![]() |
गुप्त भारत की खोज : गुरु की तलाश पर आधारित एक असाधारण कृति. |
यात्रायें हमारे जीवन को बदल देती हैं। दूसरे शब्दों में यात्रायें बदलाव लाती हैं। जब हम किसी खोज में अपना लंबा समय बिता देते हैं, और हमारी तलाश पूरी होती है, तो वह एहसास सबसे अधिक सुकून भरा होता है।
पॉल ब्रन्टन कहते हैं,‘मैं योगियों की खोज में पूर्वी दिशा की यात्रा करते हुए भारत की पवित्र नदियों के तटों पर गया। मैंने पूरे देश का भ्रमण किया, और फिर मैं भारत के हृदय तक पहुंचा।’
पॉल ब्रन्टन की पुस्तक ‘गुप्त भारत की खोज’ हमें ऐसी आध्यात्मिक और रोमांचक यात्रा पर ले जाती है जहां एक विदेशी पवित्र भारत की खोज में निकला हुआ है। इस पुस्तक का प्रकाशन मंजुल पब्लिशिंग हाउस ने किया है। ‘गुप्त भारत की खोज’ 'A Search in Secret India' का हिंदी अनुवाद है। अनुवादक आशुतोष गर्ग ने पुस्तक को मानो अपना बना लिया जैसाकि वे हर बार करते हैं।
यह पुस्तक हमें आध्यात्मिक यात्रा पर ले जाती है। ऐसी यात्रा जो बिल्कुल अलग तरह की है। कुछ राज भी खोलती चलती है यह किताब जिन्हें हिन्दुस्तानी नजरअंदाज करते हैं या फिर वे उन्हें उतना जरुरी नहीं समझते।
लेखक स्वयं कहते हैं कि यह पुस्तक हमें ऐसे भारत के विषय में बताती है, जिसने स्वयं को हजारों वर्षों से जिज्ञासु नजरों से छिपाए रखा है, और जिसने खुद को इतना विशिष्ट बना लिया कि आज इसके केवल कुछ अवशेष बाकी हैं और वे भी बहुत तेज़ी से लुप्त हो रहे हैं।
![]() |
‘गुप्त भारत की खोज’ 'A Search in Secret India' का हिंदी अनुवाद है. |
‘पॉल ब्रन्टन पूर्वी जगत की आध्यात्मिक परंपराओं की खोज में निकले बीसवीं शताब्दी के सबसे महान खोजियों में से एक थे। वे एक पत्रकार भी थे और अपनी समीक्षात्मक निष्पक्षता एवं व्यावहारिक ज्ञान के लिए जाने जाते थे। इन गुणों के साथ ही उनकी उत्कृष्ट जीवनशैली ने उन्हें पूर्वी जगत की आध्यात्मिकता पर लिखने वाला एक श्रेष्ठ लेखक बना दिया।
‘गुप्त भारत की खोज’ आध्यात्मिकता यात्रा-वृत्तांत की एक महान कालजयी रचना है। पॉल ब्रन्टन ने विवरण प्रस्तुत करने की अपनी अद्भुत क्षमता और अपने दृष्टिकोण के संयोग से भारत की यात्रा का अनूठा वर्णन किया है। वे योगियों, सन्यासियों और गुरुओं के बीच रहकर एक ऐसे व्यक्ति की खोज करते रहे, जो उन्हें आत्म-ज्ञान से मिलने वाली शांति प्रदान कर सके।
उनकी यह जीवंत खोज, तमिलनाडु में स्थित अरुणाचल पर्वत पर श्री रमण महर्षि के पास समाप्त होती है। तब वे कहते हैं:‘नीले आकाश में असंख्य तारे टिमटिमा रहे हैं। उदा होता हुआ चन्द्रमा, चांदी की पतली चक्रनुमा लकीर जैसा दिख रहा है। शाम के समय उड़ने वाले जुगनुओं ने उद्यान को प्रकाशित कर दिया है, और उनके ऊपर खजूर के ऊंचे वृक्षों की लहराती डालियां आकाश के काले छाया-चित्र पर झूमती दिखाई पड़ रही हैं। मेरा आत्म-रुपांतरण पूर्ण हो गया है।’
यह किताब महत्वपूर्ण इसलिए है क्योंकि..
◼ यह भारत के उस रहस्य को उजागर करती है जो आध्यात्मिकता और ज्ञान से सराबोर है।
◼ हमारी जिज्ञासा को बढ़ाती है और गुरु की महत्ता पर प्रकाश डालती है।
◼ यह हमें धार्मिकता, चमत्कार और आध्यात्मिकता के मध्य जो अंतर हैं, उन्हें काफी हद तक स्पष्ट करने में कामयाब रही है।
◼ योगियों के विषय में हमारी समझ को अलग ढंग से दुरुस्त करती है।
◼ उन विचारों को संगठित करने का कार्य करती है जो जीवन के महीन धागों में उलझे हुए हैं।
◼ यात्रा के जरिये भारत की मजबूती को दर्शाती हुई सच्ची तस्वीर पेश करती है।
पुस्तक में हमें मिस्र का जादूगर मिलेगा जो भारत में आया हुआ है। उससे लेखक की मजेदार मुलाकात को पढ़ना भी उतना ही मजेदार है। अड्यार नदी के संन्यासी, मौनी बाबा और बनारस के करामाती संन्यासी जैसे अध्याय पाठक को चौंकाने के लिए काफी हैं। कुल मिलाकर यह किताब हर किसी को जिज्ञासा से भरती हुई चलती है। आप भी पॉल ब्रन्टन के साथ उनकी यात्रा के साझीदार हो जाते हैं।
'गुप्त भारत की खोज' का अंश पढ़ें >>
यात्राएं जीवंत तभी हो सकती हैं जब वे महसूस कर लिखी जायें, और हमें यात्रा पर तभी ले जा सकती हैं जब उन्हें महसूस कर पढ़ा जाये। उससे भी बड़ी बात कि अनुवाद उतना ही शानदार हो। इस पुस्तक में आशुतोष गर्ग ने कमाल का काम किया है। कहीं ये नहीं लगने दिया कि यह अनुवाद है। किताबों में जान डालने वाले लोग अनुवादक भी होते हैं। एक खराब शब्द या वाक्य पूरा रस तहस-नहस कर देता है। उसके बाद किताब के लेखक से विश्वास भी उठ सकता है, लेकिन आशुतोष के अनुवाद को ‘दशराजन’ में पढ़ने के बाद आप उनके द्वारा अनूदित की सभी पुस्तकें पढ़ने की सोचते हैं। सबसे अच्छी खुशी आपको तब मिलती है जब आप उनकी पहली पुस्तक ‘अश्वत्थामा’ को पढ़ते हैं। यह उनका पहला मौलिक उपन्यास है। पॉल ब्रन्टन की पुस्तक ‘गुप्त भारत की खोज’ एक शानदार अनुवाद की मिसाल है। इसका सारा श्रेय आशुतोष गर्ग को जाता है। मंजुल प्रकाशन ने इस अमूल्य दस्तावेज के लिए उन्हें यह कार्य सौंपा जिसके लिए प्रकाशक को शुक्रिया।
पॉल ब्रन्टन की यह किताब अपने में एक खास दस्तावेज है जिसे सहेज कर रखना जरुरी है।
-----------------------------------------
‘गुप्त भारत की खोज’
लेखक : पॉल ब्रन्टन
अनुवाद : आशुतोष गर्ग
प्रकाशक: मंजुल प्रकाशन
पृष्ठ: 332
‘गुप्त भारत की खोज’
लेखक : पॉल ब्रन्टन
अनुवाद : आशुतोष गर्ग
प्रकाशक: मंजुल प्रकाशन
पृष्ठ: 332
-----------------------------------------
किताब ब्लॉग के ताज़ा अपडेट के लिए हमारा फेसबुक पेज लाइक करें या हमेंगूगल प्लस पर ज्वाइन कर सकते हैं ...