचना की है, किस तरह यह मन में मंदिर बनाती है और मंदिर में भगवान की स्थापना करती है, और किस तरह इसकी पंक्तियां हमें जन्म की अवधारणाओं से होते हुए साहस, कर्तव्य और महिमा की अवधारणाओं और मृत्यु और पुनर्जन्म की अवधारणाओं से मिलाती हैं।’

हनुमान को ज्ञान और गुण का सागर कहा गया है। वे नकारात्मकता को समाप्त करते हैं और सकारात्मक ऊर्जा को पैदा करते हैं। उनकी शक्ति अपरंपार है। वे चतुर हैं, चिंतामुक्त हैं, और उनका मुख्य उद्देश्य सेवा भाव है। यानि हनुमान जनकल्याण की भावना के साथ हमारे समक्ष मौजूद हैं।

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देवदत्त लिखते हैं कि जब हम हनुमान की तरह ईश्वर की कहानियों का आनंद उठाते हैं, तब हम सच में ईश्वर देखते हैं और हनुमान की तरह अपने में उसकी उपस्थिति या अनुपस्थिति को समझ पाते हैं।

वायु पुत्र हनुमान परिस्थितियों में सरलता से ढल जाते हैं। वे पाप का नाश करने वाले हैं और उनका कोई सानी नहीं है।

‘तुम्हरे भजन
राम को पावै।
जनम जनम
के दुख बिसरावै।।’
इस छंद का अर्थ है कि हनुमान का प्रेम हमें पुण्य प्रदान करता है। जनमों के दुख दूर होते हैं और राम भी मिलते हैं।

देवदत्त लिखते हैं कि राम की कहानी को बार-बार दोहराने से हनुमान, राम को समझते हैं और ढूंढ़ पाते हैं अपने अंदर के राम को, उस क्षमता को, जो निर्भर होने वालों के लिए निर्भर होने लायक बनाती है, उनके लिए भी जो इस लायक नहीं, जैसे भूखे और डरे हुए भक्तों की वह भीड़ जो मंदिरों में उनकी पूजा करती है।

इसी तरह, हनुमान चालीसा का बार-बार पाठ करने से हम हनुमान को समझने की और अपने अंदर के हनुमान को खोजने की उम्मीद रखते हैं।

देवदत्त पटनायक की यह किताब हमें खुद से मिलाती है। हमारी खोज को पूर्ण करती प्रतीत होती है। हमारी शंकाओं का निवारण करने में मदद करती है। साथ ही आध्यात्म की ओर प्रेरित करते हुए सफल जीवन की ओर ले जाती है। सच्चे अर्थाें में हनुमान चालीसा जीवन को सरल बनाती है। सकारात्मकता का संचार करते हुए नयी उम्मीद की उत्पत्ति करती है।

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मेरी हनुमान चालीसा'
लेखक : देवदत्त पटनायक
अनुवाद : भरत तिवारी
प्रकाशक : रूपा / मंजुल प्रकाशन
पृष्ठ : 160
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