योद्धाओं की कहानियां हमें उत्साहित करती हैं। एक नयी उम्मीद जगाती हैं कि कुछ अच्छा हो रहा है। दिनेश चारण का उपन्यास ‘वीर की विजय यात्रा’ हमें रोमांचक यात्रा पर ले जाता है। तेजी से पढ़ी जाने वाली यह कहानी अंत तक रोचक बनी रहती है और हर घटना के बाद जिज्ञासा जगाती जाती है।
पेशे से बैंकर और दिल से लेखक दिनेश चारण का ‘वीर की विजय यात्रा’ पहला उपन्यास है। सूरज पॉकेट बुक्स ने इसे प्रकाशित किया है।
यह कहानी शुरु से ही रोचक हो जाती है। पाठक के लिए सबसे अच्छी बात यह है कि वीरसेन की यह शौर्य गाथा बिल्कुल अलग कहानी है जिसमें पात्र भीड़ नहीं करते और न ही कभी इस तरह का कुछ पढ़ा होगा। कहीं भी ऐसा नहीं कि आप बोर हो रहे हैं। इसके लिए लेखक की तारीफ की जा सकती है। उन्होंने घटनाओं को अपने शब्दों के द्वारा इस प्रकार बुना है कि ऐसा लगता है कि सबकुछ हमारी आंखों के आगे चल रहा हो। उनकी कल्पनाशक्ति भी लाजवाब है।
सरल भाषा में रचा यह उपन्यास सुजानगढ़ और काठवगढ़ की यात्रा कराता है। इस प्राचीन शौर्यगाथा में कूटनीतिक तरीके से काठवगढ़ को मुक्त कराया जाता है। सुजानगढ़ के इस सूबे में अरबों के आक्रमण से भाग कर आये अफगान कासम, बिलाल और नसरीन यहां रहने लगे। उन्होंने राजा जयसिंह की सहानुभूति पाकर धीरे-धीरे राज्य पर कब्जा कर लिया। जयसिंह को कारागार में डाल दिया गया और राज्य पर अधिकार कर लिया। दोनों चाचा-भतीजे बिलाल और कासम लोगों पर अत्याचार करने लगे। सुजानगढ़ के महाराजा चित्रसेन ने काठवगढ़ को आजाद कराने के लिए अपने मंत्री के पुत्र वीरसेन को इसकी जिम्मेदारी सौंपी। महाराजा के पुत्र प्रद्युमन को साथ लेकर और भेष बदलकर दोनों काठवगढ़ में पहुंच जाते हैं। शहजादी नसरीन का दिल वीरसेन की बहादुरी का कायल हो जाता है। वह उससे निकाह करना चाहती है। परिस्थितियां हर पल नया मोड़ लेती रहती हैं। वीरसेन अनजान राज्य में किस तरह कासम का दिल जीत कर उसका विश्वासपात्र बन सेनापति का ओहदा पा लेता है? जासूसों की वजह से परिस्थितियां कैसे पलटती हैं? किस तरह ग्वाले की पिटाई और बाद में उसकी मौत से रोचकता पनपती है? इसके अलावा बहुत से ऐसे सवालों के जबाव इस उपन्यास में मिलेंगे जिन्हें आप कहानी के साथ-साथ जानना चाहेंगे।
‘वीर की विजय यात्रा’ में प्रेम के छीटें भी बिखेरे गये हैं लेकिन एक योद्धा के लिए कई बातें अहम होती हैं। राजकुमारी स्वाति से वीर कहता है: ‘राजकुमारी आप मेरा जीवन हो, हमारा प्रेम, एक मात्र मेरे जीवन को स्पंदन देने वाली वस्तु हैं, परंतु देशभक्ति और राजहित के भी तो कोई मायने होते हैं।’
यह कहानी तेजी से पढ़ी जा सकती है। यह एक रोमांचक यात्रा है जहां पल-पल में मोड़ आते हैं। हर मोड़ कुछ नया लेकर आता है, चौंकाता भी है।
दिनेश चारण ने कहानी में एक ऐसे नायक को प्रस्तुत किया है जो अपनी सूझबूझ, कौशल और कूटनीति का शानदार परिचय देता है। प्रेम और भावनायें उसके लिए उतना मायने नहीं रखतीं जितना कि देशहित। वह अपने महाराजा के लिए विश्वासपात्र है और वह हर संभव कोशिश करता है जिससे अभियान को सफल बना सके। अपनी जान की परवाह किये बिना वीरसेन अंततः विजय पाता है।
इस कहानी से लेखक ने अच्छा संदेश दिया है कि बुद्धि, विवेक, विश्वास और शौर्य हमें जीत दिला सकता है।
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'वीर की विजय यात्रा’
लेखक : दिनेश चारण
'वीर की विजय यात्रा’
लेखक : दिनेश चारण
प्रकाशक : सूरज पॉकेट बुक्स
पृष्ठ : 145
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