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कल्पनाशक्ति से तैयार यह दिलचस्प कहानी आज के दौर में बढ़ रहे आतंकवाद की सच्ची तस्वीर पेश करती है. |
आतंकी दलालों के जाल में फंसकर अपना जीवन बर्बाद करने वाले भटके नौजवानों की ज़िन्दगी पर एक तथ्यात्मक विश्लेषण प्रस्तुत करने में लेखक अशोक बाघ की पुस्तक ‘एक आतंकवादी की आत्मकथा’ सफल प्रयास है।
भोले-भाले और कई पढ़े-लिखे युवाओं को हसीन सपने तथा खुशहाल ज़िन्दगी की रंगीनियों की मनघडंत कहानियों के सहारे अंतर्राष्ट्रीय आतंकी संगठनों के घाघ दलाल किस तरह अपने जाल में फंसाते हैं? उसके बाद उनके परिवारों से जुदा कर किस तरह से उन्हें विदेशों में आतंकी शिविरों में अवैध रुप से भेजकर उन्हें कट्टर खूनी जालिम बनाने का प्रशिक्षण देकर मौत के मुंह में धकेला जाता है? कई बेकसूर महिलाओं का अपहरण करवाकर उन्हें जबरन हवस के भूखे भेड़ियों के आगे डाल दिया जाता है। क्रूरता के तांडव में जो जितना वीभत्स और निर्दयी सिद्ध होता है, उसे आतंकी आका उतना ही बड़ा ओहदा प्रदान कर क्या कराते हैं? इसी तरह के कई सवालों का जबाव इस पुस्तक में लेखक अपनी कहानी के प्रमुख पात्र तथा आतंकी आकांओं के हाथों से किसी तरह बचकर निकले मुस्लिम नौजवान वसीम अली के द्वारा दिलाते हैं।
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एक आतंकवादी की आत्मकथा (अशोक बाघ). |
‘वसीम गफूर नामक एक व्यक्ति के जाल में फंस जाता है और उसके साथ उसके चार दोस्त भी, जिन्हें वो सीरिया में खो देता है। जो काम वहां उनसे कराये जाते हैं वे न करने के काबिल होते हैं।’
कल्पनाशक्ति से तैयार यह दिलचस्प कहानी आज के दौर में बढ़ रहे आतंकवाद की सच्ची तस्वीर पेश करती है तथा धर्म, मजहब या वर्ग विशेष की कट्टरता के दुष्परिणामों से पाठकों को रुबरु कराने में सफल हुई है। हमारे देश की युवा हो रही आबादी के लिए यह एक पठनीय पुस्तक है। भटकते नौजवानों के मार्गदर्शन में यह सफल प्रयास है।
अशोक बाघ लिखते हैं:‘इंसान का दिल, दिमाग और उसमें उठते जज्बात, वो गम और आंसू, वो खुशी और हंसी, सभी एक सी होती है, ये मैं महसूस कर रहा था, कौन हिन्दू, कौन मुसलमान, कौन हिन्दुस्तानी, कौन पाकिस्तानी, कौन इराकी, सबके आंसू एक से, गम और उसका असर एक सा, सबकी हंसी एक सी। फिर भी इंसान एक-दूसरे के खून का प्यासा है, रोज हजारों बेगुनाह लोगों का कत्ल, ये कोई पागलपन है और इसे इलाज की जरुरत है। जिसकी दवा जल्द ढूंढ़नी चाहिए।’
यह कहानी हमें आज के दौर से मुखातिब कराती है जिसे पाठक बिना बोर हुए पढ़ सकता है। अशोक बाघ ने रोचक तरह से इस उपन्यास को बुना है। संवाद अच्छी तरह से लिखे गये हैं। सरल भाषा में लिखी यह किताब नौजवानों की जिंदगी को बेहद संजीदगी से प्रस्तुत करती है।
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‘एक आतंकवादी की आत्मकथा'
लेखक : अशोक बाघ
प्रकाशक : माय बुक्स पब्लिकेशन्स
पृष्ठ : 210
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‘एक आतंकवादी की आत्मकथा'
लेखक : अशोक बाघ
प्रकाशक : माय बुक्स पब्लिकेशन्स
पृष्ठ : 210
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