बनते-बिगड़ते भोपाल की कहानी जहां सियासत का अलग रंग देखा गया

भोपाल की बेगमों ने असाधारण व्यक्तित्व के बल पर भोपाल को स्थापित करने में अहम भूमिका निभाई.

अफगानिस्तान से भागता हुआ दोस्त मोहम्मद खान दिल्ली पहुंचता है। उसके बाद ऐसी घटनायें घटीं जिन्होंने इतिहास लिखा। दोस्त मोहम्मद खान को लेखक ने आज के भोपाल का संस्थापक बताया है। शहरयार मोहम्मद खान की लिखी पुस्तक ‘Bhopal Connections : Vignettes of Royal Rule’ भोपाल की कहानी कहती है। यह पुस्तक उस इतिहास को हमारे सामने लाती है जिसे कम ही लोग जानते हैं। रोली बुक्स ने इसका प्रकाशन किया है।

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1819 और 1926 के मध्य में भोपाल पर चार बेगमों ने शासन किया। इस दरम्यान भोपाल में क्या कुछ घटा जिसे भुलाया नहीं जा सकता। यह कहानी ले जाएगी आपको ऐसे सफर पर जहां भोपाल की सियासत के अनछुए पहलुओं से रूबरू होने का मौका मिलेगा। षडयंत्र और घोटाले जिन्होंने भोपाल पर प्रभाव डाला जिसका असर आज तक है। बनते-बिगड़ते भोपाल की कहानी जहां सियासत का अलग रंग देखा गया।

किताब का पहला अध्याय बहुत बेहतरीन ढंग से लिखा गया है। उसके बाद आप आगे की कहानी जानने की इच्छा स्वयं करेंगे।

शुरुआत में दोस्त मोहम्मद खान और रानी कमलापति के अनसुने पहलुओं को विस्तार से पढ़ा जा सकता है। रानी ने दोस्त मोहम्मद से मदद मांगी थी और उसे राखी भी बांधी। इसका एक अध्याय पुस्तक में लिखा गया है।

कुदसिया बेगम भोपाल की पहली महिला शासक बनीं। उसके पीछे की कहानी काफी रोचक है। सिकंदर जहां, शाहजहां बेगम और अंतिम महिला शासक सुल्तान जहां बनीं।

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‘कुदसिया ने विकास और शिक्षा पर विशेष ध्यान के साथ दूरदर्शी शासक के रुप में खुद को साबित किया। उसने अपने निजि दान-खर्च से भोपाल को भारतीय रेलवे नेटवर्क से जोड़ा। अंग्रेज इंजीनियर मि. वाट की सेवाओं से उसने भोपाल के लिए पानी की व्यवस्था की। अपने महल में उसने बड़ी घंटी स्थापित की जो किसी भी न्याय की मांग करने वाले द्वारा बजायी जा सकती थी। अतः वह एक निष्पक्ष और बुद्धिमान विचारधारा वाली शासक साबित हुई।’

किताब बताती है कि भोपाल की बेगमें असाधारण व्यक्तित्व की धनी थीं। उन्होंने भोपाल को स्थापित करने में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने राजनीतिक और कूटनीतिक तरीके से सत्ता को संभाले रखा।

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बेगमों ने राज यूं ही नहीं किया उसके पीछे भी कई कारण रहे जिसका जिक्र यह पुस्तक करती है। उनके राज में भोपाल ने कई क्षेत्रों में काफी प्रगति की।

इतिहास के शौकीनों के लिए यह किताब बेहतरीन कही जा सकती है। जो लोग भोपाल की कहानी जानना चाहते हैं वे इसे अवश्य पढ़ें। नवाबों और बेगमों के ज़माने की दुर्लभ तस्वीरें भी आपको इस पुस्तक में देखने को मिलेंगी, जिनसे उनके बारे में कई अंदाज़े लग जाते हैं।

किताब कहीं भी बोर नहीं करती। शहरयार खान ने अपने खानदान के लोगों के विषय में लिखा है। कुछ जगह हालांकि उन्होंने घटनाओं को रोचक बनाने के लिए संवाद अपने मुताबिक लिखे हैं, लेकिन वे परिस्थितियों के हिसाब से सही बैठ रहे हैं। घटनायें शुरु से आखिर तक बांध कर रख सकती हैं।

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'Bhopal Connections : Vignettes of Royal Rule
लेखक : शहरयार मोहम्मद खान
प्रकाशक : रोली बुक्स
पृष्ठ : 168
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